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MP में हिंदी की मेडिकल एजुकेशन पाठ्य पुस्तकें, अब MBBS टू का नंबर
मध्य प्रदेश में हिंदी में मेडिकल एजुकेशन के लिए प्रथम वर्ष की हिंदी पाठ्य पुस्तकें तैयार होने के बाद अब एमबीबीएस दो की की तैयारी है। इसकी शुरुआत हो चुकी है। यह बात चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने मेडिकल एजुकेशन हिंदी पाठ्य पुस्तकों के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में वितरण के कार्यक्रम में कही। भोपाल में यह कार्यक्रम हुआ लेकिन इससे ऑनलाइन सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज जुड़े थे।
भोपाल के हमीदिया अस्पताल के सभागार में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों की हिंदी पाठ्य पुस्तकों के निःशुल्क वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। अब एमबीबीएस दो की हिंदी पाठ्य पुस्तकों की शुरुआत हो रही है और सितंबर महीने तक एमबीबीएस सेकंड, थर्ड व फोर्थ ईयर की पुस्तकें तैयार हो जाएंगी। इस मौके पर मंत्री सारंग ने छात्र-छात्राओं से संवाद भी किया।
प्रयास से ही मिलती है सफलता
मंत्री सारंग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मातृभाषा हिंदी को बढ़ावा देने के लिए मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने की बात कही थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इसे दोहराया। 14 सितंबर 2021 को हमने हिंदी में भी मेडिकल की पढ़ाई प्रारंभ करने का संकल्प लिया और कई लोगों ने इसे नामुमकिन बताया। मगर युद्धस्तर पर काम करते हुए प्रयास किए गए और इसमें सफलता मिली।
विद्यार्थियों से पुस्तकों की उपयोगिता को लेकर संवाद
निःशुल्क पुस्तक वितरण के बाद सारंग ने प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं से पठन-पाठन में हिंदी पुस्तकों की उपयोगिता को लेकर संवाद किया। इस दौरान सभी विद्यार्थियों ने हिंदी पाठ्यपुस्तकों को लेकर अपने अनुभव साझा किए। अंकित पाण्डेय ने बताया कि उन्होंने नीट की परीक्षा हिंदी माध्यम से उत्तीर्ण की थी। चिकित्सा महाविद्यालय में आने के पश्चात वे अंग्रेजी में ही पढ़ाई करने के लिये बाध्य हो जाते परंतु हिंदी में पाठ्यपुस्तकों के उपलब्ध होने से भाषा की बाधा समाप्त हो गई है। वहीं चिकित्सा विद्यार्थी उदिता वर्मा ने बताया कि वे अंग्रेजी माध्यम से आती हैं। चूंकि अपनी मातृभाषा में विषयों को समझना आसान होता है इसीलिये यह हिंदी पाठ्यपुस्तकें सभी विद्यार्थियों के लिये बेहद लाभदायक सिद्ध होंगी।
पुस्तकों में तकनीकी शब्द देवनागरी
सारंग ने बताया कि एमबीबीएस प्रथम वर्ष की तीनों पाठ्यपुस्तकों एनाटॉमी, फिजियोलॉजी एवं बायो कैमेस्ट्री का हिंदी में रूपांतरण किया गया है। इनमें व्यवहारिक पक्ष रखते हुए तकनीकी शब्दों को देवनागरी लिपि में लिखा गया है ताकि विद्यार्थियों को समझने में आसानी हो। उन्होंने कहा कि यह पहला प्रयास है, वहीं परिवर्तन की आवश्यकता होने पर अगले संस्करण में सुधार किया जायेगा।
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