MP में वरिष्ठतम 63 अफसरों में से जूनियर मोस्ट पर सरकार मेहरबान, प्रमोशन का इंतजार

मध्य प्रदेश पुलिस में महानिदेशक से लेकर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक तक के बारह बैच के 63 अफसर हैं लेकिन दर्जनों अफसरों को नजरअंदाज कर सरकार जूनियर मोस्ट अधिकारियों पर मेहरबान है। करीब 30 हजार के सशस्त्र बल की कमान हो या लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना जैसी भ्रष्टाचार से निपटने वाली पुलिस, यहां अधिकारियों के प्रमोशन का इंतजार किया जा रहा है। आईए आपको बताएं कि भारतीय पुलिस सेवा के जिन 63 अधिकारियों को सरकार नजरअंदाज कर रही है, उनमें से किसके पास क्या जिम्मेदारी है।

मध्य प्रदेश पुलिस के सबसे वरिष्ठतम अधिकारियों में इस समय 1986 बैच के पुरुषोत्तम शर्मा हैं जो पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना से एक बैच सीनियर हैं। शर्मा काफी समय से निलंबित थे और हाल ही में उन्हें कैट से राहत मिली जिसके बाद वे बहाल किए गए। मगर अभी उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है। इसके बाद डीजीपी के बैचमेट शैलेष सिंह का नाम आता है जिन्हें पुलिस रिफार्म का काम सौंपा गया है। हालांकि शैलेष सिंह कुछ समय से पारिवारिक झगड़े की वजह से विवादों में हैं।
वल्लभ भवन काम की शैली पर सवाल
1988 बैच के आईपीएस कैलाश मकवाना का भी उपेक्षित अधिकारियों में नाम गिना जा सकता है क्योंकि उन्हें मई 2022 में जिस अध्यक्ष मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन से हटाकर लोकायुक्त विशेष पुलिस स्थापना में डीजी बनाया गया था, छह महीने बाद लोकायुक्त जस्टिस एनके गुप्ता से टकराव के चलते वापस वहीं पदस्थ कर दिया गया है। वल्लभ भवन की काम की शैली पर यहां एक सवाल खड़ा होता है कि मई 2022 से दिसंबर 2022 तक मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन का अध्यक्ष पद खाली रहा और दिसंबर तक किसी को सुध नहीं आई कि वहां किसी की पदस्थापना की जाए। जब मकवाना को लोकायुक्त से टकराव की वजह से हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई तो उनकी पदस्थापना के लिए पद की तलाश हुई और तब पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन का पद भर गया।
तबादले के छह महीने बाद काम सौंपा
परिवहन आयुक्त से हटाए गए विशेष महानिदेशक स्तर के अधिकारी मुकेश जैन को छह महीने तक कोई काम नहीं दिया गया। उन्हें बिना काम की सरकार तनख्वाह देती रही और कुछ समय पहले जिम्मेदारी दी गई। इसी तरह 1995 बैच के डॉ. मयंक जैन का 2014 से निलंबन चला आ रहा है और उनके मामले में कछुआ गति से कार्रवाई चल रही है। वहीं, 1994 बैच के आशुतोष राय को रेंज में एकमात्र फील्ड पोस्टिंग दी गई और अब पुलिस फायर सर्विस में पदस्थ कर दिया गया जहां कुछ घंटे का काम है।
जूनियर अफसरों की बल्ले-बल्ले
महानिदेशक से लेकर अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के 63 अफसरों में से 10 अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और शेष 53 अधिकारियों में से तीन लोग किसी न किसी वजह से निशाने पर होने से उपेक्षित हैं। मगर 50 अफसरों के बाद भी 30 हजार पुलिस अफसरों की फोर्स मध्य प्रदेश सशस्त्र बल की कमान देने के लिए प्रमोशन का इंतजार हो रहा है। यहां 1998 बैच के फऱीद शापू को जिम्मेदारी देने के लिए उन्हें फिलहाल आईजी बना दिया गया है। इसी तरह लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना में डीजी का प्रभार सीनियर एडीजी को देने से बचने के लिए वहां से विशेष महानिदेशक कैलाश मकवाना के तबादले के साथ 1990 बैच के केटी वाइफ को भी पीएचक्यू मे पदस्थ कर दिया गया। यहां 1996 बैच के योगेश चौधरी को पदस्थ किया गया है जो एक साल पहले ही एडीजी बने हैं।

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