मध्य प्रदेश देश का ह्रदय राज्य है और यहां सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा पूरी ताकते झोंक रही है तो कांग्रेस यूपी-बिहार की तरह मध्य प्रदेश के अपने हाथ से छिटकने से बचाने के लिए जी-जान लगा रही है। दोनों दलों का केंद्रीय नेतृत्व अकेले राज्य के नेताओं के भरोसे नहीं है और इसके साफ संकेत भाजपा की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी-अमित शाह तो कांग्रेस की ओर से राहुल-प्रियंका-खरगे के दौरे बनाए जा रहे हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
विधानसभा चुनाव का ऐलान अभी नहीं हुआ है लेकिन मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस की गतिविधियों से राज्य में चुनावी माहौल बनता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले महीने लगातार दो बार दौरे पर आए तो अमित शाह के दौरों का सिलसिला जारी है। वे बिना कार्यक्रम के भी यहां आने से अब परहेज नहीं कर रहे हैं। पिछले सप्ताह उन्होंने कुछ इसी तरह आकर प्रदेश के भाजपा नेताओं को अचंभित कर दिया था। अब उनका फिर बुधवार को भोपाल प्रवास पर आने का कार्यक्रम बताया जा रहा है। भाजपा मध्य प्रदेश को अपने हाथ से नहीं निकलने देने के लिए केवल मध्य प्रदेश के नेताओं के भरोसे नहीं है क्योंकि उसने चुनाव मैनेजमेंट के लिए दि्लली के अपने दो प्रतिनिधियों केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव व अश्विनी वैष्णव को भेज दिया है। केंद्रीय नेतृत्व मध्य प्रदेश के नेताओं को नाराज भी नहीं करना चाहता है और यही वजह से उसने इन दो मंत्रियों के ऊपर चुनाव प्रबंधन का संयोजक राज्य के नेता व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बना दिया है। मगर इस चुनाव प्रबंधन टीम ने जब यहां जिम्मेदारी संभाली तो प्रदेश सरकार के मुखिया सीएम शिवराज सिंह चौहान विकास पर्व के लिए दौरे पर निकल गए। इसके राजनीतिक जानकार अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं।
यूपी-बिहार बनने से बचाने कांग्रेस नेता जी-जान से जुटे
वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस भी कर्नाटक की जीत से जोश से भरे अपने कार्यकर्ताओं को प्रदेश में एक्टिव करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रही है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की इस बार सरकार नहीं बनी तो हालात उत्तर प्रदेश व बिहार जैसे बन सकते हैं। जिस तरह यूपी व बिहार में कांग्रेस को जीत के लिए दूसरे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करने की मजबूरी है, उस स्थिति से बचने के लिए कांग्रेस नेता जी जान से जुटे हैं।
प्रियंका का दूसरा तो राहुल का पहला दौरा होगा
कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए केवल राज्य के नेताओं के भरोसे चुनावी तैयारियां नहीं की हैं बल्कि हाईकमान ने अपने आंख-नाक-कान के रूप में टीम पीसीसी से लेकर ब्लॉक तक पहुंचा दी है। प्रियंका गांधी ने जबलपुर में नर्मदा पूजन कर चुनावी शंखनाद किया था और अब वे अपने घनिष्ठ साथी रहे भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के गृह क्षेत्र ग्वालियर में हुंकार भरने पहुंच रही हैं। 21 जुलाई को उनकी सभा के लिए प्रदेश के बड़े नेता नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, दिग्विजय सिंह, अजय सिंह, अशोक सिंह, जयवर्धन सिंह, डॉ. महेंद्र सिंह चौहान जैसे नेताओं की टीम ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाकर सिंधिया को चुनौती देने की कोशिश में है। हालांकि ग्वालियर में पिछले दिनों आप के अध्यक्ष व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान की रैली की भीड़ का रिकॉर्ड तोड़ना भी कांग्रेस के लिए चुनौती है। वहीं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भारत जोड़ो यात्रा कर जोश भरने वाले राहुल गांधी भी आदिवासियों के बीच आठ अगस्त को पहुंचने वाले हैं। वे विंध्य के शहडोल जिले के ब्यौहारी में जा रहे हैं। इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पिछले महीने पहुंचे थे।
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