MP के 12 CM के खिलाफ आ चुके अविश्वास प्रस्ताव, जानिये अविश्वास प्रस्तावों की तथा-कथा

मध्य प्रदेश में अब तक 18 नेता मुख्यमंत्री बन चुके हैं लेकिन इनमें से 12 सीएम के खिलाफ अब 28 अविश्वास प्रस्ताव लाए जा चुके हैं। इनमें से एक सीएम को तो पांच बार इनका सामना करना पड़ चुका है और छह ऐसे मुख्यमंत्री भी रहे हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल विपक्ष के ब्रह्मास्त्र अविश्वास प्रस्ताव के बिना ही पूरा कर लिया। सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह तेरहवीं विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाए थे और अभी नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने इसकी सूचना दी है। आइये आपको रूबरू कराते हैंमुख्यमंत्रियों के खिलाफ आए अविश्वास की एक रिपोर्ट।

मध्य प्रदेश के गठन के बाद से अभी शिवराज सिंह चौहान 28वें मुख्यमंत्री हैं। वे मुख्यमंत्री के रूप में चौथी पारी खेल रहे हैं जो अब तक राज्य के इतिहास में सबसे ज्यादा है। इसके पहले अर्जुन सिंह तीन बार सीएम रह चुके हैं। दो-दो बार मुख्यमंत्री रहे नेताओं में श्यामाचरण शुक्ल, मोतीलाल वोरा, सुंदरलाल पटवा, दिग्विजय सिंह के नाम आते हैं। इस तरह 66 साल के मध्य प्रदेश में अब तक 18 नेता सीएम की कुर्सी तक पहुंचे। मगर इनमें से केवल छह सीएम ऐसे रहे हैं जिनके खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सका।
अर्जुन सिंह के खिलाफ पांच बार अविश्वास प्रस्ताव आया
मध्य प्रदेश के तीन बार सीएम रहने वाले अर्जुन सिंह के खिलाफ विपक्ष पांच बार अविश्वास प्रस्ताव लाया था। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष सुंदरलाल पटवा ने अर्जुन सिंह के खिलाफ प्रस्ताव विधानसभा में लाए औऱ एक बार उनके साथ विधायक रमाशंकर सिंह भी प्रस्तावक बने। द्वारकाप्रसाद मिश्र के खिलाफ भी चार बार विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष वीरेंद्र सकलेचा, लक्ष्मीनारायण नायक, मदनलाल तिवारी अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। दिग्विजय सिंह के खिलाफ तीन बार विपक्ष की तरफ से नेता प्रतिपक्ष विक्रम वर्मा व गौरीशंकर शेजवार अविश्वास प्रस्ताव विधानसभा लेकर आए। इन मुख्यमंत्री के अलावा कैलाशनाथ काटजू, भगवतराव मंडलोई, गोविंदनारायण सिंह, श्यामाचरण शुक्ल, प्रकाशचंद सेठी, वीरेंद्र सकलेचा, मोतीलाल वोरा, सुंदरलाल पटवा और शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ विपक्ष विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ चुका है।
ये मुख्यमंत्री अविश्वास प्रस्ताव के घेरे में नहीं आए
प्रदेश के छह मुख्यमंत्री विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव से बचकर अपना कार्यकाल पूरा करने में कामयाब रहे। इनमें पंडित रविशंकर शुक्ल, राजा नरेशचंद्र सिंह, कैलाश जोशी, उमा भारती, बाबूलाल गौर और कमलनाथ शामिल हैं। हालांकि कमलनाथ की सरकार तो 15 महीने में ही गिर गई थी और उनके अपने ही 22 विधायकों उनसे असंतुष्ट होकर पार्टी छोड़ दी थी।

एक अविश्वास प्रस्ताव पहले ऐसे गिरा था
हालांकि शिवराज के खिलाफ लाए गए पहले अविश्वास प्रस्ताव के गिरने की परिस्थितियों को आज तक कांग्रेस भूल नहीं सकी है। उस समय नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह अविश्वास प्रस्ताव लाए थे लेकिन कांग्रेस विधायक दल के उप नेता चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी के भाजपा के साथ खड़े हो जाने से उसका बुरा हश्र हुआ था। हालांकि 47 विधायकों ने इसमें हिस्सा लेकर अपने विचार रखे थे।

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