MP के जीएडी-जेल विभाग की कछुआ चाल, पांच साल पहले बैठक-फैसला अब

मध्य प्रदेश में मंत्रालय के सबसे अहम सामान्य प्रशासन और जेल विभाग के काम की रफ्तार का अंदाज पिछले सप्ताह एक फैसले से लगाया जा सकता है। जेल विभाग से संबंधित एक बैठक पांच साल पहले हुई थी और उस बैठक में चर्चा के बाद जो निष्कर्ष निकलकर फैसला हुआ वह पिछले दिनों आदेश के रूप में जारी हो सका। जानिये यह क्या है मामला।

किसी भी प्रदेश की सरकार में सबसे सजग विभाग सामान्य प्रशासन माना जाता है और यह आपातकाल की स्थिति जैसा काम करता है। दिन हो या रात या अवकाश, कभी भी इसमें तैनात अधिकारी-कर्मचारी को कार्य पर बुलाया जा सकता है। इस विभाग ने पांच साल पहले हजारों लोगों से जुड़े व्यक्तियों का पारिश्रमिक बढ़ाने के लिए सुप्रीमकोर्ट के एक फैसले को अमल करने के लिए बैठक की थी लेकिन बैठक होने के बाद उस पर फैसला लेने में जीएडी, जेल विभाग को पांच साल लग गए।

पारिश्रमिक बढ़ाने से 21 हजार बंदियों को फायदा
जारी आदेश के मुताबिक सश्रम कारावास के बंदियों में से जेल उद्योगों में काम करने वाले कुशल बंदियों को आधा दिन के 120 रुपए पारिश्रमिक के स्थान पर 154 रुपए मिलेंगे तो अकुशल बंदियों का पारिश्रमिक 72 रुपए से बढ़ाकर 92 रुपए कर दिया गया है। कृषि कार्य में लगे बंदियों को छह घंटे के काम के बदले पारिश्रमिक के रूप में 72 रुपए से बढ़ाकर 92 रुपए दिया जाएगा। आज की स्थिति में मध्य प्रदेश की जेलों में सश्रम कारावास के 21 हजार बंदी हैं जिन्हें यह लाभ मिलेगा।
यह है मामला
पांच साल पहले 25 अप्रैल 2018 को सामान्य प्रशासन विभाग की जेल में सजा काटने वाले कैदियों के पारिश्रमिक को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। एसीएस की अध्यक्षता में यह बैठक हुई थी जिसमें गुजरात सरकार हाईकोर्ट गुजरात के फैसले की सुप्रीमकोर्ट में अपील पर 1998 में पारित एक आदेश के पालन पर विचार किया गया था। उस बैठक में सश्रम कारावास बंदियों के पारिश्रमिक को बढ़ाने का फैसला किया गया था लेकिन इसके बाद सरकार बदल गई और कमलनाथ सरकार आ गई। फिर 2020 में वह सरकार गिर भी गई और दोबारा भाजपा की सरकार आ गई। इस सरकार को तीन साल पूरे होने जा रहे हैं लेकिन आज तक सामान्य प्रशासन विभाग की उक्त बैठक की अनुशंसाओं पर फैसला नहीं हो सका। सात मार्च को जेल विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।

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