-
दुनिया
-
UNO के आह्वान पर JAYS ने मनाया विश्व आदिवासी दिवस, जल, जंगल और जमीन के प्रति जागरूक हुए आदिवासी
-
बागेश्वर सरकार की ज़िंदगी पर शोध करने पहुची न्यूजीलैंड के विश्वविद्यालय की टीम
-
Rahul Gandhi ने सीजफायर को BJP-RSS की सरेंडर की परंपरा बताया, कहा Modi करते हैं Trump की जी हुजूरी
-
ऑपरेशन सिंदूर ने बताया आतंकवादियों का छद्म युद्ध, प्रॉक्सी वॉर नहीं चलेगा, गोली चलाई जाएगी तो गोले चलाकर देंगे जवाब
-
मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेस-वे पर कामलीला, नेताजी की महिला शिक्षक मित्र संग आशिकी का वीडियो वायरल
-
MP की राजनीति में ठगे जाते रहे आदिवासी, नेतृत्व की मांग पर हाशिए गए ‘आदिवासी नेता’

(गणेश पाण्डेय) मध्य प्रदेश के आदिवासियों को 15 नवंबर 2021 का दिन हमेशा याद रखना चाहिए. इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासियों के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं और सौगाते दी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश के असल राजा आदिवासी रहे हैं, परंतु मध्य प्रदेश के गठन के बाद से ही आदिवासी राजनीतिक दलों के लिए वोट बैंक बनकर रह गए हैं. राजनीतिक दल चाहे वह कांग्रेस हो या फिर बीजेपी दोनों ने आदिवासी नेताओं को राजनीतिक मोहरे और उनके वोट बैंक हासिल करने के रूप में इस्तेमाल किया है.

(लेखक मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
चुनावी वर्ष में राजनीतिक दल आदिवासी राग अलापने रखते हैं किंतु सत्ता हासिल करने के बाद आदिवासी नेताओं की उपेक्षाओं का दौर शुरू हो जाता है. प्रदेश में आदिवासियों की जनसंख्या 21 पर्सेंट है और 122 विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका में है. विधानसभा चुनाव के 4 महीने शेष रह गए हैं. एक बार फिर कांग्रेस से आदिवासी नेतृत्व की मांग उठने लगी है. पूर्व मंत्री एवं आदिवासी युवा तुर्क उमंग सिंघार का कहना है कि आदिवासी सत्ता और संगठन में अपनी हिस्सेदारी चाहता है.
मध्य प्रदेश के विभाजन से लेकर अब तक चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो स्पष्ट हो जाता है कि प्रदेश की सत्ता की चाबी आदिवासियों के पास ही रही है. वर्ष 2018 के पहले तक आदिवासी वोट बैंक भाजपा के साथ रहा और भाजपा सत्ता में बनी रही. यानि 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले तक प्रदेश की आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 32 सीटों पर भाजपा और 15 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. जब मतदाताओं को लगा कि उनके नेताओं को भाजपा में भी सब्जी नहीं मिल रही है तब कांग्रेस की तरफ बढ़ा. 2018 के विधानसभा चुनाव में बाजी पलट गई. बीजेपी को महज 15 सीटे मिली और वह सत्ता से बाहर हो गई. राज्य में आरक्षित 47 सीटों के अलावा 75 सीटें ऐसी है, जहां आदिवासियों का वोट निर्णायक होता है. यह सीटें हैं, श्योपुर, विजयपुर, बदनावर, बमोरी, कोलारस, केवलारी, मांधाता, कोतमा, सेमरिया, सिरमौर, त्यौथर, नागौद, सिंगरौली, चुरहट, रामपुर बघेलान, गुढ़, पन्ना, सीधी, सिवनी, खातेगांव, बरगी, सिहावल, जबेरा, सिवनी मालवा, बुधनी, विजयराघवगढ़, पाटन, पिपरिया, पन्ना, मुड़वारा, परसवाड़ा, आमला, बैतूल, मुलताई, भोजपुर, बहोरीबंद, सिलवानी, देवरी, गोटेगांव, महू, खरगोन, कसरावद, महेश्वर, पवई, सिंगरौली, हरदा, मैहर, पनागर, अमरपाटन, मऊगंज, त्यौथर, चित्रकूट, छिंदवाड़ा, सौसर, चौरई, परासिया, चाचौड़ा, बीना सांची, बड़वाह, लांजी, कटंगी, पोहरी, जावद, पिछोर, खंडवा, बालाघाट, राघौगढ़, तेंदूखेड़ा नरसिंहपुर खुरई और शिवपुरी है.
आदिवासियों को रिझाने में लगे भाजपा और कांग्रेस
2018 विधानसभा चुनाव में आदिवासियों का वोट बैंक कांग्रेस में शिफ्ट हो गया था. अब सत्तारूढ़ दल बीजेपी आदिवासियों का वोट बैंक कबाड़ने के लिए साढ़े पांच लाख परिवारों को साड़ी, जूते-चप्पल, छाता और पानी का बॉटल बांटने जा रही है. इस पर करीब 260 साथ ही 15,000 से अधिक संयुक्त वन समितियों को 160 करोड़ रूपया काष्ठ लाभांश बांटने जा रही है. यही नहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान काष्ठ राजस्व का शत प्रतिशत राशि बांटने मंथन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में पेसा एक्ट लागू कर दी है किंतु पेसा एक्ट के नियम को लेकर आदिवासी वर्ग दुविधा में है. वह इसलिए कि इस एक्ट के नियम के अनुसार राज्य के आरक्षित 89 ब्लॉकों में खनिज के ठेके का निर्णय आदिवासी ग्राम पंचायत को दिया जाना चाहिए किन्तु प्रदेश में ऐसा नहीं है. कांग्रेस इसे चुनावी मुद्दा बनाकर आदिवासियों के बीच जा रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी आदिवासियों के लिए जाने के लिए तेंदूपत्ता संग्रहण कर्ताओं की मजदूरी बढ़ाने की घोषणा की है. आदिवासियों के खेतों पर खड़े पेड़ों को काटने और उन्हें बेचने संबंधित जटिल नियमों-प्रक्रियाओं को सरल करने जा रहे हैं. यानी आदिवासियों को अपने खेतों में खड़े काटने करने की अनुमति के लिए परियों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.
भाजपा व कांग्रेस में नहीं मिला आदिवासी नेताओं को एक्सपोजर
जब-जब आदिवासी नेताओं ने नेतृत्व के लिए अपनी आवाज बुलंद की, तब-तब उन्हें पार्टी की मुख्यधारा से हाशिए पर धकेल दिया गया. चाहे वह सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते हो या फिर दिवंगत नेता प्रतिपक्ष जमुना देवी. पिछले एक दशक से सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए तड़प रहे हैं किंतु दिल्ली से लेकर भोपाल तक किसी भी नेता ने उनकी बात नहीं सुनी. भाजपा ने केवल उनको अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली गई. महाकौशल के मुखर आदिवासी नेता ओम प्रकाश धुर्वे और आदिवासी सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते का राजनीतिक पुनरुत्थान नहीं हो पाया. आदिवासी हितों की बात करने पर ओम प्रकाश धुर्वे को शिवराज सिंह मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा कर दिया गया. यही नहीं, फग्गन सिंह कुलस्ते द्वारा प्रदेश अध्यक्ष बनने की इच्छा जताने के बाद उन्हें हाशिए पर धकेलने की साजिश आज तक चल रही है. उनके स्थान पर नए आदिवासी नेताओं को प्रोजेक्ट किया जाने लगा है. भाजपा में सबसे वरिष्ठ आदिवासी नेता एवं मंत्री विजय शाह है पर उन्हें भी प्रदेश की राजनीति में आदिवासी नेता के रूप में एक्सपोजर नहीं मिल पाया है. विंध्य की महिला आदिवासी नेता मीना सिंह हो या फिर पूर्वी निमाड़ की रंजना बघेल बीजेपी में मोहरे बनकर रह गई है. आदिवासी मतदाताओं को उम्मीद थी कि उनके नेताओं को बीजेपी में उन्हें एक्सपोजर मिलेगा. यही वजह थी कि कांग्रेस का वोट बैंक 2018 विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी में शिफ्ट हो गया और यही कारण रहा कि भाजपा की लगातार मध्य प्रदेश में सरकार बनी रही. 2018 के चुनाव में आदिवासी मतदाता भाजपा से निराश हुआ और वह कांग्रेस की ओर रुख कर गया. परिणाम कांग्रेस सत्ता में आ गई. यह बात अलग है कि 15 महीने के बाद कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई. लेकिन इस बीच कांग्रेस ने दबंग आदिवासी नेताओं की उपेक्षा शुरू हो गई. मसलन, आदिवासी युवा तुर्क उमंग सिंघार के बढ़ते राजनीतिक के बढ़ते कद को हाशिए पर धकेलने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जयस नेता एवं विधायक डॉ हीरालाल अलावा और युवा कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ विक्रांत भूरिया को आदिवासी नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं. शायद यही वजह है कि पिछले दिनों कांग्रेस कार्यालय में संपन्न आदिवासी विकास परिषद की बैठक में उमंग सिंघार ने कहा कि ” जिस सियासत की विरासत हम हैं.. सियासत की विरासत भी हम करेंगे.
Posted in: bhopal news, Uncategorized, अन्य, आपकी आवाज, हमारी कलम, देश, मध्य प्रदेश, मेरा मध्य प्रदेश, राज्य
Tags: bhopal, bhopal breaking news, bhopal hindi news, bhopal khabar, bhopal khabar samachar, bhopal latest news, bhopal madhya pradesh, bhopal madhya pradesh india, bhopal madhyya pradesh india, bhopal mp, bhopal mp india, bhopal news, Bhopal news headlines, bhopal news hindi, bhopal news in hindi, bhopal news online, bhopal samachar, bhopal today, bhopal viral news, bhopalnews, breaking news, hindi breaking news, MP Breaking news, MP NewsMP Breaking news
Leave a Reply