मध्य प्रदेश के सरकारी विभागों में जहां एक तरफ अधिकारियों व कर्मचारियों को पदोन्नति नहीं मिल पा रही है वहीं दूसरी तरफ लोक निर्माण विभाग में एक इंजीनियर को एक पद नहीं बल्कि दो पद ऊपर का प्रभार सौंप दिया गया है। यह आदेश बाकायदा लोक निर्माण विभाग के मंत्रालय में बैठे आला अधिकारियों के विचार विमर्श के बाद जारी हुआ है। पढ़िये कौन है यह अधिकारी और किस फील्ड पोस्टिंग में हुई यह गड़बड़ी।
मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग में पिछले दिनों चार अधिकारियों के तबादला आदेश जारी किए गए थे जिनमें तीन अधीक्षण यंत्री थे जो प्रभारी मुख्य अभियंता के रूप में कार्य कर रहे थे और एक कार्यपालन यंत्री हैं जो अधीक्षण यंत्री के तौर पर पदस्थ थे। अधीक्षण यंत्री जीपी वर्मा प्रभारी मुख्य अभियंता भवन पीडब्ल्यूडी इंदौर से प्रभारी मुख्य अभियंता पीडब्ल्यूडी सेतु परिक्षेत्र भोपाल के पद पदस्थ किए गए लेकिन उनकी रिक्त हुए पद पर किसी अन्य अधिकारी को स्वतंत्र प्रभार नहीं सौंपा गया। उनके प्रभारी मुख्य अभियंता भवन पीड्ब्ल्यूडी इंदौर के कामकाज को इंदौर के प्रभारी अधीक्षण यंत्री पीड्ब्ल्यूडी रोड की जिम्मेदारी संभाल रहे मकराम सिंह रावत को प्रभारी अधीक्षण यंत्री भवन के रूप में जिम्मेदारी दे दी गई। मगर मकराम सिंह रावत के ऊपर प्रभारी मुख्य अभियंता नहीं पदस्थ किया गया और वे कार्यपालन यंत्री होने के बावजूद प्रभारी मुख्य अभियंता की तरह इंदौर पीडल्ब्यूडी भवन का काम कर रहे हैं। हालांकि प्रभारी मुख्य अभियंता इंदौर पीडब्ल्यूडी भवन की जिम्मेदारी संबंधी आदेश राज्य शासन की ओर से जारी नहीं किए गए हैं लेकिन मरकाम सिंह काम उसी पद के विरुद्ध कर रहे हैं।
रावत का व्यापम घोटाले से भी संबंध
यहां उल्लेखनीय है कि मरकाम सिंह रावत का व्यापमं घोटाले से एक संबंध हैं। उनकी बेटी का नाम व्यापमं घोटाले के प्री मेडिकल टेस्ट के एक अपराध में शामिल है। रावत की बेटी ने एमबीबीएस कर लिया है और उनकी सरकारी नौकरी भी लग चुकी है लेकिन उनके व्यापमं घोटाले का मामला अभी चल रहा है।
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