Category Archives: आपकी आवाज, हमारी कलम

इंदौर की भारी-भरकम टीम, फिर भी कमलनाथ का इंदौर नेगेटिव कनेक्शन… पढ़िये रिपोर्ट

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी और पीसीसी चीफ कमलनाथ के बंगले की टीम में इंदौर के भारी-भरकम लोग हैं लेकिन वहीं उनकी दो बार नेगेटिव पब्लिसिटी हुई। इतने वजनदार लोगों की टीम भी इंदौर में अपने नेता कमलनाथ के लिए पॉजिटिव माहौल बना नहीं पाई है। पढ़िये रिपोर्ट की कौन कौन हैं पीसीसी व उनके बंगले की टीम में इंदौर और उस शहर से सीधे जुड़े लोग।

‘अजय सिंह’ ने संभाली अर्जुन सिंह की राजनीतिक विरासत, छह बार विधायक रहे

अर्जुन सिंह जो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के अलावा केंद्र सरकार में मंत्री और राज्यपाल रहे, आज उनकी राजनीतिक विरासत उनके पुत्र अजय सिंह संभाल रहे हैं। वे 23 सितंबर को 69 साल के हो रहे हैं और अब तक वे छह बार विधायक व दो बार नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। राजनीतिक विरासत संभालते हुए अपने पिता की तरह वे भी विंध्य में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा बन चुके हैं जिन्हें 2018 में हार का सामना करना पड़ा था और कई क्षेत्रीय लोगों ने बाद में कमलनाथ सरकार बनने पर दबी जुबान में अपनी गलती स्वीकार की थी। पढ़िये रिपोर्ट।

उमंग बेदागः चक्रव्यूह से निकले, अब पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी, आदिवासी युवा नेतृत्व का कांग्रेस में विकल्प

मध्य प्रदेश कांग्रेस में युवा आदिवासी चेहरा और पूर्व मंत्री उमंग सिंघार अपने ऊपर लगे महिला उत्पीड़न के मामले से बेदाग निकल आए हैं। हाईकमान के नजदीक होने की वजह से अब उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना है क्योंकि आदिवासी युवा नेतृत्व में उमंग कांग्रेस में मजबूत विकल्प हैं। पढ़िये रिपोर्ट।

अब सोनी सब पर कश्मीर में फिल्माई गई छोटे पर्दे की कहानी, पश्मीना- धागे मोहब्बत के

कश्मीर में एक समय फिल्मों की ज्यादातर शूटिंग होती थीं लेकिन काफी समय से यह सिलसिला थम सा गया था। अब सोनी सब पर कश्मीर में फिल्माई गई छोटे पर्दे की एक प्रेम कहानी जल्द आने वाली है। पश्मीना- धागे मोहब्बत के, में कश्मीर की सुंदर झील और वहां की खूबसूरती को देखने को मिलेगा। पढ़िये रिपोर्ट।

वन नेशन वन इलेक्शनः सवाल, तो क्या 6 महीने के लिए टाल दिए जाएंगे 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह अचंभित करने वाले फैसले लेते जा रहे हैं, उससे यह विषय लोगों के दिलोदिमाग में कौंध रहा है कि कहीं वन नेशन वन इलेक्शन का फैसला भी यह सरकार कभी नहीं कर दे। ऐसे में कई तरह के सवाल लोगों के मन में घर करते जा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों में नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव का क्या होगा। इस मुद्दे पर राजनीतिक रणनीतिकार अतुल मलिकराम की विशेष रिपोर्ट पढ़िये।

एक और IFS अनियमितता-महिला प्रताड़ना में फंसेंगे, खरीदी बैन दवाई, जांच शुरू, रिपोर्ट इसी सप्ताह

मध्य प्रदेश में आईएफएस का ट्रैक रिकॉर्ड दूसरी अखिल भारतीय सेवा से खराब रहा है और कोई न कोई आईएफएस अधिकारी हर साल किसी न किसी अनियमितता या महिला संबंधी आरोपों के कटघरे में फंसता रहा है। इस बार एक डीएफओ इसके घेरे में आते नजर आ रहे हैं। अनूपपुर के डीएफओ के खिलाफ बैन दवाइयां खरीदने, महिला प्रताड़ना के आरोप हैं जिनकी जांच में बयान भी दर्ज हो गए हैं। कुछ समय पहले ही एक सीनियर आईएफएस अधिकारी मोहन मीणा को महिला की प्रताड़ना के मामले में निलंबन का सामना भी करना पड़ा था। पढ़िये घटना की पूरी रिपोर्ट।

भाजपा का साथ छोड़ते नेता, शिवराज-वीडी-सिंधिया बन रहे वजह

मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार को 19 साल हो रहे हैं और चार बार सरकार में रहने की वजह से पार्टी में दो दशक के भीतर कई दलों से नेताओं की भीड़ पहुंच गई है। अब तक जो भीड़ भाजपा में जाने वालों की लगी रहती थी, वही कमोबेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी को छोड़ने वालों की लग रही है। इस भीड़ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही नहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा व कांग्रेस से भाजपा में पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति नाराज लोगों की भी है जो अब रुकने पर रुक नहीं रही है। पढ़िये इसी पर विशेष रिपोर्ट।

महिलाओं की भागीदारी से राजनीति से दूर हो सकते हैं अपराधीकरण-भ्रष्टाचार

23 साल बाद आज जब कुछ राज्यों में विधानसभा और लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो एक बार फिर पूरे देश में महिला आरक्षण का मुद्दा बनाया जाने लगा है। चर्चा यह भी है कि विशेष सत्र में इस विधेयक को लोकसभा में फिर से प्रस्तुत किया जा रहा है। सांसद और विधानसभा में महिलाओं की वर्तमान स्थिति को लेकर प्रस्तुत एक रिपोर्ट, जो यह कहती है कि महिलाओं का सांसद और विधानसभा में प्रतिनिधित्व कम होने लगा है। पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार गणेश पांडेय की रिपोर्ट।

जातीय समीकरण में उलझते नेता, दावेदारों का गणित कहीं ब्राह्मण से तो ठाकुर-यादव-मुस्लिम से रहा बिगड़

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अभी तक प्रत्याशियों की पहली सूची ही फाइनल नहीं कर पाई। कई जिलों में ब्राह्मण, ठाकुर, यादव और मुस्लिम समीकरणों से कुछ नेताओं की चुनावी राजनीति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पढ़िये रिपोर्ट।

‘काम पर फोकस करें, बाकी टेंशन कंपनी पर छोड़ दें’

काम पर फोकस करें, बाकी टेंशन कंपनी पर छोड़ दें। यह एक अच्छी कंपनी की पहचान है क्योंकि कंपनी में काम करने वाला कामकाजी उसके ऑफिस में उसके जीवन में कहीं भी जगह से ज्यादा समय गुजरता है। इसलिए आप सिर्फ काम पर फोकस करें, बाकी टेंशन कंपनी पर छोड़ दीजिए। एक कामकाजी आम नागरिक सबसे ज्यादा वक्त कहाँ बिताता है? घर, मार्केट या रिश्तेदारों में? शायद इनमें से कहीं नहीं… क्योंकि दिन में उसका सबसे अधिक समय उसके ऑफिस या काम की जगह पर ही जाता है। यह बात मोटिवेशनल स्पीकर अतुल मलिकराम ने कही है।

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