भाजपा के एक पूर्व विधायक ने विधायक निधि को अपने ही व्यक्तिगत कार्य के लिए खर्च कर लिया। इसका खुलासा तब हुआ जब लोकायुक्त ने एक शिकायत की जांच में उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच की और तथ्यात्मक रूप से आरोप सही पाए जाने पर अब एफआईआर दर्ज हुई है। यही विधायक हैं जिनका भाजपा ने टिकट काट दिया था तो खुद को उन्होंने पाक साफ बताते हुए पार्टी नेतृत्व के फैसले को अनुचित ठहराया था और वीडियो बयान में कहा था कि नेतृत्व को उनकी वरिष्ठता और बेदाग राजनीतिक जीवन को देखते हुए एकबार उनसे बात कर ली जाती, फिर टिकट का फैसला लिया जाता। पढ़िये रिपोर्ट।
भाजपा के यह पूर्व विधायक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह नगर उज्जैन के हैं और उज्जैन की उत्तर विधानसभा सीट जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इनका नाम पारस जैन है। इनके खिलाफ लोकायुक्त ने पद के दुरुपयोग और धोखाधड़ी, षड़यंत्र रचने का मामला दर्ज किया है। उनके साथ लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण यंत्री राजेंद्र जैन, कार्यपालन यंत्री जीपी पटेल व गौतम अहिरवार, एसडीओ श्रीमती सीमा सागर व संदीप बेनीवाल, सब इंजीनियर शरद त्रिपाठी, जिला सांख्यिकी अधिकारी डॉ. राजश्री सांकले को भी आरोपी बनाया गया है।
मामला कुछ इस प्रकार का है। उज्जैन के पांड्याखेड़ी गांव में पारस जैन ने पद का दुरुपयोग करते हुए सिलिंग की 15 बीघा जमीन पत्नी अंगूरबाला जैन तथा कॉटन मर्चेंट शैक्षणिक एवं परमार्थिक न्यास के नाम से 80 लाख रुपए में खरीदी थी। यही नहीं पारस जैन ने विधायक का रौब जमाते हुए इससे लगी नाले किनारे की दो बीघा सरकारी जमीन पर भी कब्जा कर लिया था। उन्होंने अपनी विधायक निधि से नाले किनारे और अपनी जमीन के चारों तरफ 81 लाख रुपए खर्च कर बाऊंड्रीवॉल बनवा ली। कुल मिलाकर शिकायत की प्रारंभिक जांच में पारस जैन द्वारा 153.72 लाख रुपए की विधायक निधि को पद के दुरुपयोग करके खर्च किए जाने के साक्ष्य सामने आ चुके हैं।
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