मध्य प्रदेश में मुख्य सचिव के बाद अब एक दिसंबर से नया पुलिस महानिदेशक आ जाएगा लेकिन जिस तरह मुख्य सचिव अनुराग जैन का फैसला आखिरी दिन अंतिम क्षणों तक रहस्यमय बना हुआ था, वही परिस्थितियां डीजीपी को लेकर बनती नजर आ रही हैं। सीएस की तरह डीजीपी के चयन में भी दिल्ली की चलेगी या मध्य प्रदेश इस बार फैसला लेगा, यह रहस्य बरकरार है। पढ़िये दिल्ली की चली तो कौन होगा डीजीपी और मध्य प्रदेश फैसला लेगा तो कौन पुलिस प्रमुख की कमान संभालेगा।
मध्य प्रदेश में जिस तरह वीरा राणा की मुख्य सचिव से विदाई के अंतिम दिन 30 सितंबर को मध्यान्ह तक किसी को पता नहीं था कि कौन मुख्य सचिव बनने जा रहा है और मध्यान्ह में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ अनुराग जैन का ऑर्डर हुआ। इसी तरह 30 नवंबर को डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना रिटायर होने जा रहे हैं लेकिन अब तक पैनल के जाने-तीन नाम की पैनल लौटने जैसी खबरें सुर्खियां बन रही हैं। कौन एक दिसंबर को मध्य प्रदेश का डीजीपी का चार्ज लेगा, यह नाम अब तक फाइनल हुआ है या नहीं, कोई अधिकृत रूप से ठोस ढंग से बताने की गारंटी नहीं ले रहा है।
दिल्ली से फैसला होगा तो यह हो सकता है….
मध्य प्रदेश के नए डीजीपी का फैसला दिल्ली से होगा तो कौन अधिकारी इस कुर्सी पर बैठेगा, यह कयास लगाए जाने लगे हैं। दिल्ली से फैसला होने की स्थिति में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहे 1988 बैच के वरिष्ठतम अधिकारी अरविंद कुमार के नाम की चर्चा है। वे सात साल तक आईटीबीपी में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ रहे और 2020 में मध्य प्रदेश कैडर में उनकी वापसी हुई है। दिल्ली की केंद्रीय सरकार उनके कामकाज से अच्छी तरह वाकिफ है और अरविंद कुमार भी केंद्रीय सरकार की प्राथमिकताओं व कामकाज से परिचित हैं। ऐसे में दिल्ली की पसंद अरविंद कुमार के रहने की संभावना है। मगर यह भी कहा जा रहा है कि दो अन्य दावेदार अरविंद कुमार के ही बैचमेट कैलाश मकवाना और 1989 बैच के अजय शर्मा भी डीजीपी बनने की दौड़ शुरू होने के बाद दिल्ली दरबार में हाजिरी दे चुके हैं और अपने डीजीपी बनने का दावा ठोक चुके हैं।
मध्य प्रदेश से फैसला होगा तो यह हो सकता है….
वहीं, दिल्ली के बजाय नए डीजीपी का मध्य प्रदेश से ही फैसला होगा तो कैलाश मकवाना या अजय शर्मा में से किसी एक की किस्मत चमक सकती है। मकवाना उज्जैन से हैं और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उन्हें पूर्व लोकायुक्त जस्टिस एनके गुप्ता द्वारा सीआर खराब करने की कोशिश को नंबर बढ़ाकर शासकीय सेवा के रिकॉर्ड को अच्छा बनाए रखने में उनका साथ दे चुके हैं। उज्जैन अपने गृह नगर के अधिकारी को डीजीपी बनाकर वे शहर को गौरवांवित भी कर सकते हैं। वहीं, 1989 बैच के अजय शर्मा को उनकी अब तक साफ छवि का इनाम देकर भी मुख्यमंत्री उन्हें यह जिम्मेदारी दे सकते हैं। मगर मध्य प्रदेश के इस बारे में फैसला लेने की स्थिति में कैलाश मकवाना व अजय शर्मा में से मकवाना का पलड़ा भारी माना जा रहा है।
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