मध्य प्रदेश में लोकसभा सीट पर भाजपा को खजुराहो सीट पर खुला मैदान मिल गया है। यहां इंडिया गठबंधन के तहत सीट बंटवारे में समाजवादी पार्टी ने मीरा यादव को प्रत्याशी बनाया था और उनका नामांकन छंटनी के दौरान निरस्त हो गया है। नामांकन पर्चा निरस्त होने के पीछे कारणों का जानने की कोशिशें हो रही हैं जिसमें तमाम शंका-कुशंकाएं उभर रही हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
विपक्ष के इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे के तहत कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने 17 सीटें दी थीं तो पार्टी ने मध्य प्रदेश में खजुराहो सीट मांगी थी। मगर खजुराहो सीट पर कुछ दिन पहले तक प्रत्याशी नहीं मिल रहा था और बिजावर से विधानसभा चुनाव में रेखा यादव से पहले प्रत्याशी बनाए जाने वाले डॉ. मनोज यादव को छह दिन पहले प्रत्याशी घोषित किया। मगर मनोज यादव ने पार्टी के इस फैसले को अनमने ढंग से स्वीकार किया और मीडिया को लोकसभा चुनाव प्रत्याशी बनाए जाने के बाद आश्चर्य जताते हुए बयान भी दिए थे। इसके 48 घंटे बाद ही सपा ने प्रत्याशी बदलकर मीरा यादव को टिकट देने का ऐलान किया और मनोज यादव को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी गई।
मीरा यादव के नामांकन पत्र में कमी पर शंकाएं
मीरा यादव विधायक रह चुकी हैं और उनके नामांकन पत्र में कमी रह जाने को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के सामने लोकसभा चुनाव लड़ने की चुनौती और पार्टी के एक प्रत्याशी बदलकर उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने की रणनीति से समाजवादी पार्टी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इन सवालों के जवाब फिलहाल नहीं मिल रहे हैं लेकिन जब भी खुलासा होगा तो बड़ा धमाका हो सकता है।
विदिशा जैसी स्थिति बनी
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में भाजपा को प्रमुख विपक्षी दल के किसी प्रत्याशी के बिना खुला मैदान 2009 में भी मिल चुका है। उस समय भाजपा की ओर से सुषमा स्वराज चुनाव मैदान में थीं और कांग्रेस की ओर से राजकुमार पटेल प्रत्याशी बनाए गए थे। तकनीकी कारणों से कांग्रेस प्रत्याशी पटेल चुनाव मैदान से बाहर हो गए थे और भाजपा की प्रत्याशी सुषमा स्वराज रिकॉर्ड मतों से जीतकर लोकसभा पहुंची थीं।
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