भोपाल में “अंतर्राष्ट्रीय कठिन चीवर दान समारोह”

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में शनिवार 18 अक्टूबर को इतिहास रचने जा रही है। चुनाभट्टी स्थित बुद्धभूमि महाविहार मॉनेस्ट्री (गोल्डन बुद्ध प्रतिमा परिसर, कोलार रोड) में कल दोपहर 12:30 बजे से प्रारंभ हो रहा है — “अंतर्राष्ट्रीय कठिन चीवर दान समारोह – 2025” यह पहली बार है जब मध्यप्रदेश की धरती पर इतना भव्य और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध समारोह आयोजित किया जा रहा है। यह आयोजन दी बुद्धभूमि धम्मदूत संघ, भोपाल के तत्वावधान में एवं धम्मकाया फाउंडेशन (थाईलैंड) तथा वर्ल्ड एलायंस ऑफ बुद्धिस्ट्स (WAB) के विशेष सहयोग से आयोजित हो रहा है।

विश्व के प्रमुख धर्मगुरु और अतिथि उपस्थित – इस ऐतिहासिक अवसर पर थाईलैंड, वियतनाम, बांग्लादेश, ताइवान और श्रीलंका सहित कई देशों के धर्मगुरु एवं विद्वान उपस्थित रहेंगे। प्रमुख अतिथियों में शामिल हैं – डॉ. सनीत्वोंग चारोएनरत्तावोंग (निदेशक, जनसंचार विभाग, धम्मकाया फाउंडेशन, थाईलैंड), डॉ. पोरनचाई पलवधम्मो पिन्यापोंग (अध्यक्ष, वर्ल्ड एलायंस ऑफ बुद्धिस्ट्स, थाईलैंड), थिंग थुई थोंग (अध्यक्ष, सम्बुद्ध ग्लोबल फाउंडेशन, वियतनाम) , डॉ. मिथिला चोधरी, अध्यक्ष – WABY, थाईलैंड, डॉ. सबुज बरुआ, उपाध्यक्ष – WAB, बांग्लादेश , किटुन्या सिरिखाम, धम्म–सेवीका, थाईलैंड, सुश्री HSU TZU-LIEN, धम्म–सेवीका, ताइवान एवं अन्य भिक्षु संघ.
कठिन चीवर दान का अर्थ – वर्षावास (चातुर्मास) के समापन पर भिक्षु संघ को श्रद्धा और कृतज्ञता से वस्त्र अर्पित करने की परंपरा को कठिन चीवर दान कहा जाता है। इसे बौद्ध धर्म का सर्वोच्च पुण्य दान माना जाता है। यह करुणा, दया और मानवता की भावना को पोषित करने वाला उत्सव है।
कार्यक्रम क्रम :

12:00 PM – अतिथियों का आगमन एवं स्वागत,

12:30 PM – कोलार तिराह से बुद्धभूमि महाविहार तक कठिन चीवर दान रैली

1:00 PM – धम्म ध्वजारोहण एवं दीप प्रज्वलन, बुद्ध वंदना एवं महापरित्राण पाठ,

1:30 PM – धम्मकाया फाउंडेशन द्वारा कठिन चीवर दान अर्पण,

2:00 PM – थाई भिक्षु संघ व अतिथियों के आशीर्वचन,

2:30 PM – भारतीय भिक्षु संघ व अतिथि प्रवचन,

3:00 PM – भोपाल के 38+ बुद्ध विहार महिला मंडलों द्वारा चीवर दान,

3:30 PM – भारत–थाईलैंड बौद्ध मैत्री विषय पर विशेष संबोधन,

4:00 PM – सांस्कृतिक प्रस्तुति व सामूहिक मैत्री भोज (Dana)
धम्म–बंधुत्व और मानवता का उत्सव- कार्यक्रम संयोजक भंते राहुलपुत्र ने बताया कि– “यह आयोजन केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि करुणा, समानता और मानवता के धम्म–सिद्धांतों को विश्व तक पहुँचाने का अवसर है।” भंते शाक्यपुत्र सागर थेरो, जिनका यह 25वाँ वर्षावास समापन है, यह –“कठिन चीवर दान करुणा और त्याग का प्रतीक है। यह समारोह विश्व बौद्ध एकता और भारत–थाई मैत्री का नया अध्याय लिखेगा।”

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