मध्य प्रदेश में किसानों की मदद के लिए बनाई गई सरकारी योजनाओं को सरकारी मशीनरी पलीता लगा रही हैं। अफसरों को न सीबीआई का डर है, न लोकायुक्त या सीएम हेल्प लाइन में शिकायत पर एक्शन का। गुना, विदिशा और डिंडौरी में कपिलधारा, प्रधानमंत्री मत्स्य योजना व किसान क्रेडिट कार्ड से आर्थिक मदद में भ्रष्ट तंत्र की तीन तस्वीरों से यह सामने आया है। पढ़िये रिपोर्ट।
किसानों की मदद के लिए कई सरकारी योजनाएं हैं लेकिन किसानों को योजनाओं की पूरी राशि मिलने में सरकारी तंत्र में कई तरह की बाधाएं आती हैं। पिछले एक सप्ताह में ऐसे तीन मामलों से यह बात सामने आई है। सीएम हेल्प लाइन में गुना के चांचौड़ा में भगवत मीणा के किसान ने कपिलधारा में स्वीकृत राशि नहीं मिलने की शिकायत की थी। जनपद पंचायत के सीईओ गगन बाजपेयी के पास अपनी शिकायत की अपडेट लेने गई थी लेकिन उसे देखकर सीईओ का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया। भगवत मीणा को गगन बाजपेयी ने कॉलर पकड़कर धक्का देते हुए कार्यालय में लेकर पीटा।
प्रधानमंत्री मत्स्य योजना के हितग्राही से रिश्वत
विदिशा के गंजबासौदा में एक किसान मछली का धंधा भी करता था जिसके लिए उसने प्रधानमंत्री मत्स्य योजना से एक लाख 80 हजार रुपए की राशि स्वीकृत कराई थी। मगर इस राशि में से 50 हजार रुपए मत्स्य सहायक संचालक संतोष दुबे ने रिश्वत में मांगी जिसमें लोकायुक्त पुलिस ने एक्शन लेकर रंगेहाथों पकड़ लिया।
किसान क्रेडिट कार्ड में बैंक ऑफिसर ने मांगी रिश्वत
डिंडौरी में किसान क्रेडिट कार्ड पर एक किसान सत्यम दुबे को एक लाख 64 हजार रुपए स्वीकृत हुए थे लेकिन उसे देने के लिए बैंक में रिश्वत की मांग की गई। सत्यम दुबे का प्रकरण सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में था जिसके गोरखपुर ब्रांच मैनेजर राहुल राजपूत ने केसीसी पर स्वीकृत राशि देने के लिए आठ हजार रुपए की मांग की थी। सीबीआई ने बैंक मैनेजर को रंगेहाथों पकड़कर गिरफ्तार किया।
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