मध्य प्रदेश शासन को इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) के नाम पर किसी व्यक्ति ने फर्जी पत्र भेजकर ऐसा चमकाया कि अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। कुछ महीने पहले जब मध्य प्रदेश शासन को ईडी के नाम पर भेजे गए पत्र के फर्जी होने का तथ्य पता चला तो एक महीने बीतने के बाद भी अब तक राज्य शासन की ओर से पुलिस एक्शन लिया गया है। न ही ईडी ने अपने नाम का दुरुपयोग कर किसी राज्य शासन को भ्रमित करने के मामले में किसी तरह की कार्रवाई की है। इससे प्रशासनिक गलियारों में संदेह व्यक्त किया जाने लगा कि कहीं इसमें मध्य प्रदेश शासन के अधिकारियों की तो यह करतूत नहीं है जो पुलिस एक्शन निर्णय लेने में अहम भूमिका रखते हैं और पुलिस एक्शन होने पर सब सच सामने आने से भयभीत हों। आईए बताते हैं क्या है मामला।
यह मामला लोक निर्माण विभाग से जुड़ा है और इसमें शामिल अधीक्षण यंत्री एआर सिंह हैं जिनकी पत्नी कांग्रेस की नेता हैं व टीकमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ चुकी हैं। इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) का एक पत्र अगस्त 2022 में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई के नाम से राज्य शासन को मिला था। इसमें मनी लांड्रिंग और शासकीय सेवक द्वारा अवैध रूप से कमाई की संपत्ति के समायोजन की शिकायत की गई थी। इस पत्र के मिलने के बाद से एआर सिंह को कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई।
फरवरी में ईडी ने माना उनका पत्र नहीं अगस्त 2022 के पत्र के बाद ईडी की तरफ से काफी समय तक कोई एक्शन नहीं हुआ और एआर सिंह भी जिम्मेदारी देने के लिए राज्य शासन में अपनी बात रखते रहे तो उन्हें उसी दौरान ईडी के पत्र के बारे में जानकारी लगी। इसके बाद ईडी के पत्र की सत्यता को लेकर पड़ताल में सामने आया कि वहां से ऐसा कोई पत्र ही जारी नहीं हुआ है। इसके बारे में राज्य शासन को फरवरी 2023 में ईडी ने पत्र भेजा।
दो महीने फर्जी पत्र पर पीडब्ल्यूडी का टालमटोल एक्शन ईडी द्वारा 16 फरवरी 2023 को पत्र भेजकर 26 अगस्त 2022 के पत्र की सत्यता की जानकारी शेयर की गई थी जिसमें केंद्रीय जांच एजेंसी ने पत्र को फर्जी बताया था। इसके बाद दो महीने तक मध्य प्रदेश शासन के लोक निर्माण विभाग के अधिकारी उसे फाइलों में दबाकर रखे रहे और इसके बाद 13 अप्रैल को लोक निर्माण विभाग के अपर सचिव ने पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर इन चीफ (प्रमुख अभियंता) को इस पर एक्शन लेने के लिए पत्र लिखा लेकिन प्रमुख अभियंता कार्यालय से भी एक महीने बाद अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। न ही इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) ने अपने नाम पर किसी राज्य सरकार को पत्र लिखने वाले व्यक्ति का पता लगाने के लिए किसी भी प्रकार की कार्रवाई की है।
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