ढाई दशक से सत्ता से बाहर होने के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने संगठन को मजबूत करने के लिए संगठन सृजन अभियान के माध्यम से जमीनी स्तर और नया नेतृत्व प्रदान करने के लिए जो प्रयास किया था, वह जिला अध्यक्षों की सूची आने के बाद लगता है कि अभियान राजनीति का शिकार हो गया है। कांग्रेस की गुटीय राजनीति के नेताओं को कमजोर करते हुए उनके विरोधियों को जिलों की कमान दे दी गई है तो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महत्वपूर्ण पदों पर काम करने वालों को जिलों की जिम्मेदारी दी गई है। पढ़िये रिपोर्ट।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में संगठन को मजबूत करने के लिए संगठन सृजन अभियान के माध्यम से जिला अध्यक्षों की नियुक्ति का फैसला किया था। इसी सोच के तहत मध्य प्रदेश के साथ हरियाणा में अभियान चलाया और हरियाणा में पिछले दिनों जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की गई थी मगर मध्य प्रदेश के संगठन सृजन अभियान का रिजल्ट श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन आज जिला अध्यक्षों का ऐलान किया गया। मध्य प्रदेश कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की सूची को देखने के बाद यह साफ दिखाई दे रहा है कि उसमें दिग्गजों को कमजोर करने के लिए विरोधियों को आगे बढ़ाया गया है। दिग्विजय सिंह के विधायक पुत्र जयवर्धन सिंह और रिश्तेदार पूर्व विधायक प्रियव्रत सिंह को जिलों की कमान सौंप दी गई है जबकि इन नेताओं के नाम पीसीसी अध्यक्ष के रूप में समय समय पर सुर्खियां बनते रहे हैं। प्रियव्रत सिंह तो युवा कांग्रेस अध्यक्ष, पीसीसी संगठन प्रभारी उपाध्यक्ष, पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं। बुंदेलखंड में घोषित जिला अध्य़क्षों में टीकमगढ़ के नवीन साहू का जिले में कई बार विरोध हो चुका है तो छतरपुर में राजनीतिक पकड़ नहीं होने के बाद भी गगन यादव को जिम्मेदारी देने की बातें सामने आने लगी हैं। यही स्थिति पन्ना जिले के अनीस खान को लेकर कही जा रही है। यह कहा जा रहा है कि भाजपा का मजबूत गढ़ बन चुके सागर में भी जिन्हें अध्यक्ष बनाया है उनके सहारे कांग्रेस की जिले में राजनीतिक जमीन को मजबूती नहीं मिल सकेगी।
अरुण-अजय-सज्जन के विरोधियों को कमान
कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की नई सूची में जिन नेताओं को कमान सौंपी गई है, उसमें कई दिग्गजों के विरोधियों को जिम्मेदारी दे दी गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के संसदीय क्षेत्र के खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर जिलों में अधिकांश उनके विरोधी हैं। इनमें खरगोन के जिला अध्यक्ष रवि नाइक, यादव के विरोधी पूर्व विधायक रवि जोशी का समर्थक हैं तो बुरहानपुर के शहर-ग्रामीण अध्यक्ष हर्ष सिंह-रवींद्र महाजन, खंडवा के उत्तम पाल सिंह पुरनी भी यादव के विरोधी कहे जाते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अर्जुन सिंह के पूर्व नेता प्रतिपक्ष विधायक पुत्र अजय सिंह के विरोधी विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को भी सतना में कमान सौंप दी गई है जबकि सतना शहर के आरिफ इकबाल सिद्दीकी पहले से ही जिला अध्यक्ष हैं। इसी तरह देवास में कमलनाथ के विश्वस्त पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा को अपने समर्थकों में से किसी को कमान दिलाने में कामयाबी नहीं मिली है। मनीष चौधरी को प्रभारी महासचिव हरीश चौधरी की पसंद का बताया जा रहा है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह के गृह नगर भिंड जिले में दो में से एक नेता को कमान मिल सकी है।
आगर-मालवा से विधायक इंदौर में जिला अध्यक्ष
संगठन सृजन अभियान में आई जिला अध्यक्षों की सूची में एक ऐसा भी जिला अध्यक्ष विपिन वानखेड़े सामने आया है जिसने आगर मालवा जिले से विधानसभा उपचुनाव लड़ा और विधायक बने मगर अब उसे इंदौर ग्रामीण का जिला अध्यक्ष बना दिया गया है। भोपाल में शहर और ग्रामीण दोनों अध्यक्षों प्रवीण सक्सेना, अनोखी पटेल को रिपीट किया गया है तो इंदौर में शहर अध्यक्ष चिंटू चौकसे पर ही भरोसा किया गया है। ग्वालियर में शहर अध्यक्ष सुरेंद्र यादव को बनाया गया है जो राज्यसभा सदस्य अशोक सिंह के समर्थक कहे जाते हैं।
13 विधायक-पूर्व विधायकों को जिलों की कमान
कांग्रेस के नए जिला अध्यक्षों की सूची में 13 विधायक और पूर्व विधायकों को जिलों की कमान सौंपी गई है। जिन विधायकों को जिलों की कमान सौंपी गई है उनमें ओमकार मरकाम, जयवर्धन सिंह, संजय उइके, देवेंद्र पटेल, सिद्धार्थ कुशवाहा, महेश परमार के नाम हैं और ओमकार मरकाम तो एआईसीसी की सीईसी में भी शामिल हैं। जिन पूर्व विधायकों को जिलों की जिम्मेदारी दी गई है, उनमें प्रियव्रत सिंह, निलय डागा, विपिन वानखेड़े, डॉ. अशोक मर्सकोले, हर्षविजय गहलोत, सरस्वती सिंह हैं। इनमें से प्रियव्रत सिंह तो पीसीसी के उपाध्यक्ष व चुनाव प्रभारी हैं और वे पीसीसी अध्यक्ष की दौड़ में भी रहे हैं।
Leave a Reply