राजमार्ग पर स़ड़क बनाने वाली कंपनियों को व्हीकल से वसूली के लिए लगाए गए टोल का एक कमाल सामने आया है। एक प्रायवेट गाड़ी की गुरुवार की रात को ग्वालियर के पास टोल पर फास्टटैग से राशि डेबिट हो गई जबकि वह गाड़ी टोल से करीब 250 किलोमीटर दूर वाहन मालिक के घर पर ही खड़ी थी। जानिये कहां का है यह मामला और वाहन मालिक को कैसे पता चला व अब आगे वे किस तरह टोल प्लाजा कंपनी को कानूनी शिकंजे में घेरने की तैयारी कर रहे हैं।
मामला ग्वालियर और छतरपुर जिले से संबंधित है। छतरपुर के महोबा रोड पर रहने वाले धीरज चतुर्वेदी की गाड़ी एमपी 16 एए 0003 है। मामला दो दिन पहले गुरुवार की रात 11 बजकर 50 मिनिट के बाद का है। वे घर पर थे और गाड़ी उनके घर के सामने ही खड़ी थी। मगर रात करीब 11 बजकर 51 मिनिट पर ग्वालियर के झिरिया टोल प्लाजा पर उनकी गाड़ी के फास्टटैग से 85 रुपए का टोल वसूल लिया गया। इसकी राशि 85 रुपए पेटीएम से रात 11 बजकर 52 मिनिट पर डेबिट हो गई।
एसएमएस देखने के बाद चतुर्वेदी चौंके
धीरज चतुर्वेदी पेशे से पत्रकार हैं और जब उन्होंने गुरुवार को अपने एसएमएस चैक किए तो उसमें गाड़ी के ग्वालियर स्थित नंबर 345041 झिरिया टोल प्लाजा से टोल वसूली की जानकारी लगी। वे चौंके और उन्होंने गुरुवार-शुक्रवार को इसके बारे में कई जगह पता किया लेकिन सही जानकारी नहीं मिली। उन्होंने झिरिया टोल प्लाजा की जानकारी राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएचएआई) के रिकॉर्ड पर सर्च की तो पता लगा कि झिरिया टोल प्लाजा ग्वालियर में है जो छतरपुर से करीब 250 किलोमीटर दूर है। झिरिया टोल प्लाजा बंसल पाथवे प्रायवेट लिमिटेड कंपनी का है।
मानसिक परेशानी पर उपभोक्ता फोरम जाने की तैयारी
गाड़ी के छतरपुर में घर के सामने खड़े होने और उसके फास्टटैग पर ग्वालियर के टोल प्लाजा से टोल वसूली हो जाने को लेकर धीरज चतुर्वेदी अब उपभोक्ता फोरम जाने का सोच रहे हैं। उनका कहना है कि फास्टटैग या टोल कंपनी के टोल प्लाजा किसकी गड़बड़ी है, यह पता लगना चाहिए और इससे उन्हें जो मानसिक परेशानी हुई है, उसके कौन जिम्मेदार है। इस गड़बड़ी से कभी किसी अपराध के घटित होने पर वे और परेशानी में पड़ सकते हैं।
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