मंदसौर में अफीम के पट्टों के नामांतरण के लिए केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो में आवेदकों से मोटी रकम की रिश्वत मांगी जाती है जिसका ताजा उदाहरण एक आवेदक के पट्टाधारी पिता के निधन का मामला है। पट्टा नामांतरण के लिए आवेदक से एक लाख 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए नारकोटिक्स ब्यूरो के दो संविदा कर्मचारियों को सीबीआई ने पकड़ा है जबकि जिस सब इंस्पेक्टर के खिलाफ एफआईआर थी, उसके खिलाफ फिलहाल कोई एक्शन नहीं हुआ है। पढ़िये अफीम के पट्टों के नामांतरण पर रिपोर्ट।
मंदसौर में बद्रीलाल धाकड़ नामक के व्यक्ति के पिता निर्भयराम के नाम से अफीम का पट्टा था लेकिन उनका निधन हो जाने पर उसने पट्टा नामांतरण के लिए केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो में आवेदन दिया था। बद्रीलाल धाकड़ के आवेदन पर कार्रवाई करने के लिए प्रकरण सब इंस्पेक्टर अभिषेक अग्निहोत्री के पास था। मगर काफी समय तक उसके आवेदन पर कार्रवाई नहीं हुई और इसके लिए रिश्वत की मांग की गई।
यह भी कहा जा रहा है कि बद्रीलाल धाकड़ के पिता निर्भयराम धाकड़ के नाम पुश्तैनी अफीम पट्टा था जिसे 1995-96 में जमा करवा दिया गया था। इस बार केंद्र सरकार ने वर्ष 1995-96 के पट्टे फिर से जारी किए हैं। ऐसे में किसान बद्रीलाल धाकड़ अपने पिता के नाम के अफीम लाइसेंस को अपने नाम से नामांतरण करवाना चाहता था।
जानकार सूत्रों के मुताबिक बद्रीलाल धाकड़ से केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो में अफीम के पट्टे के नामांतरण के लिए एक लाख 20 हजार रुपए की मांग की गई। उससे यह मांग संविदा कर्मचारियों रामनिवास और कांतिलाल के माध्यम से की गई। इस संबंध में बद्रीलाल धाकड़ ने सीबीआई को शिकायत की जिसकी पुष्टि के उपरांत शुक्रवार को सीबीआई ने योजनाबद्ध ढंग से केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के सब इंस्पेक्टर अग्निहोत्री व संविदा कर्मचारियों रामनिवास व कांतिलाल को पकड़ने के लिए टीम को भेजा। मगर सब इंस्पेक्टर अभिषेक अग्निहोत्री तो इसमें पकड़ नहीं आए, संविदा कर्मचारी रामनिवास व कांतिलाल को सीबीआई ने एक लाख 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया।
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