कहते हैं जब बागड़ ही खेत खा जाए तो रखवाली का जिम्मा किसे सौंपा जाए। कुछ इसी तरह की परिस्थिति इन दिनों मध्यप्रदेश के प्रशासनिक अमले में देखने को मिल रही है। राजस्व न्यायालय की कुर्सी पर विराजमान कुछ अफसरों के कारनामो की सजा आम आदमी भुगत रहा है। बड़ी बात यह है कि सत्ता में विराजमान आला अफसरों को उनके कारनामों की जानकारी होने के बाद भी उन पर कार्रवाई करने के बजाय ऐसे अफसरों के बचाव में लगे रहते हैं। ताजा मामला भोपाल संभाग का है। राजधानी भोपाल में पदस्थ अपर आयुक्त भोपाल संभाग श्रीमती ऊषा परमार एवं उनके तत्कालीन रीडर राकेश यादव सहायक वर्ग-3 द्वारा तीन प्रकरणों में पद का दुरूपयोग करते हुये आर्डर सीट में फ्लूड लगाकर आर्डर करने एवं आदेश पत्रिका में हेर-फेर करने की शिकायत अब प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंच गई है। पढ़िये रिपोर्ट।
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