Bhopal की Bank अधिकारी की यूरोप में ऊंची चढ़ाई, माउंट Elbrus पर फहराया तिरंगा

यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर मध्य प्रदेश के भोपाल की एक महिला बैंक अधिकारी ने फतह हासिल की है। बैंक अधिकारी ने रविवार को सुबह एल्ब्रुस चोटी पर तिरंगा More »

भोपाल के दो ज्वेलर्स ने बैंकों को गोल्ड लोन में लगाया 26 करोड़ का चूना, यूको बैंक की चार शाखा को ठगा

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूको बैंक की चार शाखाओं के वैल्यूअर्स, जो ज्वेलर हैं, ने नकली सोने से गोल्ड लोन दिलाकर चूना लगाया है। ऐसे एक दो नहीं बल्कि करीब More »

मजबूत राजनीतिक वाले मछली परिवार पर मोहन सरकार का बुलडोजर, करोड़ों की कोठी जमींदोज

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में करीब चार दशक से राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले मछली नाम से जाने वाले मछली परिवार पर मोहन सरकार ने बुलडोजर चलाकर कार्रवाई की है। More »

PM से CM की भेंट के बीच CS अनुराग जैन की राज्यपाल से मुलाकात महज संयोग या कुछ और….

मध्य प्रदेश से जुड़ी दो तस्वीरें आज चर्चा का विषय बनी हुई हैं। पहली दिल्ली में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात और दूसरी भोपाल More »

1130 परिवारों को उजाड़ कर Housing Board माननीयों MP-MLA के लिए बना रहा आशियाना, रहवासियों का विरोध दरकिनार

मध्य प्रदेश गृह निर्माण मंडल जो अब मध्य प्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल के नाम से पहचाना जाता है, एकबार फिर पुनर्घनत्वीकरण के नाम शहर की 50 साल पुरानी 1130 More »

भाजपा-कांग्रेस दोनों प्रमुख दलों के बागी कर सकते है कई सीटों पर उलटफेर, बगावत करने वालों की पसंद सपा-बसपा

मध्यप्रदेश के चुनावी मैदान में अब सारे मोहरे खुलकर सामने आ गए हैं। बगावत से जूझ रही पार्टियों की मान-मनोव्वल कितनी असरदार और कितनी बेअसर रही है यह सारे पत्ते खुल गए हैं। बागियों के मामले में भी कांग्रेस और बीजेपी के बीच में कड़ी टक्कर हो रही है। किसके ज्यादा किसके कम, यह तय करना मुश्किल सा हो रहा है। पढ़िये बागियों पर वरिष्ठ पत्रकार गणेश पांडेय की विशेष रिपोर्ट।

दोनों दलों के बागी कई सीटों पर उलटफेर करते दिखाई पड़ रहे हैं। टिकट वितरण में गलती करने के मामले में दोनों दल एक-दूसरे को पछाड़ते हुए दिखाई पड़ते हैं। बगावत विपक्ष को ज्यादा नुकसान करती है. सत्ता विरोधी मत अगर एकतरफा मुख्य विपक्ष के खाते में चला जाता है तो सत्तापक्ष को चुनाव में नुकसान होता है। जब भी सत्ताविरोधी मतों का विभाजन होता है, तब तीसरे दलों और बगावती-निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच में विभाजित सत्ता विरोधी मत सत्ताधारी दल को ही लाभ पहुंचाते हैं।
सपा-बसपा-आप व बागियों की सेंध से कांग्रेस को नुकसान ज्यादा
सपा-बसपा-आप AIMIM और बागी निर्दलीयों द्वारा जो सेंध लगाई जाएगी उसका नुकसान स्वाभाविक रूप से कांग्रेस को ज्यादा और बीजेपी को कम होने की संभावना है। बीजेपी के चुनावी रथ के सारथी सपा-बसपा-आप और कांग्रेस के बागी-निर्दलीय बनते दिखाई पड़ रहे हैं। राज्य के कई इलाकों में सपा का वजूद चुनावी नतीजे को उलटफेर करने में सक्षम दिखाई देता है। पहले भी सपा एक-दो सीट जीतती रही है। इस चुनाव में भी सपा ऐसी स्थिति में है जो कम से कम दो सीटों पर जीतने का दावा कर सकती है। कई सीटों पर कांग्रेस को नुकसान भी सपा के कारण हो सकता है।
बसपा, बीजेपी के लिए ट्रंप कार्ड जैसे
जहां तक बसपा का सवाल है, इसके प्रत्याशी बीजेपी के ट्रंप कार्ड के रूप में दिखाई पड़ रहे हैं। बीजेपी के चाणक्य केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसी ओर इशारा किया था कि सपा और बसपा के प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में मौजूदगी के लिए पार्टी को सहयोगात्मक रुख रखना चाहिए। ग्वालियर-चंबल और विंध्य अंचल में बीएसपी ताकत के साथ चुनाव लड़ रही है।
भाजपा-कांग्रेस के बागी की पसंद बसपा
बीएसपी के अधिकांश प्रत्याशी भाजपा या कांग्रेस के बागी ही हैं जिस जाति समूह में बसपा का आधार बना हुआ है वह मध्यप्रदेश में कांग्रेस की समर्थक मानी जाती है। कई सीटों पर बसपा ने ऐसी ही जातियों के प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं जो कांग्रेस के प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बसपा वैसे भी राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के गठबंधन में शामिल नहीं है। मध्यप्रदेश का चुनाव यूपी चुनाव का आभास दे रहा है। बसपा के कारण सपा और आरएलडी गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था।
राजनीति के लिए बीमारी बन गई बगावत
पार्टियों में बगावत और विद्रोह चुनाव की अनिवार्य बीमारी बन गई है। कोई भी दल इससे अछूता नहीं है। एमपी चुनाव में इस बार बगावत और आंतरिक विद्रोह दोनों दलों को परेशान कर रहा है। प्रत्याशियों के चयन में गड़बड़ियों के कारण बहुत बड़ी संख्या में विधानसभा सीटों पर पार्टी से ज्यादा प्रत्याशी महत्वपूर्ण हो गया है। प्रत्याशियों के चेहरे पर जनादेश की मानसिकता बढ़ती जा रही है। टिकट वितरण में ज्यादा गलती करने वाले दल को इसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ेगा। ग्वालियर-चंबल अंचल जहां बीजेपी निराशा और कांग्रेस उत्साह से भरी थी वहां परिस्थितियां एकदम से बदलती हुई दिखाई पड़ रही हैं। इस अंचल में टिकट वितरण में कांग्रेस की ओर से बेशुमार गलतियां की गई हैं। बागी उम्मीदवारों की सबसे ज्यादा पकड़ इसी इलाके में देखी जा रही है और इसके कारण नतीजे में उलफेर भी होता दिखाई पड़ रहा है।
बगावत का इतिहास से सबक नहीं
बगावत और विद्रोह के पुराने इतिहास पर नजर डाली जाए तो इसका सर्वाधिक असर कांग्रेस के भविष्य पर ही पड़ता रहा है। कमलनाथ को अपनी सरकार बगावत के कारण ही गंवानी पड़ी। कांग्रेस की दिग्विजय सरकार को भारी बहुमत से हराने वाली पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने जब पार्टी से बगावत की तब उनके साथ एक भी विधायक नहीं गया था। इसके विपरीत कांग्रेस में बगावत के समय ज्योतिरादित्य के साथ 22 विधायक पार्टी छोड़ गए थे। जिन राजनीतिक दलों में संगठन की धारा कमजोर होती है, व्यक्तिगत नेताओं की राजनीति हावी होती है वहां बगावत ज्यादा असरकारी होती है। एमपी में कांग्रेस संगठन तो वरिष्ठ नेताओं के गुटों के समूह की तरह कॉरपोरेट ऑफिस के रूप में काम करता दिखाई पड़ता है। राजनीतिक संगठन के मामले में मध्यप्रदेश का भाजपा संगठन विशेष स्थान रखता है। यद्यपि बीजेपी के संगठन में भी सत्ता की खामियां बढ़ती जा रही हैं।
बीजेपी संगटनात्मक तौर पर मजबूत
इसके बावजूद प्रदेश में कांग्रेस की तुलना में बीजेपी का संगठन काफी मजबूत है। संगठन की संरचना का सदुपयोग कर भाजपा अपनी बगावत को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफल होती भी दिख रही है, जो बागी संगठन की बात दरकिनार कर चुनाव मैदान में डटे हुए हैं उनको भी या तो मना लिया जाएगा और नहीं तो चुनाव पर उनके असर को संगठन की शक्ति से सीमित करने की कवायद की जा रही है। चुनावी तैयारी और प्रचार अभियान में भी बातें ज्यादा काम कम के शिकार दल और नेता खुशफहमी और गलतफहमी के बीच झूल रहे हैं। जनता खामोश है. मुख्य दलों के जनाधार बराबरी पर हैं, जिस दल के प्रत्याशियों के चेहरे क्षेत्र में मैनेजमेंट करने में सफल होंगे वही दल सरकार बनाएगा। पार्टी-नेताओं का अति आत्मविश्वास प्रत्याशियों की ताकत के बदले आफत बन गया है।

विधानसभा चुनाव: सामाजिक समीकरण पर भाजपा दांव, मीणा समाज अध्यक्ष का साथ लिया, दस सीटों पर निशाना

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में दो सप्ताह का समय भी नहीं बचा है और भाजपा ने अब सामाजिक समीकरणों पर दांव लगाना शुरू कर दिया है। मीणा समाज की दस सीटों पर निशाना साधने के लिए समाज के अध्य़क्ष को साथ ले लिया है जिन्होंने कुछ महीने पहले कांग्रेस के लिए समाज का बड़ा सम्मेलन किया था। पढ़िये रिपोर्ट।

भोपाल शहर से लगे गांव में सरकारी स्कूल में पुरुष टीचर ने छठवीं की छात्रा को डंडे से मारा, प्रायवेट पार्ट में लगा

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के फंदा के पास प्राथमिक माध्यमिक विद्यालय सूखा निपानिया में छठवीं कक्षा की छात्रा के साथ पुरुष टीचर ने डंडे से मारा। उसके आगे प्रायवेट पार्ट और पीछे हिप्स पर मारा। बच्ची की मां ने स्कूल में शिकायत की और छात्रा टीचर के व्यवहार से डर के कारण स्कूल नहीं जा रही। पढ़िये रिपोर्ट।

कांग्रेस का बागियों पर एक्शन, छह साल के लिए सदस्यता से निष्कासन

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बागियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। 39 बागियों को पार्टी की सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इनमें पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू, पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह सहित चुनाव टिकट मिलने के बाद दूसरे प्रत्याशी घोषित किए जाने से नाराज होकर चुनाव मैदान में उतरे कुलदीप सिकरवार, शेखर चौधरी, राजेंद्र सिंह सोलंकी भी शामिल हैं। पढ़िये रिपोर्ट।

वीकेंड, इंडियन आइडल सीज़न 14 के सेट पर ‘आशिकी 1 से मिलेगी आशिकी 2’

इस वीकेंड, सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन का प्रतिष्ठित सिंगिंग रियलिटी शो, ‘इंडियन आइडल सीज़न 14’ मनोरंजन जगत के प्रसिद्ध संगीत निर्देशक, गीतकार-संगीतकार और गायक, मिथुन का स्वागत करेगा! पहली बार शो में उनकी भव्य उपस्थिति के उपलक्ष्य में ये शो ‘मिथुन मेलोडी चैलेंज’ पेश करेगा जहां प्रतियोगियों को अपनी गायन प्रतिभा से उन्हें प्रभावित करना होगा। टॉप 15 में से सर्वश्रेष्ठ को प्रशंसा के प्रतीक के रूप में 21वीं सदी के सबसे बड़े हिट गीत ‘तुम ही हो’ के पहले ड्राफ्ट लिरिक्स जीतने का मौका मिलेगा।

सथवारो: अदाणी फाउंडेशन का भारतीय कला और शिल्प को पुनर्जीवित करने का प्रयास

अदाणी फाउंडेशन ने भारत की विविध कलाओं और शिल्पों को प्रदर्शित करने वाले अदाणी कॉर्पोरेट हाउस (एसीएच), अहमदाबाद में दो दिवसीय कार्यक्रम सथवारो मेला का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में देश भर के 20 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और कारीगरों द्वारा बनाए गए हस्तनिर्मित उत्पादों की श्रृंखला प्रदर्शित की गई। कारीगरों को सशक्त बनाने और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने पर ध्यान देने के साथ, यह आयोजन कारीगरों और उपभोक्ताओं के बीच की दूरी को पाटता है। इस मंच के माध्यम से, फाउंडेशन का लक्ष्य स्थायी आजीविका और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर ‘झलक दिखला जा’ को जज करेंगे शानदार एक्टर एवं डांसर अरशद वारसी

एक डांस मुकाबला, जिसमें मशहूर हस्तियां अपनी झिझक किनारे रखकर डांस करने उतरती हैं, ‘झलक दिखला जा’, 12 साल के अंतराल के बाद सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर अपनी शानदार ‘घर वापसी’ के लिए तैयार है। यह शो जिंदगी के अलग-अलग रास्तों से आए आपके पसंदीदा सितारों के सार्वजनिक व्यक्तित्व में एक अनूठा ट्विस्ट जोड़ता है, जहां वे प्रतिष्ठित ट्रॉफी के लिए प्रतिस्पर्धा करते हुए मुश्किल डांस रूटीन सीखने और परफॉर्म करने की चुनौती लेते हैं।

‘लीडरशिप के वो गुण, जो महेंद्र सिंह धोनी से हमें सीखना चाहिए’

अपने क्षेत्र विशेष में किसी न किसी व्यक्ति के ऊपर लीडरशिप का जिम्मा होता ही है, मायने यह रखता है कि वह उसे निभाता किस तरह से है। एक लीडर का सबसे बड़ा गुण होता है, सबको साथ में लेकर चलना। यदि यही गुण किसी लीडर में अनुपस्थित है, तो फिर उसकी लीडरशिप किसी काम की नहीं। यह बता रहे हैं पीआर कंसलटेंट अतुल मलिकराम, जो सफल क्रिकेटर कप्तान माने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी को लीडरशिप का श्रेष्ठ उदाहरण बता रहे हैं। पढ़िये लेखक की रिपोर्ट।

इंदौर में पूर्व मंत्री कांग्रेस प्रत्याशी जीतू पटवारी के भाई नाना पटवारी की गिरफ्तारी, स्थायी वारंट तामीली में एक्शन

इंदौर में विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी के भाई नाना पटवारी की गुरुवार को गिरफ्तारी हो गई। चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी नाना की गिरफ्तारी को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है।

बागी हो गए नेताओं अब हो रहे इस्तीफे, कुछ मामलों में पार्टी कर रही निष्कासन, गुड्डू ने फिर छोड़ी कांग्रेस

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में नाम वापसी के कुछ मिनिट पहले तक पार्टियों ने बागियों को मनाने के प्रयास किये जिनमें से ज्यादातर मान भी गए। मगर जो बागी सबक सिखाना चाहते हैं, वे अभी भी डटे हैं और पार्टियों पर आरोप लगाकर इस्तीफे दे रहे हैं। ऐसे कुछ नेताओं को पार्टियां निष्कासन का रास्ता दिखाने लगी हैं। हमारे लिए वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कैलासिया की रिपोर्ट।

Khabar News | MP Breaking News | MP Khel Samachar | Latest News in Hindi Bhopal | Bhopal News In Hindi | Bhopal News Headlines | Bhopal Breaking News | Bhopal Khel Samachar | MP News Today