मध्य प्रदेश के वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारी 1986 बैच के पुरुषोत्तम शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने राज्य शासन की विशेष अनुमति याचिका को निरस्त करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। इस आदेश के बाद उनके विरुद्ध हुई कार्रवाई को निरस्त करने के पूर्व की अदालत के आदेश पर अब राज्य शासन को अमल करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट की अदालत में आज आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा अपने बेटी और दामाद के साथ पहुंचे थे। यहां राज्य शासन ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण और हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध अपील की थी और विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी। इसकी अतिरिक्त महाधिवक्ता सौरभ मिश्रा अभिनव श्रीवास्तव, शिवांग रावत, राधिका जालान ने राज्य शासन की तरफ से पैरवी की तो आईपीएस शर्मा की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता निधीश गुप्ता, वीके शुक्ला, सुगम मिश्रा, अभयनाथ दास, वृति गुजराल व मनीष तिवारी ने पैरवी की। अदालत में शर्मा की ओर से पेश दलीलों के साथ राज्य शासन के पक्ष को भी सुना और इसके बाद हाईकोर्ट के फैसले पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। राज्य शासन की ओर से पेश विशेष अनुमति याचिका को निरस्त कर दिया।
पत्नी को प्रताड़ित करने पर निलंबित किए गए थे शर्मा
गौरतलब है कि पुरुषोत्तम शर्मा के खिलाफ पत्नी को प्रताड़ित करने की शिकायत के आधार पर राज्य शासन न सितंबर 2020 में निलंबित कर दिया था। उनके खिलाफ वायरल हुए दो वीडियो साक्षी के रूप में आधार बनाए गए थे। इसके बाद उनके खिलाफ करीब दो साल के दौरान विभागीय जांच तक शुरू नहीं की गई है। राज्य शासन के निलंबन को लेकर शर्मा केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में गए थे जहां उनके पक्ष में फैसला दिया गया तो राज्य शासन हाईकोर्ट गई थी और वहां भी आईपीएस शर्मा की जीत हुई थी। राज्य शासन अदालत के फैसले के विरुद्ध शीर्ष अदालत पहुंचा था और आज वहां भी राज्य शासन की याचिका को निरस्त करते हुए शर्मा के पक्ष में फैसला हुआ है।


















