मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का समय जैसे-जैसे करीब आ रहा है वैसे-वैसे नेता पर्ची वाले महाराजों तो पार्टियों के टिकट बांटने वाले रसूखदारों के द्वार पर दस्तक देने लगे हैं। ऐसे समय में कांग्रेस के लिए भिंड जिले की अटेर विधानसभा सीट पर ब्राह्मण-ठाकुर का विकल्प खड़ा हो गया है। यहां 2018 में हारे ब्राह्मण को जब ठाकुर की दावेदार का आभास हुआ तो वे उन्होंने एक पर्ची निकालने वाले महाराज की शरण में पहुंचकर अपने भाग्य की पर्ची निकलवा ली। पढ़िये अटेर विधानसभा सीट के दावेदारों की दिलचस्प स्टोरी।
भिंड जिले की अटेर विधानसभा सीट पर करीब सवा दो लाख मतदाता हैं और पिछले आठ विधानसभा चुनाव से यहां एक बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस को जीत मिलती रही है। हालांकि इस सीट पर 1985 से अब तक के चुनाव में सबसे बड़ी जीत मुन्नासिंह भदौरिया की1998 में रही है जो 25 हजार से ज्यादा वोटों से जीते हैं। हालांकि 2003 के बाद उनका टिकट ऐसा कटा कि फिर उन्हें पार्टी ने चुनाव मैदान में नहीं उतारा। सत्यदेव कटारे 1985 के बाद तीन बार विधायक रहे तो मुन्ना सिंह भदौरिया और दो-दो बार और सत्यदेव के पुत्र हेमंत एक बार विधायक चुने गए।
भदौरिया की कमलनाथ से मुलाकात
बताया जाता है कि पिछले दिनों भाजपा के अटेर से दो बार के विधायक मुन्ना सिंह भदौरिया की कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से मुलाकात हुई थी जो काफी गोपनीय रखी गई। मुन्ना सिंह को इस बार भी भाजपा से टिकट मिलने की संभावना कम है क्योंकि अरविंद सिंह भदौरिया न केवल सीटिंग एमएलए बल्कि मंत्री भी हैं। वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विश्वासपात्र मंत्रियों की टीम का हिस्सा भी माने जाते हैं जिस कारण उनका टिकट कटने की भी संभावना कम है।
कांग्रेस के हारे प्रत्याशी कटारे ने निकलवाई पंडोखर दरबार में पर्ची
वहीं, अटेर से हारे कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे ने अपनी टिकट को लेकर पंडोखर महाराज के दरबार में अर्जी लगाई। पंडोखर महाराज ने उनकी पर्ची निकाली और उन्हें बताया कि टिकट उनको ही मिलेगी और वे विधायक भी बनेंगे। बताया जाता है कि हेमंत कटारे ने पंडोखर महाराज में इसलिए अर्जी लगाई थी क्योंकि उन्हें भनक लगी थी कि मुन्ना सिंह भदौरिया कांग्रेस में आकर अटेर से चुनाव लड़ने की इच्छा रखे हैं। वैसे हेमंत कटारे को इस चुनौती के अलावा दूसरी चुनौती नेता प्रतिपक्ष डॉ.गोविंद सिंह की भी है और नेता प्रतिपक्ष के नाते गोविंद सिंह इस विधानसभा के टिकट बंटवारे में अहम भूमिका निभाएंगे। अटेर उनके गृह जिले की एक विधानसभा होने से यहां उनकी मर्जी के बिना कोई भी टिकट फाइनल भी नहीं हो सकता। अब देखना यह है कि पंडोखर महाराज का आशीर्वाद फलीभूत होता है या भदौरिया की कमलनाथ से मुलाकात व गोविंद सिंह की इच्छा परवान चढ़ती है।
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