परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के लोकायुक्त पुलिस के छापे में कार्रवाई शुरू से ही संदेहास्पद रही है औऱ अब उसके वकील ने जब अग्रिम जमानत की याचिका लगाई तो फिर 7.98 करोड़ की संपत्ति को 55 लाख रुपए की बता दिए जाने को संगठन पर उंगलियां उठना शुरू हो गई हैं। अब यह भी संदेह जताया जा रहा है कि सौरभ शर्मा का कोई मुखबिर लोकायुक्त पुलिस में है जो घर का भेदी बनकर वहां तक राज उगर रहा है। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग के बहुचर्चित सौरभ शर्मा को अदालत से भले ही अग्रिम जमानत नहीं मिली हो लेकिन अदालत के माध्यम से सौरभ शर्मा तक ऐसा कागज पहुंच गया है जिससे उसे संदेह के आधार पर तमाम काले दाग साफ हो सकते हैं। अदालत में लोकायुक्त की पुलिस विवेचना के अब तक कागजात पेश किए हैं जिसके बाद उन्होंे सुनवाई करते हुए मजीटिया बोर्ड के कायार्लय तक जा रही है। अभी वे हिमालय में थे।
करोड़ की संपत्ति लाखों में आ गई है जो 55 लाख बताई जा रही है। अदालत में पेश एक कागज में सौरभ शर्मा के नाम से वाहनों के अलावा आभूषण, कीमती घरेलू सामान को 55 लाख करीब बताया गया है। जबकि लोकायुक्त पुलिस ने छापे के तीसरे दिन प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उसकी कुल कीमत 7.98 करोड़ों रुपए बताई थी। इतनी ब़ड़ी गड़बड़ी के लिए अब तक किसी की जिम्मेदारी संभल नहीं। अब पता चला है कि सौरभ शर्मा को छापे के समय मदद करने वाले लोकायुक्त पुलिस का नहीं था। गौरतलब है कि अब यह कहा जा रहा है कि लोकायुक्त पुलिस की टीम ने सौरभ शर्मा पर दबिश देकर बूंदाबांदा पानी आरह था। देखिये श्रोता।
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