भोपाल सेंट्रल जेल के लंबे समय तक अधीक्षक और फिर जेल मुख्यालय में डीआईजी रहे उमेश गांधी के निधन के काफी समय बाद अब प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने उनके व उनके परिजन, परिचितों के खिलाफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया है। ईडी ने उनके सेवाकाल के दौरान खरीदी गई 20 संपत्तियों को अटैच कर लिया है। पढ़िये रिपोर्ट।
जेल विभाग के चर्चित डीआईजी उमेश गांधी जो भोपाल सेंट्रल जेल में अधीक्षक के रूप में लंबे समय तक रहे थे और करीब 12 साल पहले उनके यहां लोकायुक्त पुलिस ने छापा मारा था। तब यह समाचार सुर्खियों में रहे थे कि छापे में उनके यहां 25 करोड़ रुपए की संपत्ति मिली है। गांधी के यहां छापे के दौरान लोकायुक्त पुलिस को करीब सवा दो करोड़ से ज्यादा की एफडी, 40 लाख का एलआईसी में निवेश, चार लाख नकदी सहित कई संपत्तियों के दस्तावेज मिले थे। मगर छापे के कुछ साल बाद गांधी का बीमारी की वजह से निधन हो गया था। हालांकि ईडी ने लोकायुक्त पुलिस के छापे के दौरान मिली संपत्ति की वजह से मनी लांड्रिंग का प्रकरण बनाकर उनकी पत्नी अर्चना व उनके रिश्तेदार सीहोर जेल के प्रहरी अजय कुमार गांधी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर ली है।
ईडी ने गांधी परिवार व परिचित की संपत्तियां अटैक कीं
ईडी ने लोकायुक्त पुलिस के छापे के दौरान मिली संपत्तियों के आधार पर अब उन्हें अटैच करने का आदेश जारी किया है। गांधी के आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच के दौरान पाई भोपाल, इंदौर, सागर, सीहोर और कटनी सहित कुछ अन्य शहरों की संपत्तियों को ईडी ने अटैच कर दिया है। इन संपत्तियों सहित बैंक बैलेंस, एलआईसी के निवेश, म्यूच्यूअल फंड, आभूषण और किसान विकास पत्र जिन सब की कीम करीब चार करोड़ 68 लाख रुपए है, सभी अटैच कर लिया है। गौरतलब है कि लोकायुक्त पुलिस ने उमेश गांधी के खिलाफ दो मामले दर्ज थे जिनमें से एक भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम था जो भ्रष्टाचार के मामलों की अदालत था तो दूसरा प्रकरण जिला सत्र न्यायालय की अपर सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में था।
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