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हिंदी विवि द्वारा चलाये जा रहे मान्यता विहीन पाठ्यक्रम: कांग्रेस

मध्य प्रदेश में राज्य और उसकी प्रवृत्त संस्थाएं स्वयं ही मान्यताविहीन शिक्षा दी जा रही है। बेरोजगार और अवसर की तलाश करते हुए बच्चों के साथ भ्रम फैलाकर धोखा किया जा रहा है। यह सब हो रहा है अटलबिहारी बाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में। यह आरोप लगाया है प्रदेश कांग्रेस के विचार विभाग के अध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने।
गुप्ता ने यह आरोप विधानसभा में सरकार द्वारा दिए गए एक सवाल के लिखित जवाब के आधार पर लगाया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने 16 दिसंबर 2024 को विधानसभा के प्रश्न क्रमांक 1047 के उत्तर में यह बताया है कि बैचलर ऑफ इलेक्ट्रोहोम्योपैथी एवं सर्जरी नाम के किसी कोर्स को सरकार के आयुष विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। उत्तर में यह भी बताया गया है कि इस तरह की किसी काउंसिल को ना तो मान्यता दी गई है ना ही किसी अधिनियम के तहत इसका गठन किया गया है। सरकार ने यह भी बताया है कि भविष्य में भी बीईएमएस नामक किसी कोर्स को ना तो मान्यता देने का विचार है ना ही सरकार ऐसा कोई अधिनियम बनाने पर विचार कर रही है। इतने स्पष्ट उत्तर के बावजूद मध्य प्रदेश सरकार का शासकीय अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय में इन कोर्सेज का शिक्षण कार्य किया जा रहा है।
प्रदेश कांग्रेस विचार विभाग के अध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने बताया कि बच्चों को भ्रमित करने वाले ऐसे विज्ञापन भी विश्वविद्यालय द्वारा जारी किए जा रहे हैं। जिसमें बताया जा रहा है कि शासन ने इन कोर्सों को मान्यता देने का लगभग निर्णय ले लिया है। सैकड़ो की तादाद में इन कोर्सेस में समूचे मध्य प्रदेश एवं अन्य राज्यों से विश्वविद्यालय और उसके द्वारा चलाए जा रहे अध्ययन केंद्रों में धड़ल्ले से प्रवेश कराए जा रहे हैं। यह शासन के नाम पर निर्दाेष विद्यार्थियों के साथ धोखाधड़ी का मामला प्रतीत होता है। व्यापक स्तर पर ऐसे गैर मान्यता प्राप्त कोर्सेज को लागू कर करोड़ों रुपये प्रवेश एवं कोर्स की फीस के रूप में वसूले जा रहे हैं।
पूर्व में भी 2006 में मध्य प्रदेश सरकार के खेल एवं युवक कल्याण संचालनालय द्वारा रोजगार की गारंटी के साथ एक स्विटजरलैंड की अंतर्राष्ट्रीय कंपनी कूनो (ज्ञवनदव जवनते-जतंअमसे) के माध्यम से डिप्लोमा इन टूर्स एवं ट्रेवल, डिप्लोमा इन वीएलसीसी वेलनेस पार्लर एवं अन्य अलग-अलग कोर्सों में सैकड़ो बच्चों के एडमिशन किए गए थे, उनसे 50-50 हजार फीस वसूली गई। विज्ञापन में सौ फीसदी नौकरी और स्कालरशिप का वादा किया गया था किंतु उन बच्चों को ना तो नौकरी मिली ना ही सर्टिफिकेशन हुआ। सरकार ने इस खुली लूट की जांच शुरु की कितु उस जांच को लीपापोती एक्सप्रेस कुचलती चली गई। लीपापोती एक्सप्रेस के प्रयास से दोषी पुलिस अधिकारी तो बच गये मगर हजारों बच्चे सरकारी भ्रम के माध्यम से ठगी का शिकार हुए और वे आज तक भटक रहे हैं।
अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल जिसकी मध्य प्रदेश शासन के अधिनियम क्रमांक 34 वर्ष 2011 के माध्यम से स्थापना की गई है, उसने इन कोर्सेस को मध्यप्रदेश शासन के अनूठे कदम के रूप में निरूपित करते हुए विज्ञापन जारी किये हैं। स्वरोजगार के लिए डिप्लोमा इन इलेक्ट्रोहोम्योपैथी एवं सर्जरी, डिप्लोमा इन बेसिक हेल्थ केयर, डिप्लोमा इन फर्स्ट एड ट्रीटमेंट और डिप्लोमा इन हॉस्पिटल मैनेजमेंट कोर्सेज की घोषणा की है, बताया गया है कि 12 वीं पास विद्यार्थी इन कोर्सों में प्रवेश के लिए पात्र होंगे। इसी तरह के विज्ञापन अध्ययन केंद्र क्रमांक 304 सतना, स्वयं हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल, साक्षी सहेली महिला कल्याण बहुउद्देशीय समिति सतना, नरसिंहपुर अध्ययन केंद्र 392, अध्ययन केंद्र कोड क्रमांक 469 विंध्यनगर, अध्ययन केंद्र क्रमांक 375 शाजापुर एवं अन्य जिलों में भी इसी तरह के भ्रामक विज्ञापन जारी कर छात्रों को इन कोर्सेस में भर्ती करना शुरू कर दिया है। जबकि सरकार स्वयं विधानसभा में जानकारी दे चुकी है कि ये कोर्सेज मान्यता प्राप्त नहीं है। ना ही भविष्य में सरकार ऐसे कोर्स शुरू करने के लिए कोई अधिनियम बनाने की इच्छुक है।
तब इतनी बड़ी मात्रा में इतने बड़े-बड़े विज्ञापनों के माध्यम से बच्चों को भ्रम फैला कर प्रवेश के लिए आमंत्रित क्यों किया जा रहा है? क्या यह बच्चों के साथ धोखा नही है? अगर कोई प्राइवेट संस्था यह कार्य करती तो सरकार अभी तक कोर्स संचालकों को जेल भेज चुकी होती, किंतु जब सरकार की स्वयं की संस्थाएं और वह भी अटल बिहारी वाजपेई जैसे प्रधानमंत्री के नाम पर सृजित विश्वविद्यालय इस तरह का अनियमित काम करने लगेंगे तो प्रदेश के बच्चों का भविष्य क्या होगा? हमारी मांग है कि सरकार इस बात की सीबीआई जांच कराये कि अब तक कितने विद्यार्थी इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले चुके है? कितनी फीस वसूली गई है? विश्वविद्यालय में इन विषयों की विशेषज्ञ फेकल्टी कौन है? क्या इलेक्ट्रोहोम्योपैथी उपचार करने या सर्जरी करने की मान्य पैथी है?
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