नेशनल पार्क-चिड़ियाघर में फिर बढ़ेगा 150 तक प्रवेश शुल्क, टाइगर रिजर्व में 15 साल पुरानी जिप्सी भी दौड़ेंगी

मध्य प्रदेश के नेशनल पार्कों और चिड़ियाघरों में अक्टूबर महीने से फिर प्रवेश शुल्क डेढ़ सौ रूपए तक बढ़ने जा रहा है। मगर टाइगर रिजर्व में जिप्सी से टूरिस्ट को सैर कराने वाले लोगों के लिए राहत की खबर है कि अब वे अपनी उन वाहनों को भी जंगल में दौड़ा सकेंगे जो 10 साल से ज्यादा पुरानी हैं। पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार गणेश पांडेय की रिपोर्ट।

वन्य प्राणी प्रेमी पर्यटकों के लिए टाइगर रिजर्व में सफारी करने के लिए पिछले वर्ष की तुलना में 5 फीसदी राशि अधिक देनी पड़ेगी। होटल व्यवसाय के दबाव में वन विभाग ने पिछले 5 सालों से प्रवेश शुल्क में कोई वृद्धि नहीं की थी. जबकि देश के सभी टाइगर सफारी में प्रवेश शुल्क में बढ़ोतरी कर दी गई थीय़ राज्य शासन ने उदारता बढ़ाते हुए प्रवेश शुल्क में मामूली वृद्धि की है। नया प्रवेश शुल्क अक्टूबर से लागू होने की संभावना है। बांधवगढ़ होटल एसोसिएशन के ऋषि भट्ट का कहना है कि पांच प्रतिशत वृद्धि अधिक नहीं है। प्रवेश शुल्क में प्रचलित दर में मात्र 120 से 150 रुपए तक की बढ़ोतरी होगी। भट्ट का कहना है कि यह राशि इतनी अधिक नहीं है कि सैलानी ऐसे वाहन न कर सके।
टूरिस्ट जिप्सी का आदेश जारी
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं प्रभारी मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक अतुल श्रीवास्तव ने एक आदेश में कहा है कि टाइगर रिजर्व के अंतर्गत जिन टूरिस्ट जिप्सी वाहनों का रजिस्ट्रेशन हैं, उनमें से 10 साल पुरानी गाड़ियों को भी अब टूरिस्ट को सैर कराने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। मगर ऐसी वाहन केवल 15 साल पुरानी होने तक ही टाइगर रिजर्व में टूरिस्ट को घुमाने के लिए इस्तेमाल में लाई जा सकेंगी। इससे ज्यादा पुरानी जिप्सी को टाइगर रिजर्व में नहीं चलाया जा सकेगा।
10 साल पुरानी जिप्सी के दस्तावेज जीवित होना जरूर
वन विभाग के उपरोक्त आदेश में यह शर्त रखी गई है कि 10 साल से ज्यादा पुरानी जिप्सी को उसी स्थिति में टूरिस्ट को टाइगर रिजर्व में घुमाने के लिए अनुमति दी जाएगी जिनकी वर्तमान स्थिति अच्छी हो। उनका बीमा, पंजीकरण और फिटनेस आदि समस्त दस्तावेज जीवित होय़ वन विभाग के इस निर्णय से करीब 1300 जिप्सी संचालकों को लाभ मिलेगा। करोना कल से ही पर्यटक जिप्सी संगठनों द्वारा यह मांग की जा रही थी कि जब परिवहन नियमों के अंतर्गत एक वाहन को 15 वर्ष तक परिवहन को इजाजत देती है तो वन विभाग 10 साल तक पुरानी जिप्सी से ही टूरिस्ट को सैर कराने की अनुमति क्यों देता है। जिप्सी संचालकों ने अपना ज्ञापन वन मंत्री डॉ विजय शाह को भी सौंपा था। 3 वर्ष के लंबे चिंतन-मंथन के बाद अब जाकर वन विभाग ने यह निर्णय लिया है। वन विभाग के इस निर्णय पर कान्हा टाइगर रिजर्व के जिप्सी संगठन के अध्यक्ष अरुण साहू ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार और शासन ने हमारी सुन ली. 3 साल से लंबी हमारी मांग आज पूरी हो गई है।
पंजीकृत जिप्सी
बांधवगढ़ – 253
कान्हा – 247
पेंच – 270
सतपुड़ा – 246
पन्ना – 74
संजय डूबरी -7

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