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पर्यावरण क्लीयरेंस की प्रत्याशा में 8 अगस्त को मुख्यमंत्री करेंगे वन भवन का लोकार्पण

पर्यावरण क्लीयरेंस की प्रत्याशा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 8 अगस्त को वन भवन का लोकार्पण करेंगे. सहयोग इस बात का भी है कि वन भवन का भूमि पूजन भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ही किया था. तब मुख्यमंत्री चौहान ने घोषणा की थी कि यह एशिया का ग्रीन भवन होगा और लोग इसे देखने आएंगे.
राजधानी के लिंक रोड नंबर दो पर तीन लाख वर्गफीट पर नवनिर्मित नए वन भवन को कंप्लीट होने में 15 साल लग गए. करीब 178 करोड़ रूपए भी खर्च हुए पर अफसरों और कर्मचारियों के चेहरों पर खुशियों की झलक दिखाई नहीं दे रही है. इसकी वजह भी स्पष्ट है कि वन मंत्री, वन बल प्रमुख और अन्य सीनियर अधिकारियों के लिए डिजाइन किया गया ई ब्लॉक वन विभाग से ले लिया गया है. ई ब्लॉक दूसरे विभाग को देने के कारण वन विभाग के विभिन्न शाखाओं को पर्याप्त स्पेस भी नहीं मिल पा रहा है. स्पेस को लेकर ही लघु वनोपज संघ अपनी आपत्ति और नाराजगी बबल प्रमुख को भी दर्ज करा चुका है. पूर्व में इसे ग्रीन भवन कंसेप्ट से डिजाइन के तहत सेंट्रल एसी का प्रावधान किया गया था. लेकिन लागत राशि बढ़ने की वजह से सेंट्रल एसी के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया. इसी वजह से वन कर्मचारियों में असंतोष है. वन कर्मचारियों का स्पष्ट कहना है कि यहां काम करने से घुटन महसूस होगी, क्योंकि भवन में वेंटिलेशन नहीं है. सतपुड़ा भवन में आगजनी की घटना के बाद से नए भवन में शिफ्ट करने की कार्यवाही तेजी से शुरू हो गई.
पर्यावरण एक्ट में क्लीयरेंस जरूरी
वन विभाग ने पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए स्टेट एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (सिया) कमेटी के समक्ष अपना आवेदन प्रस्तुत कर दिया है. सिया कमेटी को बैठक बुलाकर इस पर निर्णय लिया जाना है. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भवन के निर्माण के साथ ही पर्यावरण क्लीयरेंस लेना जरूरी था, जो कि नहीं लिया गया. एक प्रकार से केंद्रीय एक्ट का उल्लंघन है. पर्यावरण नियम के अनुसार 20000 वर्ग मीटर से अधिक निर्माण कार्य पर पर्यावरण कलीगंज लेना अनिवार्य है. नए वन भवन की निर्माण एजेंसी पर्यटन विकास निगम ने पर्यावरण क्लीयरेंस लिए बिना ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया. जब भवन बनकर तैयार हुआ तब सिया कमेटी की ओर से आपत्ति उठाई गई है. यह कमेटी की आपत्ति के बाद ही आवेदन दिया गया है.
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