केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से 22 अप्रैल 22 को वन ग्रामों को राजस्व गांव बनाने की घोषणा की थी. एक साल से अधिक समय बीत गया आज तक प्रदेश के 825 वन ग्राम को राजस्व ग्राम नहीं बन पाए. यानि वन ग्राम को राजस्व गांव घोषित करने राज्य सरकार का नोटिफिकेशन नहीं हो पाया. पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार गणेश पांडेय की रिपोर्ट।
दरअसल 825 वन ग्रामों को राजस्व गांव बदलने के लिए 240431 हेक्टेयर वन भूमि को डिनोटिफाई करना होगा. डिनोटिफाई करने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजना था. मेरी जानकारी में आपकी सरकार ने प्रस्ताव ही नहीं भेजा है. सरकार वन ग्रामों में सड़क बिजली पानी जैसी जरूरी सुविधाएं मुहैया भी नहीं करा पा रही है. सूत्रों ने बताया कि नौकरशाही ने मुख्यमंत्री को नहीं बताया कि वन ग्रामों के राजस्व ग्रामों की तरह ग्राम का नक्शा बी-1 आदि अभिलेख तैयार किया जाना एक व्यापक कार्य है. इसके लिए वन विभाग को पटवारियों की आवश्यकता होगी. वन विभाग के अंतर्गत पटवारी के पद स्वीकृत करनेे व वन विभाग के अधिकारियों को राजस्व अधिकारी के अधिकार देने की मांग की गई थी, जोकि सरकार अभी तक नहीं दे पाई.
जिले गांव की संख्या
खंडवा-बुरहानपुर 102
बैतूल 92
डिंडोरी 86
मंडला 84
बालाघाट 70
बड़वानी 70
खरगोन 67
सीहोर 53
होशंगाबाद 52
छिंदवाड़ा 49
हरदा 42
वन ग्रामों में नहीं हो पाए अधोसंरचना विकास के कार्य
वन ग्रामों में 30 लाख राशि प्रति वन ग्राम के मान से (कुल 268 करोड़ 50 लाख रुपये) अधोसंरचना कार्य स्वीकृत किये गये थे। इसके अतिरिक्त लघुवनोपज संघ द्वारा अधोसंरचना विकास, कैम्पा मद से आस्थामूलक कार्य, मनरेगा आदि अन्य योजनाओं में भी अधोसंरचना विकास के कार्य किये जाने थे। यानि मुख्य अधोसंरचना कार्यों में सामाजिक कार्य के अंतर्गत आंगनबाड़ी, शौचालय, सामुदायिक भवन, रोड, पुलिया/रपटा आदि का निर्माण), जल संसाधन कार्य के अंतर्गत तालाब, नहर, स्टापडैम, हैण्ड पम्प, ट्यूब वैल, कुआ, एनीकट आदि का निर्माण तथा ऊर्जा के अंतर्गत सौर ऊर्जा-संयत्र, बायोगैस, एलपीजी आदि शामिल थे। योजना के समाप्ति उपरांत काफी समय व्यतीत हो चुका है। आज तक वन ग्रामों का अधोसंरचना विकास नहीं हुआ और 262 करोड़ 12 साल में खर्च हो गए. इसलिये पूर्व में कराये गये कार्यों के वर्तमान स्थिति के साथ-साथ वन ग्रामों के आदिवासियो के मूलभूत सुविधा का पुन: आंकलन किया जाना आवश्यक है।
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