मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सरकारी स्कूलों में से ज्यादातर में न खेल मैदान हैं और न ही खेल टीचर। इसके बाद भी 40 हजार स्कूली बच्चों से क्रीड़ा शुल्क की वसूली की जा रही है। इस मामले को मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने उठाते हुए राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों से जवाब तलब किया है। पढ़िये रिपोर्ट।
भोपाल के सरकारी स्कूलों की खेल सुविधाओं पर मध्य प्रदेश राज्य मानव अधिकार ने स्कूल शिक्षा विभाग से जवाब मांगा है। भोपाल के सरकारी स्कूलों में 40 हजार बच्चों से 48 लाख का क्रीड़ा शुल्क वसूलने के बाद भी खेलों से दूर बच्चे। भोपाल के 135 सरकारी स्कूलों में से ज्यादातर में न खेल मैदान हैं और न ही खेल टीचर। 30 स्कूलों में खेल टीचर के पद तो हैं लेकिन 22 खेल टीचर के पद खाली पड़े हैं। स्कूलों के 40 हजार बच्चों से खेल के नाम पर 48 लाख का क्रीड़ा शुल्क भी लिया जा रहा है लेकिन खेल सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं।
मानव अधिकार आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों से एक महीने में जवाब देने के निर्देश दिए हैं। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने प्रमुख सचिव, मप्र शासन, स्कूल शिक्षा विभाग, मंत्रालय, भोपाल तथा संचालक, स्कूल शिक्षा संचालनालय, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर विद्यालयों में खेलों की अपेक्षित सुविधाएं और प्रशिक्षकों की नियुक्ति की व्यवस्था अथवा जब तक मप्र शासन ऐसी विशिष्ट सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा सके, तब तक ऐसे विद्यालय के विद्यार्थियों से क्रीड़ा शुल्क की वसूली स्थगित रखने की कार्यवाही कराकर इस संबंध में एक माह में जवाब मांगा है।
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