श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के चीतों की एक के बाद एक पांच और उनके तीन शावकों की मौतों की घटना के बाद अब सभी चीतों के चिकित्सकीय परीक्षण का फैसला लिया गया है। इसके बाद तय किया जाएगा कि चीतों का रेडियो कॉलर हटाया जाए या बदला जाए।
गौरतलब है कि केएनपी में दो चीतों-तेजस और सूरज-दोनों अफ्रीकी चीतों की मौत हो चुकी है जिससे चीता प्रोजेक्ट को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकार के अफसरों में चिंता व्याप्त है। इस घटनाक्रम के दौरान आज को संचालन समिति संपन्न बैठक में दक्षिण अफ़्रीका के एक पशुचिकित्सक एड्रियन टॉर्डिफ़ ने भाग लिया। टॉर्डिफ़ ने कहा कि मुझे आखिरी मिनट में बुलाया गया और समझौते की शर्तों, खासकर हमारी सक्रिय भागीदारी पर चर्चा हुई।
अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की संचालन समिति
टॉर्डिफ ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को संचालन समिति की चर्चाओं में उनकी सक्रिय भागीदारी का आश्वासन दिया गया। उनका कहना था कि भारतीय और दक्षिण अफ़्रीकी पशु चिकित्सकों के बीच बेहतर संचार होगा। एक अधिकारी के अनुसार, इस बीच, बैठक में गीले और आर्द्र मौसम के कारण गर्दन के आसपास संक्रमण की रिपोर्ट के बाद सभी चीतों की चिकित्सा जांच करने का भी निर्णय लिया गया, जहां रेडियो कॉलर लगाए जाते हैं। पिछले चार महीनों में केएनपी में अलग-अलग बीमारियों से भारत में जन्मे तीन शावकों समेत आठ चीतों की मौत हो चुकी है। नामीबियाई मादा चीता से जन्मे तीन शावकों की हीट स्ट्रोक और कुपोषण के कारण मौत हो गई।
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