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चीते पर संकटः कूनो में एक और चीते की मौत, चार महीने में आठवां चीता मृत, केवल 16 चीते ही बचे

1952 के बाद देश में नामीबिया-दक्षिण अफ्रीका से चीता लाकर उनकी पुनर्वासहट के चीता प्रोजेक्ट पर नजर सी लग गई है। आज एक और चीते की मौत हो गई है। अब तक चार महीने में एक के बाद एक आठ चीतों की मौत हो गई। पढ़िये रिपोर्ट।
बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर कूनो नेशनल पार्क में लांच किए गए चीता प्रोजेक्ट पर संकट का बादल मंडरा रहे हैं। चीता प्रोजेक्ट के शुभारंभ के बाद से इस वन्यप्राणी का भारत में जीवन खतरे में आता नजर आ रहा है क्योंकि चार महीने की छोटी अवधि में आठवां चीता मर गया है। ‘सूरज’ नाम के एक उप-वयस्क नर दक्षिण अफ़्रीकी चीता का शव सुबह-सुबह एक गश्ती दल द्वारा खोजा गया, जिससे परियोजना अधिकारी सदमे में आ गए। यह घटना तेजस नाम के चीते की रहस्यमय मौत के तुरंत बाद हुई है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने तक, अधिकारी सूरज की मौत का सटीक कारण बताने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं।
तेजस का वजन नर चीते के औसत वजन से कम था
तेजस, जो एक नर दक्षिण अफ्रीकी चीता भी है, पहले साढ़े पांच साल की उम्र में ‘दर्दनाक सदमे’ का शिकार हो गया था, जिसका वजन केवल 43 किलोग्राम था, जो समान उम्र के चीतों के लिए 55-60 किलोग्राम की औसत वजन सीमा से काफी कम था। इसके अतिरिक्त, तेजस के आंतरिक अंगों को गंभीर क्षति पहुंची थी। अधिकारियों का कहना है कि तेजस का वजन एक औसत नर चीते की तुलना में काफी कम था। इसकी गर्दन के पीछे सतही बाहरी घाव देखे गए, जो त्वचा तक ही सीमित थे और गहराई के बिना थे। जांच के दौरान कोई गहरा घाव नहीं पाया गया।
चीतों के अस्तित्व पर चिंता
कूनो नेशनल पार्क में चीतों की बार-बार हो रही मौतें इन राजसी प्राणियों की भलाई और संरक्षण प्रयासों के बारे में चिंताएं बढ़ा रही हैं। प्रोजेक्ट चीता, जिसका उद्देश्य भारतीय जंगलों में चीतों को फिर से लाना है, अब गहन जांच के अधीन है और इन लुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा और अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए तत्काल पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है।
अब 16 चीते ही बचे
नामीबिया से आठ चीतों को लेकर चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी जिसके बाद दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते और लाए गए थे। इस बीच चार भारतीय शावकों ने भी जन्म लिया। मगर यह खुशी ज्यादा नहीं टिकी और एक-एक करके चार महीने में आठ चीतों की मौत की घटना से वन्यप्राणी विशेषज्ञों के सामने चिंता का प्रश्न खड़ा हो गया है। अब कूनो नेशनल पार्क में केवल 16 चीते ही बचे हैं और उन्हें बचाकर देश में इस विलुप्त प्रजाति के वन्यप्राणियों को संकट से निकाले जने की चुनौती है।
फेक्ट फाइल
27 मार्च को किडनी में संक्रमण के चलते चार साल की मादाचीता साशा की मौत।
23 अप्रैल को नर चीता उदय की हार्टअटैक से मौत हो गई थी। उसे बाड़े में लड़खड़ाकर अचानक बहोश होते देखा गया था।
9 मई को बाड़े में दो नर चीतों अग्नि और वायु के साथ संघर्ष में मादा चीता दक्षा की मौत हो गई थी
23 मई को एक चीता शावक की मौत हुई। इसे सियाया (ज्वाला) चीता ने जन्मा था
25 मई को ज्वाला के दो अन्य शावकों की मौत हुई।
11 जुलाई को चीता तेजस की मौत हो गई। इसे दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था।
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