परिवार संग राजनीतिः खुद या नहीं तो पति-पत्नी-बच्चों के लिए टिकट की दावेदारी

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का मौसम है तो टिकटर्थी भाजपा और कांग्रेस दोनों में दावेदारी करने में पीछे नहीं हैं। मगर कुछ लोग परिवार संग टिकट की चाह में जुटे हैं जो खुद नहीं अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए टिकट की चाह लिए पार्टी दफ्तरों व नेताओं के दरवाजों पर बायोडाटा लेकर खड़े नजर आने लगे हैं। यह सब तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो या कांग्रेस का हाईकमान परिवार को टिकट देने की नित नई गाइड लाइन बनाते रहते हैं। पढ़िये टिकटार्थियों की भीड़ में ऐसे परिवार संग राजनीति करने और चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वालों पर वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कैलासिया की रिपोर्ट।

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए पार्टियां सर्वे करा रही हैं। सार्वजिनिक रूप से नेता कहते रहते हैं कि जीतने वाले स्थानीय नेताओं को टिकट दिया जाएगा लेकिन टिकट की चाह रखने वाले अपनी तरफ से कोशिशों को जारी रखते हैं। ऐसे में कुछ ऐसे चेहरे भी सामने आ रहे हैं जो परिवार में ही किसी को भी टिकट की चाह लेकर कोशिशें कर रहे हैं। इनमें कुछ बड़े नेता हैं जो अपनी पारी के बाद परिवार के दूसरे सदस्य के लिए जगह छोड़ने को तैयार हैं। इनमें से कुछ जाने-माने चेहरे भी हैं जो हाईलेबल पर प्रयास करते हैं और उन्हें सफलता भी मिलती रही है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्रियों दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, उमा भारती, स्व. बाबूलाल गौर, स्व. कैलाश जोशी और स्व. सुंदरलाल पटवा से लेकर या पूर्व मंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय या पूर्व मंत्री स्व. लक्ष्मण गौड़ या ग्वालियर के विधायक सतीश सिकरवार के नाम प्रमुखता से लिए जा सकते हैं।


कांग्रेस के ऐसे नेता परिवारों के बारे जानेंः
चुनाव में टिकट के लिए हर स्तर पर नेता प्रयास करता है।

  1. नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह का भांजा है जिसके लिए वे पिछले चुनाव से कोशिशें करते रहे हैं। इस बार वे टिकट देने वाली टीम के अहम हिस्से हैं तो उनकी यह कोशिश कितनी सफल होती है, समय बताएगा।
  2. पिछले विधानसभा चुनाव में पुत्र मोह में कांग्रेस से बगावत कर चुके पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी के यहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की बैठक के बाद उनके परिवार को कांग्रेस से टिकट मिलने की सुगबुगाहट फिर शुरू हुई है। उनकी बेटी निधि के पोस्टर महाराजपुर विधानसभा सीट पर दिखाई भी देने लगे हैं।
  3. कांग्रेस के पूर्व विधायक शंकरप्रताप सिंह बुंदेला भी इस बार दमदारी के साथ चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं। हालांकि वे अपने बेटे को भी साथ लेकर चल रहे हैं। पार्टी अनुभवी को मैदान में उतारना चाहे तो वे खुद तैयार हैं और युवा चेहरे का विकल्प उन्होंने अपने बेटे को बताया है।
  4. कांग्रेस के पूर्व मंत्री राजा पटैरिया भी टिकट की चाह में हैं लेकिन उनकी राह में दो बड़े नेताओं की पसंद-नापसंद आड़े आ रही है। पीएम पर टिप्पणी के मामले में जेल में रह आए पटैरिया अपने या अपने बेटे को टिकट दिलाने के लिए संगठन के प्रमुख लोगों से मिलते दिखाई दे रहे हैं ।
  5. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व विधायक कांतिलाल भूरिया लंबे समय से विधानसभा व लोकसभा की चुनावी राजनीति में हैं लेकिन इस बार वे अपने बेटे विक्रांत भूरिया के लिए कोशिश कर सकते हैं। वे एकबार फिर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बनेंगे तो बेटे को विधानसभा चुनाव लड़ा सकते हैं।
  6. बड़ा मलहरा विधानसभा सीट से टीकमगढ़ के एक स्थापित व्यापारी सुमित उपाध्याय अपनी वकील पत्नी प्रीति को चुनाव लड़ाना चाहते हैं लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिलता है तो उन्हें अपने लिए भी दरवाजे खोल रखे हैं।
  7. पूर्व आईएएस अधिकारी अजीता बाजपेयी कांग्रेस संगठन में सक्रिय हैं और चुनावी राजनीति के लिए अपनी दो बेटियों को आगे किए हैं। वे भोपाल की किसी सीट से टिकट पाने की कोशिश कर रही हैं और कमलनाथ के ये बेटियां नजदीक भी हैं।
  8. भोपाल जिला कांग्रेस की कुर्सी से हटे कैलाश मिश्रा हुजूर विधानसभा सीट से अपनी या अपने दामाद मनोज शुक्ला की दावेदारी पर कोशिश कर रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी खेमे के इन नेताओं को कमलनाथ का साथ भी बताया जा रहा है।
  9. भोपाल उत्तर से विधायक व पूर्व मंत्री आरिफ अकील का स्वास्थ्य कारणों से इस बार विधानसभा चुनाव लड़ना संभव नहीं है और उनकी कोशिशें हैं कि उनके बेटे को टिकट मिल जाए। बेटे के साथ उनका छोटा भाई भी इस सीट के लिए प्रयासरत है लेकिन अकील अपने बेटे को चुनाव लड़ना चाह रहे हैं।
    1. भाजपा के ऐसे नेता परिवारों के बारे जानेंः
    2. भाजपा में एक परिवार से एक टिकट का फार्मूला पिछली बार चला था जिसमें बाबूलाल गौर की बहू, कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश को पार्टी ने टिकट दिया था।
    3. इस बार भी यह फार्मूला चला तो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे को ग्वालियर से टिकट मिल जाएगा। तोमर इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोर टीम के मेम्बर माने जाते हैं।
    4. नरोत्तम मिश्रा भी अपने बेटे को राजनीति में लाना चाह रहे हैं लेकिन एक परिवार एक टिकट के फार्मूले में बेटे का नंबर नहीं लग पा रहा है। मिश्रा मध्य प्रदेश मेंअमित शाह के विश्वस्त नेताओं की सूची में हैं।
    5. वरिष्ठ विधायक व मंत्री गोपाल भार्गव भी अपने बेटे को राजनीति में लाना चाहते हैं जिसके लिए वे कोशिश भी करते रहे हैं। इस बार पार्टी युवा चेहरों को आगे बढ़ाने के लिए भार्गव के बेटे को टिकट दे सकती है।
    6. पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार अपने बेटे को टिकट तो दिलाने की उपचुनाव से कोशिशें कर रहे हैं लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक प्रभूराम चौधरी उनके आगे सबसे बड़ा अड़ंगा है। सिंधिया समर्थक चौधरी को इस बार भी टिकट मिलना तय है और ऐसे में शेजवार को अपने बेटे के लिए ज्यादा प्रयास करना होंगे।
    7. पूर्व मंत्री और मप्र पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन अपनी बेटी को आगे करना चाहते हैं। वे बेटी के राजनीतिक में उज्जवल भविष्य को लेकर लोगों के सामने श्रेष्ठ वक्ता होने की बातें करते हं।
    8. पूर्व मंत्री और भोपाल के पूर्व महापौर उमाशंकर गुप्ता कुछ समय पहले तक अपने लिए टिकट की कोशिशें कर रहे थे लेकिन इसके बाद उन्होंने अपनी बेटी के लिए यह प्रयास शुरू किए। मगर कुछ समय से वे शांत बैठे हैं। हालांकि भोपाल दक्षिण पश्चिम में कर्मचारियं की नाराजगी के बाद भी कांग्रेस की स्थिति अच्छी नहीं होने से भाजपा कोई अनुभवी के नाम पर उन्हें या नये चेहरे के नाम पर उनकी बेटी को चांस दे सकती है।

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