भोपाल की बड़ी झील को नुकसान पहुंचाने पर नगर निगम पर NGT का एक्शन, एक करोड़ का हर्जाना चुकाना होगा

भोपाल की शान बड़ी झील को संरक्षित करने का नगर निगम का जिम्मा है लेकिन उसने इसे नुकसान पहुंचाया है। यह मानते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भोपाल नगर निगम को दोषी मानते हुए एक करोड़ रुपए का हर्जाना देने का आदेश दिया है। पढ़िये रिपोर्ट।

NGT में पर्यावरण एक्टिविस्ट राशिद नूर ने एक याचिका लगाई थी जिसमें भोपाल की बड़ी झील के दायरे में जेटी बनाए जाने तथा इससे झील के इकोसिस्टम को नुकसान पहुंचाने का मुद्दा उठाया था। एनजीटी ने याचिका में पाया कि भोपाल नगर निगम ने झील के फ्लोरा, फोना और एवी फोना को हानि पहुंचाई है। झील के 50 मीटर के दायरे में तथा जो क्षेत्र जलमग्न है, वहां जेटी का अस्थाई निर्माण किया है जो अवैध है और उससे तालाब के इकोसिस्टम को क्षति पहुंची है।

प्रदूषण निवारण मंडल में एक करोड़ रुपए जमा करने के आदेश
एनजीटी ने भोपाल नगर निगम को आदेश किया है कि उसने बड़ी झील में जिस तरह जेटी बनाकर उसे नुकसान पहुंचाया, उसके एवज में मध्य प्रदेश प्रदूषण निवारण मंडल के पास तीन महीने के भीतर एक करोड़ रुपए की राशि जमा करना होगी। इस कार्य में इससे भी ज्यादा व्यय होने की स्थिति में अंतर की राशि भी भोपाल नगर निगम को ही चुकाना होगी।

एक महीने में निर्माण तोड़ने के आदेश
एनजीटी ने भोपाल नगर निगम द्वारा बड़ी झील में किए गए निर्माण को एक महीने के भीतर तोड़ने का आदेश दिया है। निर्माण तोड़कर पूर्व की स्थिति में लाने का आदेश में उल्लेख है। यह निर्माण तोड़ने के लिए एनजीटी ने भोपाल नगर निगम को आदेश नहीं दिया बल्कि प्रदूषण निवारण मंडल के माध्यम से ही उसे तोड़े जाने के आदेश किए हैं।

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