MP में 20 साल में आदिवासियों की 60 एकड़ जमीन गैर आदिवासियों को बेची, सही आंकड़े छिपाए, MLA’s को दी अलग-अलग जानकारी

मध्य प्रदेश में आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासियों को बेचने की अनुमति देने में जबलपुर में पोस्टेड रहे तीन आईएएस दीपक सिंह, ओमप्रकाश श्रीवास्तव, बसंत कुर्रे पर भले ही लोकायुक्त में केस बन गया लेकिन पिछले 20 साल में आदिवासियों की 60 एकड़ जमीन गैर आदिवासियों को बेच दी गई। इस तथ्य की हकीकत को छिपाने के लिए विधानसभा में जो आंकड़े दिए गए, वह अलग-अलग विधायकों को अलग-अलग दिए गए। इन विधायकों ने दोनों प्रश्नों में सरकार द्वारा दी गई जानकारियों को रखते हुए अब सवाल खड़े किए हैं। पेश है विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह और कांग्रेस के एक अन्य विधायक प्रताप ग्रेवाल के लिखित प्रश्नों के जवाब पर आधारित यह रिपोर्ट।

पंद्रहवीं विधानसभा के अंतिम सत्र में आज कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासियों को बेचे जाने को लेकर लिखित प्रश्न किया था जिसका सरकार ने जवाब दिया तो ग्रेवाल गफलत में पड़ गए। कांग्रेस विधायक ने यह मामला नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह की जानकारी में लिखित रूूप से ला दिया है।
आंकड़ों में विरोधभास पर कांग्रेस विधायक चौंके
ग्रेवाल का कहना है कि इसी जानकारी के लिए नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने भी फरवरी-मार्च 2018 में किया था और उसका जवाब दिसंबर 2022 को दिया गया। नेता प्रतिपक्ष को दिए गए जवाब में 2010-15 के पांच सालों में आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी को बेचे जाने के प्रकरणों की जिलेवार सूची दी गई। ग्रेवाल का कहना है कि उनके आज के लिखित प्रश्न के जवाब में परिशिष्ट में 2004-05 से 2022-23 तक की जानकारी देना बताया गया। मगर नेता प्रतिपक्ष और उन्हें दिए गए आंकड़ों में काफी विरोधाभास है। ग्रेवाल कहते हैं कि आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचे जाने के आंकड़े पांच साल के ज्यादा हैं और 20 साल की जानकारी में यह संख्या कम है।
2018-2022 के बीच 657 प्रकरणों में आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासी को बिकी
ग्रेवाल के लिखित प्रश्न के जवाब में 2018 से 2022 की अविध के जो आंकड़े बताए गए हैं, उसके मुताबिक प्रदेश के 657 मामलों में ऐसी जमीन गैर आदिवासियों को बेची गई। सबसे ज्यादा राजगढ़ में 273 तो उज्जैन में 165 व इंदौर में 112 आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचे जाने के मामले हुए हैं।

नेता प्रतिपक्ष-ग्रेवाल के सवालों में आंकड़ों का ऐसा अंतर

  1. शाजापुर में नेता प्रतिपक्ष को दिए गए जवाब में 27 मामले रहे तो ग्रेवाल को दी गई जानकारी के हिसाब से 11 प्रकरणों में गैर आदिवासियों को बिकी जमीन।
  2. आगर मालवा में डॉ. गोविंद सिंह को मिले जवाब में नौ प्रकरण थे तो कांग्रेस विधायक ग्रेवाल के आज के सवाल के जवाब में यह संख्या शून्य बताई गई।
  3. खंडवा में डॉ. सिंह को दी गई जानकारी में 86 प्रकरण बताए गए लेकिन ग्रेवाल को आज 16 ऐसे प्रकरण होने की जानकारी दी गई।
  4. बुरहानपुर में नेता प्रतिपक्ष को सरकार ने लिखित प्रश्न के जवाब में 63 प्रकरण बताए थे जिनकी संख्या ग्रेवाल को आज के सवाल के जवाब में 66 बताई गई।
  5. बैतूल में नेता प्रतिपक्ष डॉ. सिंह को जवाब में 18 प्रकरण की जानकारी दी गई थी तो ग्रेवाल को सरकार ने यह संख्या मात्र छह दी है।
  6. सागर में नेता प्रतिपक्ष को गैर आदिवासियों को बेची गई जमीन के 246 प्रकरण बताए गए थे लेकिन ग्रेवाल की सूची में इनकी संख्या 104 दिखाई गई।
  7. जबलपुर में डॉ. गोविंद सिंह को सरकार की तरफ सवाल के जवाब में 716 मामलों में गैर आदिवासियों को जमीन बेचे जाने की जानकारी दी गई तो ग्रेवाल को लिखित प्रश्न के उत्तर में यह आंकड़ा 133 कर दी गई।
  8. सिवनी में नेता प्रतिपक्ष को गैर आदिवासियों को 526 जमीन के बेचे जाने के मामले बताए गए तो ग्रेवाल को दी गई सूची में इस जिले में 60 गैर आदिवासियों को जमीन बेचे जाने के मामले दिखाए गए हैं।
  9. बालाघाट में डॉ. गोविंद सिंह के लिखित प्रश्न के जवाब में 482 प्रकरणों के माध्यम से आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचना बताया गया और इसी जिले में ग्रेवाल की सूची में आदिवासियों की जमीन के 135 प्रकरण गैर आदिवासियों को बेचे जाने के दिखाए गए हैं।
  10. सिंगरौली में भी नेता प्रतिपक्ष और ग्रेवाल को लिखित प्रश्नों के जवाब में अलग-अलग आंकड़े बताए गए। डॉ. सिंह को 106 मामले बताए गए तो ग्रेवाल को जिले में 13 प्रकरणों में गैर आदिवासियों को आदिवासियों की जमीन बेचा जाना बताया गया।

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