टीकमगढ़ में माफिया के मददगार बने वनकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं, असंतोष

टीकमगढ़ वन मंडल में माफिया और वन कर्मियों सांठगांठ से अवैध उत्खनन और अतिक्रमण लगातार हो रहे हैं. विभाग के आला अफसर मौन है. अवैध कारोबारियों की मदद करने वाले एसडीओ से लेकर वनपाल तक की शिकायतें सालों से विजिलेंस शाखा में कार्रवाई के लिए लंबित है. वन अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर गंभीर आरोप होते हुए भी कार्यवाही नहीं होने के कारण अवैध कारोबार का सिलसिला जारी है.

टीकमगढ़ वन मंडल बल्देवगढ़ बीट अहार के आरक्षित वन क्षेत्र क्रमांक 99 और 100 में लगातार अवैध उत्खनन का कारोबार चल रहा है. इसकी मुख्य वजह यह है कि अवैध उत्खनन का कारोबार करने वाले आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जाना है. अहार के आरक्षित वन क्षेत्र क्रमांक 100 में अवैध उत्खनन करने पर वनरक्षक घनेंद्र प्रताप खरे ने दिसंबर 21 को अपराध क्रमांक 381/13 दर्ज किया. प्रकरण दर्ज होने के बाद जब जांच शुरू हुई तब वन विभाग के तत्कालीन बल्देवगढ़ रेंजर राजेंद्र पस्तोर, डिप्टी रेंजर रामसेवक अहिरवार और वनरक्षक नारायणदास यादव का अवैध खनन करने वाले कारोबारी गुड्डू नायक के साथ सांठगांठ होने का मामला प्रकाश में आया. चूंकि अवैध कारोबारी से वन कर्मियों के रिश्ते होने की वजह से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई. हालांकि वनरक्षक घनेंद्र प्रताप खरे ने जब वरिष्ठ अधिकारियों से कार्रवाई करने के लिए पत्राचार किया तब एसडीओ रामकुमार अवधिया की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी गठित की गई. दिलचस्प पहलू यह है कि जांच अधिकारी रामकुमार अवधिया के खिलाफ विभाग में कई जांच लंबित है. के कारण उन्हें आईएफएस के लिए चयन नहीं किया गया.

जांच कमेटी ने नहीं की निष्पक्ष जांच
टीकमगढ़ डीएफओ ने बड़ी आशा के साथ राज्य वन सेवा के अधिकारी रामकुमार अवधिया को अवैध उत्खनन और कारोबारियों से वन कर्मियों की रिश्ते को लेकर जांच अधिकारी बनाया किंतु निष्पक्ष जांच नहीं हो पाई. प्रकरण दर्ज करने वाले मैदानी वन कर्मियों और ग्रामीणों का कहना है कि जांच कमेटी ने उल्टे, गवाहों को बयान बदलने के लिए प्रभावित किया. यही नहीं, आरक्षित वन क्षेत्र का वन भूमि का स्वरूप ही बदल दिया. जबकि डिप्टी रेंजर रामसेवक अहिरवार ने अवैध उत्खनन कारोबारी की मदद कर वन संपदा को नुकसान पहुंचाया. यही नहीं, जांच कमेटी ने अपराध दर्ज करने वाले घनेंद्र प्रताप खरे के खिलाफ उल्टी कार्रवाई कर दी. वही डिप्टी रेंजर के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं की गई. मामला शिकायत एवं सतर्कता शाखा भोपाल में लंबित है.

पट्टा दिलाने का झूठा आश्वासन
14 गरीब आदिवासियों से वनभूमि का पट्टा दिलाने का का मामला भी प्रकाश में आया. जांच प्रतिवेदन क्रमांक 2021/463 के अनुसार यह तथ्य उजागर हुआ कि वनपाल रामसेवक अहिरवार ने बड़मलाई के 14 आदिवासियों से धन लेकर पट्टे दिलाने का आश्वासन दिया गया. जब उन्हें पट्टे नहीं मिले तब आदिवासियों ने शिकायत की और जांच प्रतिवेदन में यह तथ्य सामने आया कि वन कर्मियों ने आदिवासियों से ₹28000 रिश्वत लिया गया. आदिवासियों को न तो पट्टे दिए गए और न ही उनसे से लिए गए रुपए वापस लौटाए गए. यहां तक कि दोषी वन कर्मियों के खिलाफ कोई कार्यवाही भी नहीं की गई. प्राथमिक लघु वनोपज संघ बुडेरा मैं मजदूरी के भुगतान में की गई गड़बड़ी करने के मामले में वनपाल अहिरवार को 20 जनवरी 22 को निलंबित किया गया. इस मामले की जांच रेंजर महेश पटेल बल्देवगढ़ ने फौरी तौर पर की. यहां तक कि उन्होंने जांच के लिए प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति बुडेरा का रिकॉर्ड भी जप्त करना उचित नहीं समझा.

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