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पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन की हेमा पर लोकायुक्त पुलिस एक्शन का टारगेट कौन? चेयरमैन या एमडी या इमेज…

मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन की महिला सब इंजीनियर हेमा मीना के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई को लेकर प्रशासनिक व राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि आखिर इसमें टारगेट कौन है। कारपोरेशन के चेयरमैन या एमडी। चेयरमैन लोकायुक्त डीजी से पिछले साल अचानक हटाए गए थे तो उपेंद्र जैन को भी पांच साल पूर्व खेल संचालक व फिर पुलिस दूरसंचार व भोपाल जोन से हटाकर कारपोरेशन में एमडी बनाया गया। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन में कुछ सालों के दौरान कई बड़े-बड़े प्रोजेक्ट आए हैं लेकिन गुरुवार को कारपोरेशन की संविदा कर्मचारी सब इंजीनियर जिसे असिस्टेंट इंजीनियर का चार्ज दिया गया था, उसके यहां लोकायुक्त पुलिस के छापे ने निगम के अंदर चल रहे गड़बड़ झाले पर सवाल खड़े किए हैं। महिला इंजीनियर हेमा मीना की मात्र 13 साल की अस्थाई नौकरी थी और इस नौकरी में वह जितनी तनख्वाह पा चुकी थी, उससे कहीं ज्यादा कीमत का उसके घर टीवी मिला था। विदेश नस्लों के दर्जनों वफादार कुत्ते, कई लग्जरी चार पहिया गाड़ियों का काफिला, एक दो नहीं दर्जनों कमरों का फार्म हाउस लोकायुक्त पुलिस को उनके यहां मिला।
हेमा की अकूत संपत्ति के पीछे कौन?
पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन में चेयरमैन और एमडी में अधिकार संपन्न एमडी होता है जो प्रशासनिक व अन्य अधिकारों से लैस होता है। हेमा मीना संविदा सब इंजीनियर होने के बाद भी उन्हें असिस्टेंट इंजीनियर का प्रभार क्यों दिया गया और उनके कामकाज पर निगरानी करने वाले कौन अधिकारी थे, यह सवाल अब चर्चा में है। जब अस्थाई कर्मचारी के यहां अकूत संपत्ति मिली तो कारपोरेशन के अन्य स्थाई कर्मचारियों पर संदेह की सुई उठने लगी है।
हेमा पर छापा टारगेट कौन?
हेमा मीना के यहां लोकायुक्त पुलिस के छापे को लेकर कई तरह की चर्चा हैं और कहा जा रहा है कि हेमा टारगेट नहीं बल्कि इसमें निशाना किसी और पर है। टारगेट पर पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के चेयरमैन या एमडी तो नहीं हैं। चेयरमैन का नाम इसलिए चर्चा में है क्योंकि लोकायुक्त डीजी रहते हुए उन्होंने कई बड़ी मछलियों पर एक्शन लेने की कोशिश की थी और उन्हें पोस्टिंग के छह महीने की अवधि होने के पहले ही हटा दिया गया था। तब उनके और लोकायुक्त संगठन के कुछ प्रमुख हस्तियों के बीच तल्खी भरे संबंधों की चर्चा सोशल मीडिया तक पर दिखाई दी थी। उनकी जो छवि तब सोशल मीडिया और मीडिया में सुर्खी बनी थी उससे उनकी अधीनस्थ हेमा के यहां छापे से कहीं न कहीं ठेस पहुंची है। दूसरा, हेमा पर छापे को लेकर टारगेट एमडी उपेंद्र जैन तो नहीं हैं क्योंकि उनकी भी पांच साल के दौरान चार पोस्टिंग बदली जा चुकी हैं। बहरहाल जो भी होगा, हेमा मीना जैसे सरकारी कर्मचारियों पर एक्शन से मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के तारों की मजबूती पता चलती है और ईमानदारी से ऊपरी लेन-देन की बातें कहीं न कहीं सही साबित होती हैं।
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