MP पुलिसः 12 साल में 190 ने वर्दी पर लगाया दुष्कर्म का दाग, 90 बेदाग निकले

पुलिस जनता की रक्षक होती है लेकिन कई बार इनमें से भी कुछ लोग वर्दी पहनकर महिलाओं-बच्चियों के साथ हवसीपन दिखा जाते हैं। 2010 से 12 साल में मध्य प्रदेश पुलिस पर 190 वर्दीधारियों ने दाग लगाया लेकिन इनमें से 90 मामलों में पुलिसकर्मी दोषमुक्त करार दिए गए या फिर उनके केस में पुलिस ने खात्मा लगा दिया या राजीनामा हो गया या फिर अदालत ने उनकी एफआईआर निरस्त कर दी। जानिये मध्य प्रदेश पुलिस के दागदार पुलिसकर्मियों की विस्तृत जानकारी।

मध्य प्रदेश पुलिस के कर्मचारियों के खिलाफ 2010 से लेकर 2022 के बीच दुष्कर्म के मामलों को लेकर विधानसभा में सरकार ने जानकारी दी है। कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के प्रश्न के जवाब में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि प्रदेश में 12 साल में 190 पुलिसकर्मियों के खिलाफ दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए थे। विधानसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक इनमें से 75 पुलिसकर्मियों को दोषमुक्त करार दिया गया। वहीं आठ मामलों में पुलिस की विवेचना के बाद खात्मा लगाया गया तो दो प्रकरणों में आरोपियों के साथ राजीनामा हो गए। चार मामलों में कोर्ट ने प्रकरणों को निरस्त कर दिया।

12 साल में दुष्कर्म के मामलों में सजा पाने वाले पुलिसकर्मी के मामले

  • निरीक्षक अरुण शिवपाल सिंह के खिलाफ 2012 में अमरकंटक अनूूपपुर में दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ था जिसमें उन्हें 10 साल की सजा हुई।
  • उप निरीक्षक सुमित मिश्रा के खिलाफ 2018 में पचमढ़ी नर्मदापुरम में दुष्कर्म का मामला बना जिसमें उन्हें 10 साल की सजा हुई।
  • सिपाही जयपाल अहिरवार के खिलाफ 2016 में सिविल लाइन छतरपुर में दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ था जिसमें चार साल की सजा व पांच हजार रुपए का अर्थदंड हुआ था।
  • सिपाही संतोष सिंह मरकाम के खिलाफ 2019 में स्टेशनगंज नरसिंहपुर में अपहरण, मारपीट, दुष्कर्म का केस बना और उसे सजा भी हुई।
  • सिपाही मयंक तिवारी के खिलाफ 2017 में ग्वारीघाट जबलपुर में दुष्कर्म का मामला पंजीबद्ध हुआ जिसमें उसे सजा भी सुनाई गई।
  • हवलदार भरत घावरी के खिलाफ 2019 में नीमच सिटी में दुष्कर्म का मामला बना और उसे दस साल की सजा भी हुई।
  • सिपाही सुनील कनौजे के खिलाफ 2015 में कोतवाली खंडवा में दुष्कर्म का मामला कायम हुआ और सात साल की सजा व दो हजार का अर्थदंड सुनाया गया।
  • सिपाही मनीष सिंह सिकरवार के खिलाफ 2013 में भिंड देहात अपहरण-दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ और उसे आजीवन कारावास की सजा भी हुई।
  • सिपाही अतुल शर्मा के खिलाफ 2014 में ग्वालियर कम्पू में दुष्कर्म का मामला पंजीबद्ध हुआ और उसके खिलाफ दोषसिद्ध भी हुआ।
  • सिपाही राघवेंद्र सिंह के खिलाफ 2017 में महिला थाना ग्वालियर में दुष्कर्म का प्रकरण बना था जिसमें उसे दस साल की सजा के साथ 50 हजार का अर्थदंड भी किया गया।

12 साल में उप निरीक्षक या उससे ऊपर रैंक के अधिकारियों पर दर्ज प्रकरण

  • उप निरीक्षक पंकज तिवारी के खिलाफ मुरार ग्वालियर में 2015 में केस दर्ज हुआ था जिसमें खात्मा लग चुका है।
  • कार्यवाहक निरक्षक सुरेंद्र सिंह यादव के खिलाफ विश्वविद्यालय ग्वालियर में 2022 में अप्राकृतिक कृत्य व जान से मारने की धमकी का मामला दर्ज हुआ है जो विचाराधीन है।
  • उप निरीक्षक धर्मेंद्र कुशवाह के खिलाफ महाराजपुरा ग्वालियर थाने में 2022 में मारपीट, जान से मारने की धमकी व दुष्कर्म का मामला कोर्ट में विचाराधी है।
  • उप निरीक्षक रमेश डांडे के खिलाफ केंट गुना में 2018 में दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ था लेकिन इसमें खारिज लगा दी गई।
  • 17वीं बटालियन के एमटी के उप निरीक्षक प्रमोद दुबे के खिलाफ कोतवाली दतिया में 2012 में दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ जिसमें बाद में खारिजी लगा दी गई।
  • उप निरीक्षक राजेश साहू के खिलाफ महिला थाना इंदौर में 2013 में दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ जो दोषमुक्त करार दिए गए।
  • प्लाटून कमांडर नरेंद्र खेड़े के खिलाफ महिला थाना इंदौर में 2018 में दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ जो अभी विचाराधीन है।
  • उप निरीक्षक शैलेंद्र सिंह के खिलाफ महिला थाना में 2018 में दुष्कर्म का मामला पंजबद्ध हुआ जो अभी विचाराधीन है।
  • निरीक्षक नरेश कुमार सूर्यवंशी के खिलाफ गंधवानी धार में 2013 में दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ जो विचाराधीन है।
  • उप निरीक्षक दीपक यादव के खिलाफ अजाक खरगोन में 2020 में दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ जिसमें वे दोषमुक्त हो गए।
  • सूबेदार अनुपम अग्रवाल के खिलाफ कोतवाली खंडवा में 2020 में दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ जो विचाराधीन है।
  • उप निरीक्षक संदीप अयाची के खिलाफ अजाक नरसिंहपुर में 2012 में अपहरण दुष्कर्म का मामला बना लेकिन वे दोषमुक्त करार दिए गए।
  • उप निरीक्षक धनसिंह धुर्वे के खिलाफ लालबर्रा बालाघाट में 2019 में दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ जो विचाराधीन है।
  • निरीक्षक सुदर्शन टोप्पो के खिलाफ लांजी बालाघाट में 2015 में दुष्कर्म का केस बना जिसमें वे दोषमुक्त हो गए हैं।
  • निरीक्षक गंगाप्रसाद दुबे के खिलाफ अजाक मंडला में 2010 में दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ जिसमेंं वे दोषमुक्त करार दिए गए।
  • उप निरीक्षक महेंद्र मिश्रा के खिलाफ 2018 में मऊगंज रीवा में पाक्सो एक्ट व दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ जिसमें वे दोषमुक्त हो गए।
  • उप निरीक्षक राजन सिंह गुर्जर के खिलाफ 2021 में महिला थाना नर्मदापुरम में दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ है जो विचाराधीन है।
  • निरीक्षक अमिताभ सिंह के खिलाफ टीटीनगर भोपाल में दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ जिसमें वे दोषमुक्त हो गए।
  • सूबेदार अजय भिरे के खिलाफ 2020 में मंडी सीहोर में दुष्कर्म का मामला दर्ज हआ जो विचाराधीन है।
  • उप निरीक्षक सुभाष द्विवेदी के खिलाफ 2015 में पचोर राजगढ़ में दुष्कर्म का केस बना जो विचाराधीन है।
  • उप निरीक्षक दीपांकर गौतम के खिलाफ 2015 में ब्यावरा शहर राजगढ़ में दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ जिसमें वे दोषमुक्त हो गए।
  • उप निरीक्षक रामभगवान पाठक के खिलाफ 2019 में कोतवाली विदिशा में दुष्कर्म का मामला बना जो अभी विचाराधीन है।
  • उप निरीक्षक विपिन बाथम के खिलाफ 2022 में उन्हेंल उज्जैन में दुष्कर्म का केस बना जो अभी विचाराधीन है।
  • उप निरीक्षक गोकुल सिंह मंडोत के खिलाफ 2020 में चिमनगंज उज्जैन में दुष्कर्म का प्रकरण दर्ज हुआ जो विचाराधीन है।
  • उप निरीक्षक विकास देवड़ा के खिलाफ 2022 में चिमनगंज उज्जैन में दुष्कर्म का मामला पंजीबद्ध हुआ जिसमें वे दोषमुक्त हो गए।

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