विभाजन के बाद रिटायर्ड हुए कर्मचारी MP-CG सहमति में उलझे, वित्तीय नुकसान के बहाने टालमटोल

मध्य प्रदेश के 2000 में हुए विभाजन के बाद रिटायर होने वाले कर्मचारियों-अधिकारियों को पेंशनर्स के रूप में मिलने वाली महंगाई राहत देने में सरकार छत्तीसगढ़ राज्य सरकार से सहमति के नाम पर फाइल को वहां भेजती है। इससे महीनों तक पेंशनर्स को महंगाई राहत की राशि पर फैसला नहीं होता और फिर सरकार एरियर की राशि पेंशनर्स को नहीं देती। अभी राज्य सरकार ने एक जनवरी से चार फीसदी महंगाई राहत पेंशनर्स देने का फैसला तो कर लिया है लेकिन जुलाई में दी गई महंगाई राहत की फाइल ही छत्तीसगढ़ से नहीं लौटी है। आपको बता रहे हैं क्या है मामला।

मध्य प्रदेश में आज की तारीख में करीब साढ़े चार लाख वे पेंशनर्स हैं जो छत्तीसगढ़ गठन के बाद रिटायर हुए हैं। नवंबर 2000 के पहले रिटायर हुए कर्मचारियों की संख्या करीब 25 हजार होगी। साढ़े चार लाख पेंशनर्स की पीड़ा है कि उनके छत्तीसगढ़ गठन के बाद रिटायर होने के बाद भी उन पर राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 (6) को लागू किया जा रहा है जबकि उनके रिटायरमेंट की अवधि में वित्तीय भार का छत्तीसगढ़ राज्य को कोई सरोकार नहीं है।
कर्मचारियों-पेंशनर्स को डीए-डीआर पर पेंशनर्स की पीड़ा
मध्य प्रदेश की पेंशनर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ अध्यक्ष गणेशद्त जोशी ने कहा कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकारें पेंशनर्स के महंगाई राहत पर सहमति देने में कोताही बरतती हैं। इस बार सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के साथ पेंशनर्स को भी चार फीसदी डीए-डीआर देने का फैसला किया है लेकिन पेंशनर्स को डीआर देने के लिए पहले फिर फाइल छत्तीसगढ़ जाएगी। अभी जुलाई 2022 में दिए गए चार फीसदी डीआर को ही छत्तीसगढ़ से सहमति नहीं मिली है और जनवरी 2023 से दिए गए चार फीसदी डीआर की फाइल सरकार फिर छत्तीसगढ़ भेजेगी। ऐसे में पेंशनर्स को जब छ्त्तीसगढ़ से सहमति मिलती है तब से सरकार डीआर देती है जिससे कोविड काल से लेकर अभी तक एक कर्मचारी को आठ से लेकर 10 हजार रुपए का नुकसान हो चुका है।

केंद्र शासन के पत्र के बाद भी सहमति के नाम पर टालमटोल
केंद्र सरकार ने 13 नवंबर 2017 को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों को एक पत्र भेजा था जिसमें पेंशन प्रकरणों में दोनों राज्यों के बीच सहमति की कोई जरूरत नहीं है। राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की छठवीं सूची में इसका कोई प्रावधान नहीं है। मगर इसके बाद भी मध्य प्रदेश के पेंशनर्स को दिए जाने वाले महंगाई राहत के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य से सहमति के लिए एमपी गर्वनमेंट फाइल भेज रही है।

नियमों में संशोधन के लिए मप्र सरकार की असहमति
केंद्र सरकार के राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 में पेंशन प्रकरणों में कोई सहमति नहीं होने का स्पष्ट कर चुकी है लेकिन इसके बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार के मार्च 2019 के एक पत्र से यह ज्ञात होता है कि दोनों सरकारों के बीच पेंशन नियम बदलने पर चर्चा हुई है। छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि उसने मध्य प्रदेश सरकार से पूछा था लेकिन उसने असहमति दे दी है। मगर जब केंद्र सरकार साफ तौर पर इस तरह की सहमति की जरूरत से इनकार कर चुकी है तो फिर राज्य सरकारें पेंशनर्स को समय पर महंगाई राहत देने में अड़ंगा क्यों लगा रही हैं।

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