MP स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर 17 तक होगा फैसला, सदन में पहुंचा तो यह बनेगा इतिहास

मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष के गिरीश गौतम के खिलाफ कांग्रेस द्वारा लाया जा रहा अविश्वास प्रस्ताव राज्य के संसदीय इतिहास में दर्ज हो सकता है। आज विधानसभा सचिवालय को सौंपे गए अविश्वास प्रस्ताव पर 14 दिन विधानसभा सचिवालय को फैसला लेना होगा और सदन में अगर यह मान्य या अमान्य करने के लिए पहुंचता तो मध्य प्रदेश के विधानसभा संसदीय इतिहास में दूसरी बार दर्ज होगा।

विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया बताई। इसमें कई बताया कि उन्हें शुक्रवार सुबह 11 बजकर 10 मिनिट पर यह प्रस्ताव मिला है। एपी सिंह ने स्पीकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर नियम-प्रक्रिया के बारे में जो बातें बताई उसके मुताबिक 17 मार्च तक इस पर फैसला लिया जाएगा और अगर विपक्ष इसे वापस नहीं लेता है तो सदन के भीतर भेजा जा सकता है।
यह है नियम
नियम के तहत स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव मिलने के 14 दिन में उसे स्वीकार कर सदन में मान्य-अमान्य करने के लिए पेश किया जाता है। सदन में जब अविश्वास प्रस्ताव के मान्य-अमान्य के लिए पेश होता है तो उस समय विधानसभा अध्यक्ष बैठक की अध्यक्षता नहीं कर सकता। अध्यक्षता के लिए किसी भी विधायक को आसंदी पर बैठाया जा सकता है और मान्य-अमान्य के लिए 10 फीसदी विधायकों की सदन में खड़े होकर सहमति जरूरी होता है। जब सदन में दस फीसदी विधायक उसे मान्य करते हैं तो 10 के भीतर उस पर चर्चा कराना होती है और किसी भी सदस्य को इस चर्चा में मिनिट से ज्यादा का समय नहीं दिया जाता है। इस चर्चा में सभी विधायकों को मौका भी नहीं दिया जाता। सदन में प्रस्ताव पर वोटिंग की स्थिति में विधानसभा अध्य़क्ष को भी वोटिंग का अधिकार होता है लेकिन वह केवल एक बार ही वोट कर सकता है।

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