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लोकायुक्त के बाद अब EOW में रह चुके अफसर की अड़ीबाजी, सात करोड़ वसूले

मध्य प्रदेश पुलिस की वर्दी में लगातार दाग लग रहे हैं और उसके अफसर ही अपराधियों की तरह अड़ीबाजी जैसे अपराध में लिप्त होने लगे हैं। लोकायुक्त विशेष पुलिस स्थापना के अफसर के बाद अब आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) के पूर्व अधिकारी का नाम ऐसे अपराध में सामने आया है। ईओडब्ल्यू की इस पूर्व अधिकारी ने कुछ लोगों के साथ मिलकर आरबीआई-सीबीआई अधिकारी के नाम पर एक स्कूल की संचालिका के ज्वेलर्स बेटे को अपना निशाना बनाया और छह महीने की अवधि में डरा-धमकाकर करीब सात करोड़ की अड़ीबाजी की।
खरगोन के एक ज्वेलर इशित्व सोनी हैं जिनकी कई पीढ़ियों से ज्वेलर्स का व्यवसाय चल रहा है। उनकी मां का एक स्कूल भी खरगोन में है। पिछले साल जनवरी 2022 से लेकर मई 2022 की अवधि में सोनी परिवार को कुछ लोगों ने कभी आरबीआई तो कभी सीबीआई के अधिकारी डराया धमकाया। उन्होंने उसे कूटरचित दस्तावेजों से उसके नाम के नोटिस भी दिखाए। इसमें नवंबर 2022 तक आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ में पदस्थ रहे उप निरीक्षक इतेंद्र चौहान भी शामिल थे जो डीएसपी के रूप में सोनी से मिलते रहे। इतेंद्र चौहान के साथ खरगोन का आशिक उर्फ बब्लू खान और इंदौर का सौरभ दुबे भी था। इसमें इंदौर क्राइम ब्रांच के कुछ और लोगों की भूमिका भी बताई जाती है लेकिन अभी प्रारंभिक जांच में नाम सामने नहीं आए हैं।
होटल ताज में कई बार एक-एक हफ्ते तक रुके
इशित्व सोनी को इन लोगों द्वारा डरा-धमकाकर कई बार मुंबई ले जाया गया जहां होटल ताज में एक-एक हफ्ते तक वे ठहरे। कई बार इन लोगों ने सोनी से बड़ी-बड़ी राशि ली। इशित्व सोनी ने शिकायत में अब तक इन लोगों द्वारा ली गई राशि का पूरा ब्योरा दिया है और उसके मुताबिक यह राशि करीब सात करोड़ रुपए बताई जाती है। ईओडब्ल्यू डीजी अजय शर्मा ने बताया कि इस मामले की शिकायत नहीं हुई थी बल्कि एक प्रायवेट व्यक्ति ने जानकारी दी थी। जब उसकी पड़ताल की गई तो इशित्व सोनी सामने आया और उसने शिकायत दर्ज कराई।
तीन मामले पिछले महीने हो चुके
गौरतलब है कि पुलिस अधिकारियों की अड़ीबाजी के तीन मामले हाल ही में सामने आ चुके हैं। इनमें से एक मामला भोपाल शहर के भीतर राज्य पुलिस सेवा के पराग खरे का था जिसमें वे अपने मित्र के किरायेदार से दुकान खाली कराने के लिए धमकाते हुए नजर आए। वहीं, लोकायुक्त विशेष पुलिस स्थापना के योगेश कुरचानिया का नाम स्थानांतरण के बाद एक अधिकारी से फर्जी नोटिस के आधार पर अड़ीबाजी करते हुए नाम सामने आया। कुछ दिन पहले भोपाल के कोलार थाने के दो सिपाही भी इसी तरह अड़ीबाजी करने पर बर्खास्त किए जा चुके हैं।
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