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वन माफिया से निपटने बुरहानपुर में पांच जिलों के SAF जवान, DFO को बंधक बनाने की घटना के बाद तैनाती

मध्य प्रदेश के महाराष्ट्र से लगे बुरहानपुर जिले के करीब 31 फीसदी वन क्षेत्र में वन माफिया का अतिक्रमण है और वहां हाल ही में डीएफओ को बंधक बना लिया गया था। इन परिस्थितियों को देखते हुए यहां अब वन माफिया से निपटने के लिए अब मध्य प्रदेश पुलिस के विशेष सशस्त्र की सेवाएं ली जा रही हैं। पांच जिलों के एसएएफ जवानों की वहां तैनात करने का फैसला किया है।
आईएफएस मीट की आगाज करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान फॉरेस्ट अफसरों को माफिया से निपटने के लिए उत्प्रेरक भाषण दे रहे थे, इसके चार दिन पहले बुरहानपुर में डीएफओ गिरजेश बरकडे को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया था। ग्रामीणों की नाराजगी अतिक्रमण माफिया के बेकाबू होने को लेकर था। जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन और वन विभाग की टीम भी बुरहानपुर में अतिक्रमण माफिया से निपट नहीं पा रही है। वन विभाग ने अतिक्रमण माफिया का सामना करने के लिए छिंदवाड़ा विदिशा नरसिंहपुर दमोह और मुरैना में तैनात एसएएफ को बुरहानपुर में तैनात करने का निर्णय लिया है ।
बुरहानपुर वन मंडल के असीरगढ़, धूलकोट, नेपानगर, नावरा, बुरहानपुर, खकनार, शाहपुर और बोदरली रेंज में अतिक्रमण माफिया सैकड़ों की तादाद में सक्रिय है. लगातार जंगलों की कटाई कर अतिक्रमण कर रहे हैं। इन्हें रोकने और सामना करने में जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और निहत्था वन विभाग का मैदानी अमला अक्षम साबित हो रहें है। यही वजह है कि वन विभाग ने 5 जिलों में तैनात अपने एसएएफ के बटालियन के 40 जवानों को बुरहानपुर तैनात करने जा रहे हैं. इस आशय की पुष्टि संरक्षण शाखा में पदस्थ अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अजीत श्रीवास्तव ने भी की है। श्रीवास्तव ने बताया कि बुरहानपुर कलेक्टर ने ही अतिक्रमण माफिया से निपटने के लिए बटालियन तैनात करने के लिए वन विभाग को पत्र लिखा है। अतिक्रमणकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं होने की वजह से वन भूमि पर अतिक्रमण का दायरा बढ़ता ही जा रहा है. बुरहानपुर जिले में कुल 1लाख 90 हजार 100 हेक्टेयर जंगल है। इसमें से करीब 58000 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र पर अतिक्रमण माफिया ने कब्जा कर लिया है। वन विभाग ने कब्जा हटाने अथवा उन्हें रोकने के लिए जब जब प्रयास किए तब तक उनकी पिटाई होती रही. मैदानी अमले और ग्रामीणों की माने तो अतिक्रमणकारी खरगौन, बड़वानी, खंडवा और बड़वाह के है. इनका मकसद जंगलों की कटाई कर स्थानीय नेताओं से सांठगांठ पट्टा हथियाना है. अतिक्रमणकारियों को माधुरी बेन जैसे कथित सोशल वर्कर का समर्थन प्राप्त है।
वन कर्मियों के प्रमुख हमले की बानगी
8 नवंबर 20 : अतिक्रमणकारियों द्वारा गोफन और तीर कमान से ढाई सौ कर्मियों पर हमला. हमले में 17 जवान घायल. दिलचस्प पहलू यह कि एसडीएम काशीराम बडोले के सामने पुलिस जवानों बनकर में पीते रहे किंतु जवाबी हमले का आदेश नहीं दिया।
4 सितंबर 22 : नावरा में अतिक्रमण माफिया ने 1 कर्मचारियों पर गोफन और लाठी-डंडे से हमला किया. आधा दर्जन से अधिक वन कर्मी घायल हुए थे। 11 अक्टूबर 22: नेपानगर में अतिक्रमण रोकने पहुंची वन विभाग की टीम पर लाठी डंडे और गोफन से जानलेवा हमला. 3 वन कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हुए थे.
19 अक्टूबर 22 : बुरहानपुर के जंगलों में अतिक्रमण हटाने पहुंची वन विभाग और पुलिस टीम पर हमला किया. 6 से अधिक वन कर्मी और पुलिस जवान घायल हुए.
29 नवंबर : बुलंद हौसले के कारण अतिक्रमण माफियाओं ने वन चौकी पर हमला बोल दिया 17 बंदूक के कारतूस लूट कर ले गए. यह बात अलग है कि 2 दिन बाद पुलिस ने हथियार जंगल से जप्त किए.
ग्रामीणों ने इसलिए बनाया डीएफओ को बंधक
बुरहानपुर के जंगलों में निरंकुश अतिक्रमणकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं होने से ग्रामीण नाराज हैं. लगातार ग्रामीणों पर हमले हो रहे हैं. मैदानी 1 कर्मचारी पीट रहे हैं. कोई कड़ी कार्रवाई नहीं होने से ग्रामीणों ने 11 फरवरी को गिरजेश बरकडे और उनके स्टाफ को बंधक बना लिया था. बाद में उन्हें छोड़ दिया गया. इस घटना के बाद ही वन विभाग ने एसएएफ के जवानों को बुरहानपुर में तैनात करने का निर्णय लिया.
पिटते वन कर्मियों की चिंता नहीं, प्रमोशन चाहिए
मुरैना और शिवपुरी में खनिज माफिया, विदिशा में लकड़ी गिरोह और गुना, अशोकनगर और बुरहानपुर में अतिक्रमण माफिया सक्रिय है. जंगलों की सुरक्षा करते हुए मैदानी अमले पर लगातार हमले हो रहे हैं. उनके प्रोटेक्शन की बात न कर आईएफएस मीट के दौरान विभाग के सीनियर अफसरों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से 1991बैच तक आईएफएस अफसरों को प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद पर प्रमोशन की गुहार लगाई. इसके लिए मुख्यमंत्री के समक्ष अन्य राज्यों का उदाहरण भी दिया कि वहां की सरकारों ने 1991 बेस्टेक के आईएफएस अफसरों को पीसीसीएफ के पद पर प्रमोट कर दिया है. यह बात अलग है कि मुख्यमंत्री ने उनकी मांग को अनसुना कर दिया.
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