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फॉरेस्ट में चेहरा देखकर एक्शन, प्रमोटी IFS को निलंबन तो सीधी भर्ती पर बस शो-कॉज नोटिस

मध्य प्रदेश के वन विभाग में आईएफएस अधिकारियों के चेहरे देखकर एक्शन लिए जाते हैं जिसके विभाग में कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। सीधी भर्ती के अफसरों को जिस मामले में शो-कॉज नोटिस देकर किसी अनुशासनहीनता या गड़बड़ी से बरी कर दिया जाता है तो उसी तरह के कृत्य पर प्रमोटी अधिकारियों को न केवल निलंबित करने के उदाहरण हैं बल्कि उन अफसरों के जवाब के बाद भी विभाग निर्णय लेने में टालमटोल रवैया अपनाता है। इसके कारण उनमें इंफेरिआरिटी कॉम्प्लेक्स की भावना के बीज अंकुरित होने लगे है। हमारी रिपोर्ट में विभाग की सीधी भर्ती के आईएफएस व प्रमोटी अधिकारियों के साथ किए गए भेदभावपूर्ण व्यवहार के कुछ मामलों को रखा जा रहा है।
सबसे पहले कार्य विभाजन के नाम पर वन कर्मियों के तबादले के मामले में विभाग के आला अधिकारियों की पक्षपात कार्रवाई प्रमोटी आईपीएस अफसरों में असंतोष फैल रहा है। मसलन, कार्य विभाजन के नाम पर वन कर्मियों के तबादले करने के आरोप में प्रमोटी आईएफएस अधिकारी नरेश दोहरे 9 महीने से निलंबित है। वे आरोप पत्र का जवाब भी दे चुके हैं पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। जबकि उत्तर वन मंडल बालाघाट में पदस्थ डीएफओ अभिनव पल्लव के खिलाफ अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन एवं अपील) नियम 1969 के नियम 10 के अंतर्गत कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है। इन पर आरोप है कि जब वे 2019-20 में ग्वालियर में पदस्थ थे तब इन्होंने 83 कर्मचारियों की कार्य आवंटन के नाम पर तबादले किए थे.इनसे केवल स्पष्टीकरण मांगा गया था। स्पष्टीकरण का जवाब संतोषजनक नहीं होने के बाद अभिनव पल्लव के खिलाफ कार्यवाही का निर्णय लिया गया। इसी प्रकार बेतूल में पदस्थ रहते हुए पुनीत गोयल और ग्वालियर में ही पदस्थ बृजेश श्रीवास्तव के खिलाफ भी कार्य विभाजन के नाम पर स्थानांतरण किए जाने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
प्रमोटी है इसलिए बहाली का आदेश रुका
प्रमोटी आईएफएस हरिशंकर मिश्रा का निलंबन इसलिए कर दिया गया था कि वर्किंग प्लान में पदस्थापना को लेकर विभाग के आदेश की चुनौती दी थी। मिश्रा ने चुनौती इस आधार पर दी थी कि उन्होंने वन विकास में रहते हुए वर्किंग प्लान बनाया था। कैट उन्हें राहत नहीं मिली। शासन ने उन्हें आरोप पत्र दिया। आरोप पत्र का जवाब भी दे दिया। अब वे वर्किंग प्लान पदस्थापना का आदेश का पालन करने के लिए सहमति भी दे दी। बावजूद इसके, उनकी बहाली नहीं हो पा रही है। बहाली नहीं होने से वर्किंग प्लान में हो रही विलंब के लिए दोषी कौन है, यह विभाग के शीर्ष अधिकारियों के बीच यक्ष प्रश्न बना हुआ है।


अनुभूति पत्रिका के प्रकाशन में गड़बड़ी
गड़बड़ी करने वाले सीधी भर्ती के आईएफएस अफसरों की लंबी फेहरिस्त है। अनुभूति पत्रिका के प्रकाशन के लिए इको पर्यटन बोर्ड से सभी सर्किल और वन मंडलों में दिशा-निर्देश और मापदंड भेजे गए थे। मंडला पूर्व डीएफओ पुनीत गोयल ने पत्रिका के आकार और प्रिंटिंग की क्वालिटी में समझौता किया। उनके इस कृत्य को गड़बड़ी की श्रेणी में देखा जा रहा है।मंडला पश्चिम डीएफओ अखिल बंसल ने भी अनुभूति पत्रिका का प्रकाशन किया जो प्रभारी हैं। दोनों वन मंडलों की पत्रिका के प्रकाशन, प्रिंटिंग क्वालिटी और आकार को लेकर शीर्ष स्तर पर शिकायत की गई है किंतु उनके खिलाफ कोई भी जांच अब तक शुरू नहीं हो पाई।
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