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चीतों का पालन-पोषण कर रहे MP की फिर अनदेखी, 18 फरवरी को दूसरी बार भी लेने गए DG फॉरेस्ट के रिश्तेदार

नामीबिया के बाद अब 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते भारत लाए जा रहे हैं। लुप्त होने के बाद 2022 में भारत में मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में पुनर्वासित किए जा रहे चीतों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है लेकिन उन्हें नामीबिया या दक्षिण अफ्रीका से लाने के लिए वन महानिदेशक के रिश्तेदार को चुना गया। ये रिश्तेदार वन विभाग से नहीं हैं बल्कि वे कस्टम ऑफिसर हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर भारत में नामीबिया से लाए गए चीतों को कूनो में शिफ्ट किया गया था और तब से उनकी देखभाल मध्य प्रदेश का वन विभाग कर रहा है। अब तक पांच महीने में नामीबिया से आए चीते पूरी तरह से स्वस्थ हैं। मध्य प्रदेश के वन विभाग के काम की सराहना करने के बजाय केंद्र में चीतों प्रोजेक्ट से जुड़े तमाम राज्य सरकार व वन विभाग की पूरी तरह से उपेक्षा करते नजर आ रहे हैं।
चीतों को लाने न नामीबिया भेजा न दक्षिण अफ्रीका
सितंबर 2022 के बाद अब चीता प्रोजेक्ट के तहत दक्षिण अफ्रीका से 18 फरवरी को कूनो नेशनल पार्क 12 चीते लाए जा रहे हैं। इस बार भी चीता लेने जा रही टीम में एक भी आला अफसर मध्य प्रदेश का नहीं है। सूत्र बताते हैं कि जो टीम दक्षिण अफ्रीका से चीते लेने जा रही है उसमें महानिदेशक वन सीपी गोयल के नजदीकी रिश्तेदार एवं कस्टम अधिकारी अनीश गुप्ता को फिर चुना गया है। वे पिछली बार नामीबिया से चीता लाने वाली टीम के भी सदस्य थे। मध्य प्रदेश के अधिकारियों की अनदेखी तो अपनी जगह है लेकिन भारत के इकलौते चीता एक्सपर्ट वैज्ञानिक डॉ वायपी झाला को भी दूर कर दिया है। अनीश गुप्ता 2009 बैच के भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं और उनके खिलाफ 2013 में गंभीर आरोप भी लग चुके हैं।
दक्षिण अफ्रीका जा रही टीम में ये सदस्य
दक्षिण अफ्रीका से चीता लेने जाने वाली टीम में एनटीसीए आईजी अमित मलिक, डीआईजी राजेंद्र गढ़वार, डीजी फॉरेस्ट गोयल के रिश्तेदार अनीश गुप्ता और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के डॉक्टर शामिल हैं। इस टीम में पीसीसीएफ वन्य प्राणी जेएस चौहान और कूनो नेशनल पार्क के फील्ड डायरेक्टर उत्तम शर्मा में से किसी एक को भी शामिल नहीं किया गया। इसके पहले भी साउथ अफ्रीका गई ऑफिशियल प्रतिनिधिमंडल में भी प्रदेश का कोई भी फॉरेस्ट अफसर शामिल नहीं किया गया था। दिलचस्प पहलू यह है कि चीता प्रोजेक्ट को लेकर प्रदेश के अफसरों से सलाह मशविरा तक नहीं की जा रही है।
तारीख तय होने के बाद दी सूचना
दक्षिण अफ्रीका से चीता को भारत लाने की तारीख तय हो जाने के बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने प्रदेश सरकार को सूचना दी कि 18 फरवरी को 12 चीता दक्षिण अफ्रीका से आ रहे हैं। इसके पहले केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के किसी भी अधिकारी ने राज्य सरकार के मंत्री और अफसरों से कोई चर्चा नहीं की। यही नहीं, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने अपने दौरा कार्यक्रम बनाकर भेज दिया। केंद्रीय मंत्री यादव तीन दिन दिवसीय दौरे पर मध्य प्रदेश आ रहे हैं। 16 फरवरी को पन्ना नेशनल पार्क जाएंगे और 18 को कूनो नेशनल पार्क पहुंचेंगे।
डॉ झाला चीता प्रोजेक्ट से किए गए बेदखल
चीता के इकलौते वैज्ञानिक डॉ वाय पी झाला को भी वन महानिदेशक भारत सरकार गोयल ने अपने राजनीतिक रसूख के चलते बेदखल करवा दिया जबकि डॉ झाला 14 सालों से चीता प्रोजेक्ट से जुड़े रहे हैं। यही नहीं, झाला ने ही चीता को भारत लाने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया था। चर्चा है कि डॉ झाला की कार्यशैली डीजी फारेस्ट को रास नहीं आ रही थी।
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