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MP विधानसभा का बजट सत्रः कभी 31 बैठकों में चर्चा होती थी मगर अब सात बैठक ही पर्याप्त होने लगीं
मध्य प्रदेश का बजट 27 फरवरी से 27 मार्च के बीच होने वाले विधानसभा सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा मगर जिस बजट के लिए प्रदेश में कभी 31 बैठकें होती थीं वह अब सिमटते-सिमटते हफ्ते-दस दिन की बैठकों तक रह गया है। 11वीं विधानसभा में 25 से लेकर 31 बैठकों में बजट पारित्र हुआ लेकिन पंद्रहवीं विधानसभा आते-आते 22 साल में बजट जैसे गंभीर मामले में बैठकों की संख्या आठ से 13 के बीच रह गई। इस बार भी 13 बैठकें हैं लेकिन देखा जा रहा है कि निर्धारित बैठकों की संख्या से बहुत कम बैठकें ही हो पाती हैं। आईए आपको बताते हैं कि 11वीं विधानसभा से 15वीं विधानसभा के बजट सत्र में कितनी बैठकों में चर्चा के बाद प्रदेश का बजट पारित हुआ।
मध्य प्रदेश की ग्यारहवीं विधानसभा में दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार ने फरवरी-मार्च 1999 में बजट पेश किया था जो 52 दिन के सत्र का था। यह अब तक की पांच विधानसभाओं का सबसे ज्यादा बैठकों का बजट सत्र रहा है। 31 बैठकों में बजट पर विधायकों ने चर्चा की और तब मध्य प्रदेश का बजट पारित हुआ था। इसके बाद से आज तक कभी भी 31 बैठकों का बजट सत्र नहीं रहा। दिग्विजय सरकार के इसके बाद के चार बजट सत्र भी 25 से 28 बैठकों वाले रहे।
भाजपा सरकार में सबसे ज्यादा 24 बैठकों का बजट सत्र रहा
भाजपा के 2003 में सरकार में आने के बाद 2004-05 व 2005-2006 का बजट सत्र उमा भारती व बाबूलाल गौर के कार्यकाल में रहे जो क्रमशः 18 औऱ 21 बैठकों वाले थे। इसके बाद तीन बजट शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार में 22, 17 व 18 बैठकों वाले बजट सत्र हुए। 13वीं विधानसभा में 2011 में सबसे ज्यादा 24 बैठकों का बजट सत्र रहा जिसमें शिवराज सरकार का बजट पारित हुआ है। इस सत्र में 125 घंटे 31 मिनिट तक विधायकों ने चर्चा में भाग लिया। उस विधानसभा में 16 से लेकर 22 दिन के चार बजट सत्र भी हुए लेकिन सबसे कम चर्चा वाला इस विधानसभा का 2013 का सत्र रहा। तब विधानसभा में मात्र 93 घंटे 38 मिनिट की चर्चा हुई थी।
14वीं-15वीं विधानसभा के बजट सत्र में एक बार ही 20 से ज्यादा बैठकें
बजट सत्र में चर्चा के लिए ज्यादा से ज्यादा बैठकें कराने की कोशिशें 14वीं और 15वीं विधानसभा में नाकाम साबित हुईं। हंगामे और शोर-शराबों में सत्रों में निर्धारित बैठकों के पहले ही सत्र समाप्त करने की परिस्थितियां बनती गईं। 2015 में बजट सत्र केवल सात बैठकों का रहा जिसमें महज 17 घंटे 32 मिनिट ही चर्चा हो सकी। 2014 में 17 बैठकों में 92 घंटे 20 मिनिट, 2016 में 22 बैठकों में 125 घंटे 20 मिनिट, 2017 में 19 बैठकों में 94 घंटे 16 मिनिट और 2018 में 13 बैठकों में 58 घंटे तीन मिनिट की चर्चा बजट सत्रों में हो सकी। पंद्रहवीं विधानसभा में कमलनाथ की सरकार ने अपना एकमात्र बजट 2019 में पेश किया जो 13 बैठकों का रहा। इसमें भी 76 घंटे पांच मिनिट ही चर्चा संभव हो सकी। 2021 में 13 बैठकों तो 2022 में आठ बैठकों का बजट सत्र रहा जिसमें केवल 59 घंटे 48 मिनिट तथा 21 घंटे 52 मिनिट विधायकों ने चर्चा में हिस्सा लिया।
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