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जश्न ए उर्दूः बैत बाजी मुकाबले से आरंभ, अब मुशायरा-कव्वाली

मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी ने तीन दिन के जश्न ए उर्दू का आयोजन किया है जिसका प्रारंभ बैत बाजी मुकाबले के साथ हुआ। दूसरे दिन इसकी शाम मुशायरे व कव्वाली से रोशन होगी। बैत बाजी मुकाबले में ताज भोपाली टीम ने बाजी मारी।
मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग द्वारा आज़ादी के अमृत महोत्सव को समर्पित तीन दिवसीय “जश्न ए उर्दू” का प्रारंभ आज सुबह 10 :30 बजे गौहर महल, भोपाल में बैत बाज़ी मुक़ाबले से हुआ। कार्यक्रम के प्रारम्भ में उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ नुसरत मेहदी ने जश्न ए उर्दू के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग का यही प्रयास है कि जो भी कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित हों वो भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के संवर्द्धन, संरक्षण एवं विकास की दृष्टि से उद्देश्य पूर्ण हों। उर्दू अकादमी ने भी पूरे वर्ष उपरोक्त उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं , उसी सिलसिले की एक कड़ी है जश्न ए उर्दू । इसमें साहित्य एवं कला की विभिन्न विधाओं पर आधारित कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
बैत बाजी में दस टीमों के बीच मुकाबला
पहले दिन के प्रथम सत्र में बैतबाज़ी मुक़ाबला आयोजित किया गया जिसमें भोपाल की 10 टीमों ने हिस्सा लिया। इस सत्र में निर्णायक मंडल वरिष्ठ शायर अयाज़ क़मर खालिदा सिद्दीकी एवं परवीन कैफ पर आधारित था जिनके संयुक्त निर्णय से टीम ताज भोपाली के फिरोज़ खान एवं अब्दुल रहमान ने प्रथम, टीम हसरत मोहानी के सरफराज़ अली एवं सलमान अंसारी ने द्वित्तीय तथा टीम कैफ़ भोपाली की आफ़िया खान एवं पूर्णिमा सिंह इरम ने तृतीय स्थान प्राप्त किया जिनको 20 जनवरी को पुरस्कृत किया जाएगा।
सूबाई मुशायरा में जफर सहबाई ने की अध्यक्षता
दूसरे सत्र में में तालाश ए जौहर के विजेताओं पर आधारित सूबाई मुशायरे का आयोजन किया गया जिसमें तलाश ए जौहर के चयनित विजेताओं ने अपना कलाम पेश किया। इस मुशायरे की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर ज़फ़र सहबाई ने की एवं विशेषज्ञों के रूप मे प्रसिद्ध शायर ज़िया फारुकी एवं क़ाज़ी मलिक नवेद उपस्थित रहे।
भविष्य के भारत व साहित्य पर व्याख्यान
तीसरे सत्र में “भविष्य के भारत एवं साहित्य की भूमिका” विषय पर व्याख्यान आयोजित हुआ जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं सेवानिवृत्त अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने की एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नौमान खान एवं प्रसिद्ध शायर एवं साहित्यकार डॉ. अब्बास रज़ा नय्यर ने अपने विचार व्यक्त किए। मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि ने कहा कि भारत का भविष्य जो है वो साहित्य के माध्यम से ही कारगर बनाया जा सकता है और यदि समाज जो है उसमें वो साहित्यिक संस्कार हों, दूसरी तरफ़ साहित्यकार भी जो हैं वो समाज के लिए, जो उसकी चुनौतियां हैं उन पर ध्यान दें तो साहित्य एवं भारत दोनों की प्रगति साथ होगी। डाॅ. अब्बास रज़ा नय्यर ने भविष्य का भारत और उर्दू शायरी विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि हमारा साहित्य उस भारत का प्रतिनिधित्व करता है जो वेदों का भारत है जो गीता का भारत है, जो वसुदेव कुटुम्बकम का भारत है, जो सत्यम शिवम सुंदरम का भारत है। हमें भविष्य में भी इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए साहित्य की रचना करना होगी। पहले दिन के चौथे सत्र में शाम7:00 बजे धुरुवा बैंड के संजय द्विवेदी द्वारा सांगीतिक प्रस्तुति दी गई एवं अंतिम सत्र में दिल्ली की रानी खानम एवं समूह द्वारा सूफ़ी नृत्य प्रस्तुत किया गया।
दूसरे दिन के कार्यक्रम:
सुबह 11.00 बजे
लिट्रेरी ओपन माइक
शायरी, गीत, नज्म, ग़ज़ल आदि की प्रस्तुति युवाओं द्वारा।
सहयोग व समन्वय
हेप्पीनेस सोसायटी, भोपाल
दोपहर 12.30 बजे
गुफ़्तुगू
विषय : उर्दू भाषा, सिनेमा और थियेटर
कंवलजीत सिंह
फ़िल्म थियेटर एवं टेलीविज़न कलाकार (मुम्बई)
सलीम आरिफ,
फ़िल्म थियेटर एवं टेलीविज़न कलाकार (दिल्ली)
राजीव वर्मा, फ़िल्म थियेटर एवं टेलीविजन कलाकार (भोपाल), संचालन : बद्र वास्ती शायर और थिएटर कलाकार (भोपाल)
सायं 4.30 बजे
- लिट्रेरी ओपन माइक
सायं 4.30 बजे
चिलमन मुशायरा शायरात
शबाना नजीर (दिल्ली), डॉ सलमा शाहीन (दिल्ली), डॉ साधना बलवटे (भोपाल), तारा इक़बाल (लखनऊ) हिना हैदर रिज़वी (पटना), नफ़ीसा सुल्ताना ‘अना’ (भोपाल) डॉ अनु सपन (भोपाल), सबीहा सदफ़ (रायसेन ) सीमा नाज़ (भोपाल), डॉ. प्रार्थना पण्डित (भोपाल)
सायं 7.00 बजे
क़व्वाली
मुनव्वर मासूम (मुम्बई)
नासिर हुसैन साबरी (भोपाल) आफ़ताब क़ादरी (इंदौर) संचालन : समीना अली सिद्दीक़ी
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