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विधानसभा चुनाव पूर्व प्रदेश भाजपा नेतृत्व पर पीएम के भाई ने बयान देकर हलचल बढ़ाई, पढ़िये क्या कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई प्रहलाद मोदी एक दिन के प्रवास पर मध्य प्रदेश आए और भाजपा के प्रदेश नेतृत्व पर एक ऐसा बयान दे गए जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। प्रहलाद मोदी बैतूल में एक सम्मान समारोह में शामिल हुए थे और भाजपा के पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल की मौजूदगी में उनकी मीडिया से चर्चा हो गई। वहां मोदी के भाई ने जो बयान दिया, वह मध्य प्रदेश भाजपा में खलबली पैदा करने के लिए काफी रहा, जानिये उन्होंने ऐसा क्या कहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई प्रहलाद मोदी वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वे रविवार को बैतूल में साहू समाज के एक गौरव सम्मान समारोह में शामिल होने मध्य प्रदेश के एक दिन के प्रवास पर आए थे। बैतूल में कार्यक्रम में शामिल होने के साथ वे भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल के निवास भी पहुंचे जहां कुछ मीडिया प्रतिनिधि भी पहुंच गए। उनसे बातचीत में प्रहलाद मोदी ने गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर कुछ चर्चा करते हुए मध्य प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों के बारे में भी बयान दिए। उन्होंने कहा कि आज भी मध्य प्रदेश में भाजपा लोगों के दिलों में है और रहेगी। मगर लीडरशिप बदलना होगी और यह काम भाजपा का वरिष्ठ नेतृत्व तय करेगा।
केंद्रीय नेतृत्व के दौरों व लगातार चर्चाओं में चिंता की झलक
पीएम के भाई की इस चिंता का इससे भी अंदाज लगाया जा सकता है कि केंद्रीय नेतृत्व भी लगातार मध्य प्रदेश में गतिविधियों में भागीदारी कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह से लेकर जेपी नड्डा के पिछले कुछ महीनों में कई दौरों से यह झलकता भी है। इस केंद्रीय नेतृत्व के साथ मध्य प्रदेश से जुड़े राष्ट्रीय नेता नरेंद्र सिंह तोमर-ज्योतिरादित्य सिंधिया भी प्रदेश में ज्यादा समय देने लगे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदिवासी वोट को पार्टी की तरफ करने के लिए उनके क्षेत्रों में ज्यादा जा रहे हैं। मगर भाजपा के प्रदेश नेतृत्व में उस कसावट भरी रणनीति का अहसास नहीं दिखता जो नरेंद्र सिंह तोमर-शिवराज सिंह चौहान की जोड़ी के समय नजर आता था। काफी हद तक प्रभात झा के समय भी संगठन की रणनीति में कसावट रही। आज जो टीम दिखाई देती है, ऐसा कोई व्यक्ति नजर नहीं आता है जो चुनाव के समय नाराज वरिष्ठ नेताओं को मनाने की क्षमता रखता हो। आज भी कई वरिष्ठ नेता असंतुष्ट हैं जिनका बड़ा जनाधार है और जिन्हें चुनाव में साथ लेकर चलने की आवश्यकता होगी।
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