मध्य प्रदेश में 28वें अविश्वास प्रस्ताव के 51 आरोप, सदन में चर्चा कराने पर फैसले का इंतजार

मध्य प्रदेश के अब तक के 28 वें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चौथी सरकार के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह के नेतृत्व में लाया जा रहा अविश्वास प्रस्ताव 28वां है लेकिन इसे चर्चा के लिए स्वीकार किए जाने पर आज भी संशय बना हुआ है। प्रतिपक्ष कांग्रेस ने शिवराज सरकार के खिलाफ दूसरी बार लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव में 51 आरोप लगाए हैं जिन्हें आज मध्यान्ह विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को सौंपा गया। आरोपों के घेरे में सरकार को हर तरफ घेरने की कोशिश की गई है जिसमें सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेराबंदी की गई है। देखना यह है कि पांच दिन के इस सत्र में से शेष चार दिन में अविश्वास प्रस्ताव के लिए समय दिया जाता है या इसे नियम-प्रक्रिया का हवाला देकर निरस्त कर दिया जाता है। जिन आरोपों से सरकार को घेरा गया है, उनके बारे में हम आपको बता रहे हैं।

कांग्रेस द्वारा चौथी बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार के खिलाफ करीब 11 साल बाद दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है जिसमें 51 आरोप लगाए गए हैं। सबसे प्रमुख आरोप सार्वजनिक वितरण प्रणाली में टेक होम राशन घोटाले का लगाया गया है जिसमें 110 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप है। कांग्रेस का कहना है कि कागजों पर ही टेक होम राशन बांट दिया गया है। दूसरा बड़ा आरोप है आयुष्मान भारत योजना में गड़बड़ी का। इसमें अस्पतालों के फर्जीवाड़े को बताया गया है। तीसरा आरोप संगठित नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े का लगाया गया है।
104 पेजों का अविश्वास प्रस्ताव
कांग्रेस द्वारा अविश्वास प्रस्ताव में लगाए गए 51 आरोपों को 104 में सिलसिलेवार बताया गया है। चौथे क्रम पर स्वरोजगार की योजनाओं को मृगमरीचिका बताया है तो बेरोजगारों के ठोस समाधान की दिशा में सरकार द्वारा कोई प्रयास नहीं किए जाने के आरोप लगाए हैं। कोरोना महामारी को सरकार द्वारा अपने महिमा मंडल व प्रचार का माध्यम बनाने और स्वास्थ्य सेवाओं की हालत बदतर होने के आरोपों से सरकार को घेरा गया है। इसी तरह शराब की अवैध बिक्री, जहरीली शराब से मौतें और एथनॉल से शराब बनाने पर रोक के लिए प्रभावी कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाए गए हैं। महाकाल निर्माण में भ्रष्टाचार और अवैध उत्खनन के मामलों पर भी सरकार को घेरा गया है। कारम बांध फूटने के मामले में अविश्वास प्रस्ताव में कमीशनखोरी का आरोप लगाया गया है।
जांच ऐजेंसी ईओडब्ल्यू की भूमिका संदेहास्पद बताई
कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव में जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू की भूमिका को संदेहास्पद बताया गया है। 280 अफसरों के खिलाफ जांच लंबित होने तथा अभियोजना स्वीकृति नहीं दिए जाने के आरोपों को इस प्रस्ताव में शामिल किया गया है। किसानों की कर्ज माफी, खाद की किल्लत, स्कूली बच्चों के ड्रेस की खरीदी में भ्रष्टाचार, आदिवासियों के हितों की रक्षा में नाकाम रहने, भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी और प्रोफेसरों की भर्ती में घोटाला होने के आरोप लगाए गए हैं।

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