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लोकायुक्त पुलिस में बदलाव में अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों की भूमिका, जानिये किसका क्या रोल

मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना में दो दिसंबर को हुए बदलाव में लोकायुक्त ही नहीं अखिल भारतीय सेवा के कुछ अफसरों की भी विशेष भूमिका रही है। शीर्ष अफसरों के हस्तक्षेप के बाद विशेष पुलिस स्थापना में पहुंचे कैलाश मकवाना ने छह महीने में भ्रष्टाचार में लिप्त बड़ी मछलियों पर हाथ डालने के लिए फाइलों में ऐसी तैयारी कर ली थी कि अखिल भारतीय सेवा के अफसरों में खलबली मच गई थी। इन सेवा की एक अफसर दंपति के मित्र व कुछ अन्य बड़े अधिकारियों ने ऐसा जाल बुना कि लोकायुक्त की इच्छा भी पूरी हो गई और उनका षड़यंत्र भी सामने नहीं आ सका। इसका खुलासा करती यह रिपोर्ट।
उच्च पदस्थ सूत्र बताते हैं कि 31 मई को डीजी लोकायुक्त राजीव टंडन रिटायर होने वाले थे तो इसके पहले कई अफसरों ने नाम इसको लेकर चर्चा में आए। मगर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पसंद कैलाश मकवाना थे तो उन्होंने उन्हें बुलाकर इस बारे में चर्चा की थी और वहां जो भी बातचीत हुई हो लेकिन इसके बाद प्रदेश के दो महत्वपूर्ण शीर्ष अधिकारियों ने मकवाना को डीजी लोकायुक्त पद स्वीकार करने की सलाह दी थी। इसके चलते ही 31 मई को दोपहर में जब कैलाश मकवाना के ऑर्डर निकले तो सब भौंचक्के थे। दो जून को उन्होंने डीजी विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त संगठन के रूप में कार्यभार ग्रहण किया।
छोटी नहीं बड़ी मछलियों पर नजर
सूत्र बताते हैं कि मकवाना ने भ्रष्टाचार के छोटे मामलों में ऊर्जा नष्ट करने के बजाय बड़ी मछलियों अखिल भारतीय सेवा और प्रथम व द्वितीय श्रेणी के भ्रष्ट अधिकारियों की शिकायतों पर जांच को केंद्रित करने की रणनीति संगठन में शेयर की थी। उनकी भावना पर संगठन में भले ही गौर नहीं किया गया लेकिन वे अपने मकसद के अनुरूप विशेष पुलिस स्थापना में काम की रणनीति पर चलते रहे। मुख्यालय, संभाग के अधिकारियों को टारगेट बेस काम देकर पहले लंबित प्रकरणों को निपटाया और भ्रष्टाचार की शिकायतों पर तुरंत एक्शन शुरू किया। इससे विशेष पुलिस स्थापना-लोकायुक्त संगठन के बीच दूरियां बनना शुरू हुईं।
आयुष्मान घोटाले की जांच की सिफारिश पर एक्शन नहीं
सूत्र बताते हैं कि आयुष्मान घोटाले को लेकर विशेष पुलिस स्थापना ने प्रारंभिक जानकारी के साथ फाइल लोकायुक्त संगठन में बढ़ाई थी। सितंबर-अक्टूबर में यह मामला लोकायुक्त संगठन तक पहुंचने के बाद भी उसे विशेष पुलिस स्थापना से जांच नहीं कराने के एक आदेश के साथ लौटा दिया गया। साथ ही इस घोटाले की अब तक न तो विधि सलाहकार या तकनीकी विंग को जांच के लिए सौंपा गया। जब हाल ही में दस लाख की रिश्वत का एक वीडियो वायरल हुआ और तत्काल संचालक स्वास्थ्य सेवाएं अनुराग चौधरी का तबादला हुआ तब फिर एसपीई ने लोकायुक्त संगठन की तरफ जानकारी अग्रेषित की और कहा कि इसकी जांच शुरू करने की आवश्यकता बताई।
लोकायुक्त संगठन-एसपीई में दूरी का फायदा उठाया बाहर बैठे अधिकारियों ने
लोकायुक्त संगठन और विशेष पुलिस स्थापना के बीच की दूरियों का फायदा भ्रष्टाचार की शिकायतों में फंसे अधिकारियों ने उठाने के लिए जाल बुना। अखिल भारतीय सेवा की एक दंपति और उनके अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी मित्र ने मंत्रालय में ऊपरी मंजिल में विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त की कार्रवाई से भूचाल आ जाने की बातों को धीरे-धीरे फैलाया। इस बीच लोकायुक्त संगठन की तरफ से भी राज्य सरकार को विशेष पुलिस स्थापना की कार्रवाई के बारे में सूचनाएं दी जाती रहीं। भय दिखाकर सरकार को विशेष पुलिस स्थापना के डीजी को बदलने की सिफारिश होने लगी।
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