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मध्य प्रदेश में पुलिस अधिकारी, इंजीनियर और बाबू रिश्वतखोर फिर धराए, पढ़िये कहां, किसने, कैसे मांगी घूस

सरकारी दांवपेंच में उलझाकर रिश्वतखोरों द्वारा आम आदमी को डरा-धमकाकर घूसखोरी करने के मामले नियंत्रित नहीं हो रहे हैं। आज लोकायुक्त की विशेष स्थापना पुलिस ने झाबुआ, जबलपुर और उज्जैन में पुलिस अधिकारी, इंजीनियर और बाबू को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों पकड़कर सीखचों के भीतर पहुंचाया।
पहला केसः
झाबुआ जिले में ग्राम खुटाया में काका किडिया के नाम रमेश मुनिया की जमीन है जिसमें गांजे के 21 पौधे लगे थे। इन्हें पुलिस ने इसमें अपराध दर्ज किया है लेकिन चौकी प्रभारी सहायक उप निरीक्षक राजेंद्र कुमार शर्मा ने गांजे के पौधे लगाने के मामले में तीन अन्य भाइयों को भी आरोपी बनाने की धमकी दी। सहायक उप निरीक्षक ने आरोपी नहीं बनाने के लिए 20 हजार रुपए की रिश्वत मांगी तो उसने लोकायुक्त पुलिस को शिकायत की। शिकायत के सत्यापन के बाद आज डीएसपी दिनेश चंद पटेल ने सहायक उप निरीक्षक को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया।
दूसरा केसः
जबलपुर के तिलवारा घाट शंकर रोड के रहने वाले मूलचंद पटेल कुशवाहा ने बिजली कंपनी के कनिष्ठ अभियंता फीडर प्रभारी गड़ा दो तेवर के खिलाफ शिकायत की थी कि उसे किसानी कार्य के लिए पांच हार्स पॉवर का बिजली कनेक्शन चाहिए था। मगर इसके बदले फीडर प्रभारी ने रिश्वत की मांग की तो उसने लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना में शिकायत कर दी और डीएसपी दिलीप झरबड़े ने टीआई स्वप्निल दास, मंजू किरण तिर्की, रंजीत सिंह के साथ मिलकर सहायक अभियंता को 13 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों पकड़ा।
तीसरा केसः
उज्जैन में मदन सोनी तहसील कार्यालय में वह जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए गया था लेकिन उसने सहायक ग्रेड तीन वीरेंद्र नकवाल ने उससे इसके लिए रिश्वत की मांग की। मदन सोनी ने इस मामले की लोकायुक्त विशेष पुलिस स्थापना में शिकायत की कि उससे वीरेंद्र ने ढाई हजार रुपए ले लिए हैं और एक हजार रुपए की मांग और कर रहा है। इस शिकायत के सत्यापन के बाद आज उज्जैन लोकायुक्त की टीम ने सहायक ग्रेड तीन वीरेंद्र नकवाल को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों गिरफ्तार किया।
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