जो याद न था वो याद हुआ जो याद रहा वो भूल गया

मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा ज़िलेवार गतिविधि “सिलसिला” के अंतर्गत शहडोल में “साहित्यिक गोष्ठी” आयोजित की गई। देश की आजादी के 75 वर्ष के अवसर अमृत महोत्सव के अंतर्गत मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग द्वारा प्रदेश में संभागीय मुख्यालयों पर नवोदित रचनाकारों पर आधारित “तलाशे जौहर” कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद अब ज़िला मुख्यालयों पर स्थापित एवं वरिष्ठ रचनाकारों के लिए “सिलसिला” के अंतर्गत कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इस कड़ी का बत्तीसवां कार्यक्रम विवेक पब्लिक स्कूल, शहडोल में 13 नवंबर 2022 को दोपहर 3 बजे “शेरी व अदबी नशिस्त” का आयोजन ज़िला समन्वयक शाद अहमद शाद के सहयोग से किया गया।

अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी के अनुसार उर्दू अकादमी द्वारा अपने ज़िला समन्वयकों के माध्यम से प्रदेश के सभी ज़िलों में आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत “सिलसिला” के अन्तर्गत व्याख्यान, विमर्श व काव्य गोष्ठियाँ आयोजित की जा रही हैं। ज़िला मुख्यालयों पर आयोजित होने वाली गोष्ठियों में सम्बंधित ज़िलों के अन्तर्गत आने वाले गाँवों, तहसीलों, बस्तियों इत्यादि के ऐसे रचनाकारों को आमंत्रित किया जा रहा है जिन्हें अभी तक अकादमी के कार्यक्रमों में प्रस्तुति का अवसर नहीं मिला है अथवा कम मिला है। इस सिलसिले के इकत्तीस कार्यक्रम भोपाल, खण्डवा, विदिशा, धार, शाजापुर टीकमगढ़, सागर एवं सतना, रीवा, सतना सीधी, रायसेन, सिवनी, नरसिंहपुर नर्मदापुरम दमोह, शिवपुरी, ग्वालियर, बुरहानपुर, देवास, रतलाम, बालाघाट, छिंदवाड़ा, अशोक नगर, हरदा बैतूल, जबलपुर, गुना, बड़वानी, इंदौर, कटनी, सीहोर, खरगोन एवं राजगढ़ में आयोजित हो चुके हैं और आज यह कार्यक्रम शहडोल में आयोजित हुआ जिसमें शहडोल, अनूपपुर, उमरिया एवं डिंडौरी ज़िलों के रचनाकारों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं।
शहडोल ज़िले के समन्वयक शाद अहमद शाद ने बताया कि आयोजित साहित्यिक गोष्ठी में 13 शायरों और साहित्यकारों ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर डॉ. रामनिहोर तिवारी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में शहडोल के वरिष्ठ शायर क़ासिम अलाहाबादी एवं विशेष अतिथि के रूप में एडवोकेट सुधा शर्मा मंच पर उपस्थित रहे। जिन शायरों ने अपना कलाम पेश किया उनके नाम और अशआर इस प्रकार हैं।

मेरे आज़ाद वतन ऐ मेरे आज़ाद वतन,
तुझपे क़ुरबान दिलो जान से फैय्याज़ हसन
फैय्याज़ हसन

खड़ा हूं धूप में, सहरा में हूं कि बस्ती में
वो मेरी मां है तसव्वुर में मुझको देखती है
मो. यासीन खान

जो याद न था वो याद हुआ
जो याद रहा वो भूल गया
डॉ. रामनिहोर तिवारी

मैं गुनाहगार हूँ इक़रार भी करता हूँ मगर
जो गुनाहगार न ही वो मुझे मारे पत्थर
क़ासिम अलाहाबादी

बुनियादी सहूलियतों के लिये एड़ी घिस रहा देखो
लहू रगों, आंखों से नही दिल से रिस रहा देखो
शाद अहमद “शाद”

कहाँ मैं बेचता हूँ धूप और मेरे बुज़ुर्ग
मुसाफ़िरों के लिए छतरियाँ बनाते हैं
कुलदीप कुमार

कुछ भी तो अच्छा नहीं लेकिन बुरा कुछ भी नहीं
जिसने ये दुनिया रची उसका पता कुछ भी नहीं
नसीर ‘नाज़ुक’

मैं चाहता था हवा को कोई जवाब मिले,
ये काम कर दिया पत्तों की सरसराहट ने
दीपक अग्रवाल

अम्नो अमान का रस्ता बस है “बशर” मोहब्बत
तुमको नज़र क्या दूसरा रस्ता भी आ रहा है ।
ब्रज मोहन सराफ

दो कदम हम चले दो कदम तुम
चार कदमों में जीवन सिमट जाएगा
सुधा शर्मा

इनके अलावा डॉ. नीरज श्रीवास्तव एवं अमरेंद्र सिंह आदि ने भी अपना कलाम पेश किया। कार्यक्रम का संचालन दीपक अग्रवाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर शहर के गणमान्य नागरिकों में के पी महेन्द्रा, श्रीमती किरण सिंह “शिल्पी”, के के खरे, श्रीमती नलिनि केशव, सुशील सिंघल, कु शशि प्रभा सिंह, प्रमोद विश्वकर्मा, श्रीमती छाया गुप्ता, चिंतामणि पाठक, श्रीमती ज्योति संत, राघवेन्द्र शुक्ला आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में डॉ गोपाल निगम ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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