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जिन अतिथि विद्वानों के लिए सिंधिया उतर रहे थे सड़क पर उनका नहीं हुआ कुछ, अब फिर बड़े आंदोलन की चेतावनी

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के समय अतिथि विद्वानों के आंदोलनकारियों को आश्वासन दिया था कि उनके नियमितीकरण की मांग को लेकर वे सड़क पर उतर आएंगे। उस समय विपक्ष में रहते हुए भाजपा के नेताओं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, मंत्री गोपाल भार्गव व नरोत्तम मिश्रा ने भी उनके प्रति सहानुभूति दिखाई थी। लेकिन आज जब सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में पहुंच गए और केंद्रीय मंत्री बन गए व भाजपा प्रदेश में सरकार में लौट आई और अतिथि विद्वान आज तक वहीं के वहीं हैं। इन लोगों ने प्रेस कांफ्रेंस कर फिर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।
मध्य प्रदेश महाविद्यालयीन अतिथि विद्वान महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. देवराज सिंह ने भाजपा नेताओं ने अतिथि विद्वान के मुद्दे पर सत्ता हासिल की लेकिन सरकार में आने के बाद चुप्पी साध ली है। उन्होंने याद दिलाया कि भाजपा नेताओं ने नियमितीकरण भविष्य सुरक्षित करने का वादा किया था और कहा गया था कि पहली कैबिनेट बैठक में नियमित करेंगे। सिंह ने कहा कि सरकार तत्काल अतिथि विद्वानों की सेवा 65 वर्ष तक सुरक्षित करते हुए नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करे और एवं फालेंन आउट अतिथि विद्वानों को तत्काल सेवा में ले।
पीएससी के पहले अतिथि विद्वानों पर फैसला हो
महासंघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि वह पीएससी परीक्षा कराने के पहले अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का फैसला करे। सरकारी महाविद्यालयों में सेवा करने वाले अतिथि विद्वान मध्य प्रदेश के मूल निवासी हैं योग्य अनुभवी हैं। नियमितीकरण का फैसला नहीं होने पर भोपाल में बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
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